कर्नाटक सीएम सिद्दारमैया का जाति आधारित जनगणना पर फिर अलाव, अब ये नई बात कही

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बेंगलुरु । कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने रविवार को कहा कि कांग्रेस सरकार जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट हासिल करेगी। उन्‍होंने कहा, ”हमारी सरकार पूरे देश में जाति आधारित जनगणना कराने वाली पहली सरकार थी। मैंने प्रत्येक जाति की सामाजिक और आर्थिक स्थिति जानने के उद्देश्य से जाति आधारित जनगणना कराई थी।”

सीएम ने कहा, ”सरकारों ने जनगणना आधारित रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया। पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जयप्रकाश हेगड़े जाति आधारित जनगणना पर रिपोर्ट पेश करेंगे। हम इसे प्राप्त करेंगे।”इससे पहले, कालिदास स्वास्थ्य और शिक्षा ट्रस्ट तथा अहिल्या फाउंडेशन द्वारा आयोजित प्रेरणा समाराभा में सिद्दारमैया ने कहा कि प्रतिभा जाति और धर्म तक ही सीमित नहीं है। उन्‍होंने कहा, ”यदि सभी को शिक्षा का अवसर और लाभ दिया जाए तो प्रतिभा निश्चित रूप से सामने आएगी। इसलिए, आत्म-सम्मान के साथ एक अच्छे नागरिक के रूप में जीने के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है।”

इसके अलावा सिद्दारमैया का कहना यह भी रहा कि सभी को शिक्षित होना चाहिए। “हमें उस समाज के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी जिसने हमारी मदद की है। कड़ी मेहनत और लक्ष्य के बिना कोई भी कुछ हासिल नहीं कर सकता।” सिद्दारमैया ने कहा कि अंग्रेजों के आने से पहले शूद्र समुदायों के लिए शिक्षा वर्जित थी। उच्च जाति की लड़कियों को पहले शिक्षा नहीं दी जाती थी। अंबेडकर ने शूद्र समुदाय और लड़कियों को शिक्षा का अधिकार दिया। इस इतिहास को ठीक से समझा जाना चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि समुदाय द्वारा मेडिकल कॉलेज स्थापित करना अवैज्ञानिक है। चूंकि मेडिकल कॉलेज चलाना महंगा है, इसलिए यह गरीब और ग्रामीण छात्रों को मुफ्त सीटें नहीं दे सकता है। इसलिए सीएम ने कहा कि अगर समुदाय पैरामेडिकल कॉलेज, हॉस्टल और आईटीआई स्थापित करता है, तो इससे गरीब और ग्रामीण बच्चों को मदद मिलेगी। सीएम ने याद किया कि अपने बीएससी के दिनों के दौरान, वह होटल से करी लाते थे, रात के खाने के लिए कमरे में चावल पकाते थे। चूंकि ऐसी स्थिति में हजारों छात्र हैं, इसलिए उन्होंने विद्यासिरी कार्यक्रम शुरू किया। उन्‍होंने कहा, पहले ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की संख्या कम और पद अधिक होते थे। लेकिन अब हालात बदल गए हैं, डॉक्टरों की संख्या खाली पदों से ज्यादा हो गई है। इसलिए मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने स्पष्ट किया कि सरकार ने ग्रामीण डॉक्टरों के रिक्त पदों को भरने के लिए नियमों में संशोधन करने का निर्णय लिया है।

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