सुप्रीम कोर्ट का VVPAT वेरिफिकेशन पर फैसला सुरक्षित, चुनाव आयोग ने ईवीएम को लेकर क्या कहा?

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नई दिल्‍ली । इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100 फीसदी क्रॉस-चेकिंग की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चुनाव आयोग के अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केरल के कासरगोड में मॉक पोलिंग के दौरान EVM के द्वारा बीजेपी के पक्ष में वोट रिकार्ड दर्ज होने की छपी खबरें झूठी हैं

चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इसी तरह की मांग को लेकर याचिकाएं देशभर के हाईकोर्ट में दाखिल की गई। सभी हाईकोर्ट ने उन्हें खारिज किया है।

चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का आधार गलत जानकारी पर आधारित है। ईवीएम मुद्दे को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले याचिकाकर्ताओं की याचिका जुर्माने के साथ खारिज की जानी चाहिए।

चुनाव आयोग ने कहा कि EVM एक स्वतंत्र मशीन है। इससे हैक या छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता है। वीवीपैट को फिर से डिजाइन करने की कोई जरूरत नहीं है। मैन्युअल गिनती में मानवीय भूल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन मौजूदा सिस्टम में मानवीय भागीदारी न्यूनतम हो गई है। जहां पर भी गड़बड़ी थी, वहां मॉक रन का डेटा नहीं हटाया गया। इसका ध्यान रखा गया है।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता और याचिकाकर्ताओं को ईवीएम के हर पहलू के बारे में आलोचनात्मक होने की जरूरत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव प्रकिया की अपनी गरिमा होती है। किसी को ये आशंका नहीं रहनी चाहिए कि इसके लिए जो जरुरी कदम उठाए जाने थे, वो नहीं उठाए गए।

चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि ईवीएम प्रणाली में तीन यूनिट होते हैं, बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और तीसरा वीवीपीएटी। बैलेट यूनिट सिंबल को दबाने के लिए है, कंट्रोल यूनिट डेटा संग्रहीत करता है और वीवीपीएटी सत्यापन के लिए है।

चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि कंट्रोल यूनिट VVPAT को प्रिंट करने का आदेश देती है। यह मतदाता को सात सेकंड तक दिखाई देता है और फिर यह वीवीपीएटी के सीलबंद बॉक्स में गिर जाता है। प्रत्येक कंट्रोल यूनिट में 4 MB की मेमोरी होती है। मतदान से 4 दिन पहले कमीशनिंग प्रक्रिया होती है और सभी उम्मीदवारों की मौजूदगी में प्रक्रिया की जांच की जाती है और वहां इंजीनियर भी मौजूद होते हैं।

चुनाव आयोग ने कहा कि इसे बदला नहीं जा सकता। यह एक फर्मवेयर है। फर्मवेयर का मतलब सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच का है। इसे किसी भी सूरत में बदला नहीं जा सकता है।

चुनाव आयोग ने कहा कि पहले रेंडम तरीके से ईवीएम का चुनाव करने के बाद मशीनें विधानसभा के स्ट्रांग रूम में जाती हैं। राजनीतिक दलों के नुमाइंदों की मौजूदगी में उन्हें लॉक किया जाता है।

कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि क्या वोटिंग के बाद वोटर्स को VVPAT से निकली पर्ची नहीं दी जा सकती है। इस पर चुनाव आयोग ने कहा- वोटर्स को VVPAT स्लिप देने में बहुत बड़ा रिस्क है। इससे वोट की गोपनीयता से समझौता होगा और बूथ के बाहर इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल दूसरे लोग कैसे कर सकते हैं, हम नहीं कह सकते।

सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को ये भी बताया कि EVM के निर्माता को यह नहीं पता है कि कौन सा बटन किस राजनीतिक दल को आवंटित किया जाएगा या कौन सी मशीन किस निर्वाचन क्षेत्र या राज्य को आवंटित की जाएगी।

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