गूंज महोत्सव सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और विकास यात्रा की धड़कन है: राज्यपाल

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सिल्ली में उत्साह, उमंग और उल्लास के बीच तीन दिवसीय गूंज महोत्सव शूरू

 छऊ नृत्य ‘कार्निवाल’ देख भाव विभोर हुए महामाहिम
सुदेश बोले, सेवा और विकास का लक्ष्य सर्वोपरि, इसके केन्द्र में है शिक्षा, चिकित्सा और न्याय व्यवस्था उत्साह,

SILLI/ RANCHI: उल्लास और उमंग के बीच सिल्ली में तीन दिवसीय गूंज महोत्सव का सोमवार को झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उद्घाटन किया।

उदघाटन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गूंज महोत्सव हमारी सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और विकास यात्रा की धड़कन है।

गूंज महोत्सव एक उत्सव ही नहीं, सामूहिक शक्ति का प्रतीक है।अनेकता व विविधता के बीच एकता की ताकत है।

उन्होंने कहा कि इस वृहद और भव्य आयोजन में शिरकत करने की उन्हें खुशी है। हम सभी जानते हैं कि हमारी परंपरा, संस्कृति, रितिरिवाज विश्व में सबसे खूबसूरत है।

हमारी संस्कृति हमें किसी भी आधार पर भेद भाव करना नहीं सिखाती है।

उन्होंने इस आयोजन के लिए गूंज परिवार के संरक्षक और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो की तारीफ करते हुए कहा कि झारखंडी संस्कृति, परंपरा और चेतना को सहेजने के साथ सेवा और विकास के सकारात्मक प्रयास बेहद सराहनीय हैं।

राज्यपाल छऊ नृत्य कलाकारों और स्कूली छात्राओं का मनोहर संस्कृतिक कार्यक्रम का प्रदर्शन देख कर भाव विभोर हुए।

और कहा कि गूंज महोत्सव सिर्फ वर्तमन परिदृश्य से परिचय नहीं कराता है बल्कि अतीत के बारे में बताता है और भविष्य की राह भी दिखाता है।

राज्यपाल ने कहा कि उन्हें मालूम हुआ है कि गूंज ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित की है। यह इस क्षेत्र के लिए गौरव, गुमान का आयोजन है।

राज्यपाल ने कहा कि हमारी सभ्यता, संस्कृति, परंपरा यही बताती है कि कला, हुनर और नारी शक्ति का सम्मान करना चाहिए।

नारी शक्ति का जहां सम्मान होता है , वहां देवताओं का वास होता है। गूंज महोत्सव में नारी और युवा शक्ति का सम्मान अभूतपूर्व और अद्भुत है।

इस मौके पर उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों की सराहना की ओर कहा कि पीएम के नेतृत्व मे देश विकास के नित्य नए मानक स्थापित कर रहा है।

सेवा कठिन है, लेकिन इससे अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाएंगे: सुदेश
इस मौके पर राज्यपाल और अन्य अतिथियों का स्वागत करते हुए सुदेश कुमार महतो ने कहा कि गूंज महोत्सव का आयोजन हमारे लिए एक दायित्व है।

और इस दायित्व बोध को समझते हुए गूंज से जुड़े 70 हजार परिवारों की चर्चा भी जरूरी है, जो हमारी ताकत और क्षमता को ऊर्जा प्रदान करते हैं।

उन्होंने कहा कि इस महोत्सव की जड़ें गहरी हैं। असहायों और साधारण लोगों के बीच मानवीय सेवा करने की कोशिशों को हम लगातार आगे बढ़ाते हुए इस जड़ को मजबूती प्रदान करने में जुटे हैं।

उन्होंने कहा कि राजनीति में सेवा कठिन है, लेकिन हमने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए क्षेत्र के विकास को नया स्वरूप दिया है। शिक्षा, चिकित्सा और न्याय व्यवस्था हर आम आदमी के लिए सुलभ हो, यही हमारा ध्येय है।

अगले चार-पांच वर्षों में इस क्षेत्र में व्यापक बदलाव दिखेगा । इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से काम शूरू है।

महामहिम ने सिल्ली की धरती को सुशोभित करते हुए गूंज महोत्सव के सफर में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। उनका आगमन गूंज परिवार के लिए अभिमान है।

महामहिम की शानदार अगवानी
इस मौके पर सुदेश कुमार महतो और नेहा महतो ने राज्यपाल को मोमेंटो और शॉल भेंट कर सम्मानित किया।

इससे पहले राज्यपाल और उनके परिवार के सदस्यों की अगवानी करते हुए मंच पर ले जाया गया।

5001 छऊ नृत्य कलाकारों का एक साथ जीवंत प्रदर्शन
उदघाटन के अवसर पर एक साथ 5001 छऊ नृत्य कलाकारों ने अनूठी परंपराओं, लोककथाओं, लोकाचार, सांस्कृतिक पहचान और ऐतिहासिक आख्यानों की जीवंत अभिव्यक्ति का प्रदर्शन करते हुए खूबसूरत समां बांधा।

हजारों लोग इस नृत्य व लोक कला को एकटक निहारते और झारखंड के इस अमूल्य विरासत पर इतराते रहे।

इसके बाद दस हजार स्कूली छात्राओं की सामूहिक नृत्य प्रस्तुति ने सबका मन जीत लिया। राज्यपाल भी सांस्कृतिक प्रदर्शन देख भावविभोर हुए।

गौरतलब है कि पिछले साल गूंज महोत्सव के दौरान इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के सुब्रतो दास ने छऊ नृत्य को पारंपरिक नृत्य के तौर पर इस रिकॉर्ड्स में शामिल कर करने की घोषणा की थी।

बिनोद बिहारी महतो की पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि
इससे पहले धरती पुत्र, झारखंड आंदोलन के प्रणेता और लड़ो, पढ़ो और बड़ों का नारा देने वाले बिनोद बिहारी महतो की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

स्टेडियम परिसर में लगी उनकी प्रतिमा पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के साथ सुदेश कुमार महतो, आजसू पार्टी के गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी, विधायक लंबोदर महतो, सुनीता चौधरी पूर्व मंत्री रामचंद्र सहिस, उमाकांत रजक, डॉ मुकुंद चंद्र मेहता, हरेलाल महतो, झारखंड तीरंदाजी संघ की वरीय उपाध्यक्ष नेहा महतो ने फूल माला चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस मौके पर सुदेश महतो ने बिनोद बाबू के सपने को साकार करने के लिए सशक्त, शिक्षित और स्वाभिमानी समाज का आह्वान किया।

सेवा और सफलता का सम्मान
महोत्सव में लोक कला, परंपरा की हिफाजत के पैरोकार , कलाकार के अलावा खेल के क्षेत्र में ख्यातिलब्ध सफलता हासिल करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया।

इनमें नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता दिनेश कुमार, एशियाई खेलों में रजत पदक विजेता तीरंदाज मधुमिता कुमारी, नेशनल गेम में रजत पदक विजेता तीरंदाज दीप्ति कुमारी,

अघनी कुमारी, नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता लॉन बॉल खिलाड़ी प्रिंस महतो, वूशु में कांस्य पदक विजेता शशिकांत महतो, संगीतकार अश्विनी महतो,

ढोल वादक हेमली कुमारी, नृत्य कलाकार मोहन सहिस, चंद्रयान 3 से जुड़े जयप्रकाश महतो के अलावा बिरसा मुंडा तीरंदाजी अकादमी की अध्यक्ष श्रीमती नेहा महतो को सम्मानित किया गया।

नेहा महतो के कुशल नेतृत्व में 5 सौ से ज्यादा खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर उभरे हैं। और कम से कम 22 खिलाडिय़ों और कोच ने भारतीय टीम का नेतृत्व किया है।

समरोह में मौजूद थे
समरोह संपन्न होने के बाद सतरंगी आतिशबाजी स्टेडियम में मौजूद हजारों लोगों ने आनंद उठाया।

उद्घाटन समारोह में पद्मश्री छूटनी महतो, जमुना टुड्डू, मधु मंसूरी, मुकुंद नायक के अलावा राज्य के अलग-अलग विश्वविद्यालयों के कुलपति,

जिला परिषद के प्रतिनिधि, बिरसा मुंडा तीरंदाजी अकादमी की अध्यक्ष श्रीमती नेहा महतो, श्याम सुंदर महतो, डॉ मुकुंद चंद्र मेहता के अलावा दर्जनों गणमान्य लोग उपस्थित हुए।

सामाजिक ताने- बाने को मजबूती देता महोत्सव
महोत्सव को लेकर पूरे क्षेत्र में उत्साह और उल्लास का वातावरण बना है।

आयोजन स्थल पर मेला लगा खेल खिलौने और रोजमर्रा के सामानों के दुकानें सजने लगी हैं। महोत्सव के साथ सामाजिक ताना- बाना और रिश्ते- नाते के डोर मजूबत होते दिख रहे हैं।

रंग-बिरंगे गुब्बारे और बैलून हवा में लहरा रहे हैं। चारों तरफ गहमागहमी है।

अगले दो दिनों में होने हैं कई कार्यक्रम
19 और 20 दिसंबर को सेवा व जन कल्याण से जुड़े कई कार्यक्रमों की रूपरखा तय की गई है।

इसे सफल बनाने के लिए गूंज महोत्सव के संरक्षक और सिल्ली के विधायक सुदेश कुमार महतो की अगुवाई में महोत्सव की सफलता के लिए एक हजार वॉलंटियर, एसएचजी, गूंज परिवार के सदस्यों के अलावा समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

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