इंसानों के लिए जानवरों का जीवन में है कितना अधिक महत्‍व! सामने आया ये सच

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मुंबई । इंसानों और उनके पालतू जानवरों को जबरन अलग करने के मामलों के नतीजों को आमतौर पर नजरअंदाज किया जाता है जो कि सही नहीं है। दरअसल, यह कहना है वैज्ञानिकों का। इस बारे में एक अध्ययन जेम्स कुक यूनिवर्सिटी की पीएचडी उम्मीदवार जैसमीन मोंटगोमरी ने प्रोफेसर जेनिस लॉयड प्रोफेसर झानमिंग लियांग के मार्गदर्शन में किया गया । इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 27 साल के अंतरराष्ट्रीय शोध की समीक्षा की और पाया कि इंसान और उनके पालतू जानवरों के अलग करने के गंभीर जोखिम होते हैं।

यह अध्‍ययन बताता है कि ऐसे हालातों का सामना करने वाले लोगों को उनकी सेहत और सुरक्षा संबंधी समस्याओं से दो चार होना पड़ता है। मोंटगोमेरी का कहना है कि उनके नतीजे बताते हैं कि लोगों और जानवरों के बीच मजबूत भावनात्मक रिश्ता दोनों को नाजुक बना देता है जब इस पर किसी तरह का खतरा मंडराता है। विपरीत हालात में अलग किया जाना तो दोनों की ही सेहत और सुरभा पर गहरा असर डालता है।

शोधकर्ताओं ने 42 अध्ययनों का विश्लेषण किया जिनमें घरेलू हिंसा, बेघर होने और प्राकृतिक आपदाओं की वजह से पालतू जानवर और उसके मालिक के बीच संबंध खत्म हो गया था। रिपोर्ट में साफ दर्शाया गया कि ऐसे हालात में पालतू जानवरों की मौत तक की स्थिति बन जाती है। रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाली बात यही है कि घरेलू हिंसा का शिकार जानवरों की सबसे बुरी दुर्गति होती है।

इस मामले में पालतू जानवरों के लिए किसी तरह की वैकल्पिक व्यवस्था ना होना उनके लिए बड़ी मुसीबत बन जाती है। ऐसा ही प्राकृतिक आपदाओं में होता है। रिसर्च में यह भी पाया गया है कि जब घरेलू हिंसा के मामले में पालतू जानवर को जबरन अलग किया जाता है तो नतीजे में उस जानवर की मौत तक हो सकती है

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