रांची प्रेस क्लब में सवर्ण समाज संयोजक समिति की महत्वपूर्ण बैठक में सवर्ण आयोग के गठन की माँग

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देशहित में एकजुटता, विकास और उपेक्षा-प्रताड़ना से बचाव ही है सवर्ण समाज का लक्ष्य

RANCHI: सवर्ण समाज संयोजक समिति ने कहा है कि सवर्ण समाज का उद्देश्य केवल अपने निजी या व्यक्तिगत हित अथवा स्वार्थ से ऊपर उठकर देशहित में एकजुटता और विकास के साथ निरंतर आगे बढ़ना है।

इसके अलावा उपेक्षा-प्रताड़ना से बचाव भी सवर्ण समाज का सर्वप्रमुख लक्ष्य है।

सवर्ण समाज संयोजक समिति के प्रदेश संयोजक मनीष कुमार सिंह ने बैठक में कहा कि ये सभी सवर्ण समाज के वैसे लक्ष्य हैं।

जिसके बल पर एक ओर देश के साथ ही आम लोगों में भी आर्थिक, व्यावहारिक एवं सामाजिक समृद्धि आयेगी वहीं दूसरी ओर हमारा देश पुनः विश्वगुरु बन पायेगा.
रांची के प्रेस क्लब में रविवार को आयोजित सवर्ण समाज की इस महत्वपूर्ण बैठक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग आयोग आदि की तरह ही सवर्ण आयोग के गठन की माँग की गयी।

बैठक में डॉ. प्रणव कुमार बब्बू ने कहा कि सवर्णों के लिये अबतक किसी भी आयोग का गठन नहीं किया गया है जबकि सवर्णों की भी अपनी अनेक जटिल समस्यायें हैं।

जिसके निराकरण के लिये सरकार को वह सवर्ण आयोग का गठन करना चाहिये जिससे एक वैसा आदर्श सामाजिक ताना-बाना बरकरार रहे जिससे समाज और देश का विकास हो।

बैठक में कहा गया कि सामान्य जातियों के तहत एक बड़ा वर्ग समाज में रहता है और सम्बंधित आयोग नहीं होने के कारण इस वर्ग की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है जिससे समाज के एक बड़े वर्ग स्वयं को उपेक्षित महसूस करता है।

इस अवसर पर धर्मेन्द्र तिवारी ने कहा कि सवर्ण समाज को एकजुटता एवं मजबूती प्रदान करने हेतु आयोजित इस बैठक के निष्कर्ष के साथ ही अपेक्षा यही है कि अधिकाधिक संख्या में जागरूक लोग, स्वयं के साथ ही समाज एवं देश की उन्नति, समृद्धि, एकता एवं उत्थान के सम्बन्ध में कार्य करें।

जिससे हमारा समाज आगे बढ़ सके. साथ ही सवर्ण समाज की जटिल समस्याओं और चुनौतियों की ओर समाज और देश का ध्यान आकृष्ट किया जाये।

बैठक में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के आरक्षण की सीमा 10 प्रतिशत से बढाकर 21 प्रतिशत करने, आरक्षण का आधार जातिगत की बजाय आर्थिक किये जाने,

राजनीतिक दलों के द्वारा सवर्ण जाति को महत्व न देने एवं नजरअंदाज करने,

यदि जातिगत जनगणना हो तो उसे वास्ताविकता पर आधारित करने, सवर्ण जाति की संख्या का गलत आँकड़ा प्रस्तुत करने के मुद्दे,

सवर्ण समाज के गरीब लोगों के लिये नि:शुल्क शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कानूनी सहायता की व्यवस्था करने, सवर्णो के विरुद्ध अपमानजनक भाषा पर रोक लगाने,

सवर्ण जातियों के युवाओं के तकनीकी एवं व्यावसायिक कौशल का लाभ उठाकर झारखण्ड एवं देश के विकास के साथ ही और यहाँ के लोगों के जीवन स्तर के उन्नयन के लिये राज्य सरकार से व्यावहारिक योजना तैयार करने की माँग की गयी।

इसके अलावा, सवर्णो को गलत तरीके से प्रताड़ित होने से बचाव के लिये एससी / एसटी एक्ट में अपेक्षित संशोधन की सरकार से माँग की गयी।

और कहा गया कि यदि सरकार ने इसपर अपेक्षित कदम नहीं उठाया तो सवर्ण समाज संयोजक समिति आंदोलनात्मक रवैया अख्तियार करेगी।

बैठक में 5 लाख से कम वार्षिक आय वाले सवर्ण परिवार को गरीब का दर्ज़ा देने, गरीब सवर्णों को सभी कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित करने, 5 लाख रूपये से कम पारिवारिक आय वाले सवर्ण समाज के छात्र-छात्राओं को छात्रवृति देने,
सवर्ण समाज के पिछड़ेपन के कारणों की तलाश करने के लिये गहन चिंतन कर व्यापक हित में रणनीति तैयार करने,

राज्य सरकार द्वारा आर्थिक आधार पर पैमाना तय करने जिससे प्रतिकूल परिस्थितियों में रहनेवाले सवर्ण समाज के लोगों की पहचान संभव हो,

सामान्य वर्ग के बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने सहित अन्य अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया और सरकार से अविलम्ब सकारात्मक कार्रवाई की माँग की गयी.
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि सवर्ण समाज अपने को उद्यमी बनाकर समाज में अधिकाधिक लोगों को रोजगार दे।

इस बैठक में मुख्य रूप से मनीष कुमार सिंह, प्रणव कुमार बब्बू, धर्मेन्द्र तिवारी, सूरज कुमार सिन्हा,

दिलीप कुमार सिंह, वीणा श्री सरकार, सुप्रिया सिंह, प्रीति चौधरी, सुप्रिया दास, विमलेश कुमार सिंह, यश सिंह परमार, विजय कुमार सिंह,

प्रवीण कुमार ओझा, श्याम किशोर, शैलेश्वर दयाल सिंह, मिंटू, डॉ. सत्य प्रकाश मिश्रा,

श्याम सुन्दर सिंह, मंजीत सिंह, रोहित कुमार पाण्डेय, अभिषेक कुमार सिन्हा, अशोक कुमार पाण्डेय,

अंकित राज पाण्डेय, उज्जवल, राम स्वरुप सिंह, अजय सिंह,

विकास सिंह, राहुल सिंह, ललिता मुख़र्जी सहित अन्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये।

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