एमजीएम जमशेदपुर में डॉक्टर के साथ मारपीट के विरोध में चिकित्सकों में रोष, सरकार को दिया अल्टीमेटम

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22 सितंबर तक दोषियों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो राज्य स्तरीय डॉक्टरों की होगी अनिश्चितकालीन हड़ताल

RANCHI: झारखंड आईएमए एवं झासा के संयुक्त तत्वावधान में निर्णय लिया गया कि जमशेदपुर एमजीएम के डॉक्टर कमलेश उरांव के साथ मारपीट में शामिल दोषियों की 22 सितंबर को शाम छह बजे तक गिरफ्तारी नहीं हुई तो पूरे राज्य के सरकारी एवं निजी डॉक्टर्स अनिश्चतकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे।

इसके लिए राज्य सरकार पूरी तरह से जिम्मेवार होगी। झारखंड आईएमए अध्यक्ष डॉ एके सिंह, महासचिव डॉ प्रदीप कुमार सिंह, उपाध्यक्ष मुख्यालय डॉ आरएस दास एवं झासा के अध्यक्ष पीपी शाह, सचिव डॉ ठाकुर मृत्युंजय कुमार सिंह ने संयुक्त रुप से उक्त निर्णय लिया है।

झारखंड आईएमए  के महासचिव डॉ प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि एमजीएम, जमशेदपुर के शिशु रोग विभाग के आईसीयू में घुसकर डॉ कमलेश उरांव के साथ बर्बरता पूर्वक मारपीट की गयी और डॉक्टर का सिर फोड़ दिया गया।

घटना के दो दिन बीत गये लेकिन अभी तक दोषियों की गिरफ्तारी नहीं की गयी है।

जबकि जिला प्रसासन के पास इसका विडियों फुटेज भी उपलब्ध है उसके बावजूद दोषियों कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। यह प्रशासन की विफलता है।

जिससे पूरे राज्य के चिकित्सकों में रोष व्याप्त है। इसके विरोध में जमशेदपुर आईएमए एवं झासा की आज हुई बैठक में निर्णय लिया गया है कि जमशेदपुर शहर के सभी प्राइवेट और सरकारी चिकित्सक इमरजेंसी सेवा को छोड़कर 21 सितंबर को अपराह्न 12 बजे तक हड़ताल में रहेंगे।

राज्य भर के सभी चिकित्सक एकजुट हैं। आईएमए एवं झासा की राज्य इकाई सहित रिम्स जुनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने सरकार से मांग किया है कि सभी दोषियों की अविलंब गिरफ्तारी हो और उन्हें कानून सम्मत कठोर दंड दिया जाय।

सभी मेडिकल कालेजों में प्रतिनियुक्त प्रशासनिक अधिकारियों को हटाया जाय और पहले की तरह मेडिकल कालेज की देखरेख का अधिकार डायरेक्टर, अधीक्षक एवं डीन के जिम्मे हों। मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट अविलंब लागू किया जाय।

तीनों संगठनों ने कहा कि सरकार मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को लेकर उदासीन है।

और इस संबंध में वर्तमान नीति स्पष्ट नहीं है। सारे विधेयक विधानसभा में दो तिहाई बहुमत से पारित हो सकते हैं। तो फिर जनता के स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े अति आवश्यक मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को प्रवर समिति को सौंपना समझ से परे हैं।

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