नेपाल में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के चीन ने समझौते तो कार्यान्वयन नहीं किया

0

काठमांडू। नेपाल में बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोग को लेकर चीन ने कई समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। पर कार्यान्वयन जीरो है। हाल ही में काठमांडू के मेयर द्वारा चीन की इस नीति की आलोचना करने के बाद अब चीन की सीमा से सटे देश के उत्तरी जिले के अधिकारियों ने भी चीन पर निशाना साधा है।

चीन ने सीमा से सटे नेपाल के 15 जिलों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 3000 करोड़ रुपये देने का समझौता नेपाल सरकार के साथ किया था। पांच वर्ष पहले हुए इस समझौते के तहत चीन ने आज तक एक भी रुपये खर्च नहीं किए। संघीय मामलों के मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के साथ चीन सरकार ने 2019 में ही एक समझौता किया था। इस समझौते में नेपाल के सीमावर्ती 15 जिलों में बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर करीब 3000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का जिक्र है, पर वित्त एवं संघीय मामलों के मंत्रालय की तरफ से बार बार पत्राचार किए जाने के बावजूद चीन की तरफ से ना तो इसका कोई जवाब दिया जा रहा है और ना ही कोई आश्वासन।

वित्त मंत्री वर्षमान पुन ने इससे जुड़े एक सवाल पर कहा कि जल्द ही चीन के राजदूत को बुला कर इस संबंध में पूछताछ की जाएगी। हालाकि संघीय मामलों के मंत्रालय के बुनियादी ढांचा विकास विभाग के संयुक्त सचिव कमल प्रसाद भट्टराई ने कहा कि चीन की तरफ से अब तक उस समझौते का कार्यान्वयन किया जाएगा या नहीं, उसको लेकर असमंजस की स्थिति है। भट्टराई के मुताबिक अब तक दर्जन भर पत्र चीन के दूतावास को लिखा जा चुका है पर अब तक एक भी पत्र का जवाब नहीं मिला है।

सिर्फ इतना ही नहीं चीन ने अपनी सीमा से सटे नेपाल के इन 15 जिलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, सौर ऊर्जा और सड़क निर्माण में सहयोग को लेकर भी नेपाल सरकार के साथ कई समझौते किए हैं। संघीय मामलों की पूर्व मंत्री अनिता साह ने बताया कि चीन ना तो अपनी प्रतिबद्धता पूरा कर रहा है और ना ही उन क्षेत्रों में किसी और देश को सहयोग करने देता है। प्रचंड सरकार में हाल में इस मंत्रालय को संभालने वाली अनिता साह ने बताया कि यदि भारत या अन्य कोई पश्चिमी देश चीन से सटे किसी जिले में सामान्य भ्रमण के लिए भी चला जाता है तो चीनी राजदूत की तरफ से उस पर आपत्ति दर्ज किया जाता है। यदि किसी ने विकास कार्यों में कुछ सहयोग कर दिया तब तो चीन का पारा सातवें आसमान पर होता है।

साह ने आरोप लगाया कि चीन की इस दोहरी नीति के खिलाफ सरकार को सख्त होने की जरूरत है। क्योंकि अगर चीन अपनी प्रतिबद्धता पूरा नहीं करता है तो उसके साथ हुए समझौते को खत्म कर देना चाहिए। चीन से सटे नेपाल के जिलों में दार्चुला, बझांग, हुमला, मुगू, डोल्पा, मुस्तांग, मनांग, गोरखा, धादिंग, रसुवा, सिन्धुपालचोक, दोलखा, सोलुखुम्बु, संखुवासभा और ताप्लेजुंग शामिल हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed