मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की ‘सिंधु’ पर की गई टिप्‍पणी से गंभीर चिंता में पाकिस्‍तान

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नई दिल्‍ली । उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ जो कहा था कि अगर राम जन्मभूमि – बाबरी मस्जिद का स्थान जिसे अब मंदिर में बदल दिया गया है – को 500 साल बाद वापस लिया जा सकता है, तो कोई कारण नहीं है कि हम सिंधु को वापस नहीं ले सकते। इस पर पाकिस्तान की ओर से तीखी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की गई है । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा की गई टिप्पणी की आलोचना करते हुए पाकिस्‍तान की ओर से कहा गया कि दक्षिणी सिंध प्रांत ‘सिंधु’ को वापस लेने पर उनकी ‘‘बेहद गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी” ‘‘गंभीर चिंता का विषय” है ।

उल्‍लेखनीय है कि श्रद्धालु हिंदुओं का मानना है कि भगवान राम, योद्धा भगवान, का जन्म अयोध्या में हुआ था, लेकिन 16 वीं शताब्दी में उनके जन्मस्थान के शीर्ष पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया था। नवंबर में, भारत की शीर्ष अदालत ने दशकों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद यह जगह हिंदुओं को दे दी, जिससे मुसलमानों को नई मस्जिद बनाने के लिए एक और जगह दी गई थी।

मुमताज ज़हरा बलूच की आई तीखी प्रतिक्रिया

यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ के बयान के बाद जवाब में, विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने डॉन में छपी खबर में कहा, “हम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, भारत के सत्तारूढ़ दल के प्रमुख सदस्य और कट्टर हिंदुत्व विचारधारा के अनुयायी द्वारा की गई अत्यधिक गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों की निंदा करते हैं। लखनऊ में राष्ट्रीय सिंधी सम्मेलन में जो उन्‍होंने कहा वह हमें कतई स्‍वीकार्य नहीं ।”

उन्होंने कहा कि यह “समान रूप से निंदनीय” है कि राम जन्मभूमि के “तथाकथित” पुनर्ग्रहण को आदित्यनाथ ने उस क्षेत्र को पुनः प्राप्त करने के लिए एक टेम्पलेट के रूप में उद्धृत किया था जो पाकिस्तान का हिस्सा है । बलूच ने कहा कि भारतीय राज्‍य यूपी के मुख्‍यमंत्री की “भड़काऊ टिप्पणियाँ” “अखंड भारत’ (अविभाजित भारत) के अनावश्यक दावे” से प्रेरित हैं । ये टिप्पणियाँ एक संशोधनवादी और विस्तारवादी मानसिकता को प्रकट करती हैं जो न केवल भारत के पड़ोसी देशों बल्कि अपने स्वयं के धार्मिक अल्पसंख्यकों की पहचान और संस्कृति को भी अपने अधीन करना चाहती हैं । वे इतिहास के प्रति विकृत दृष्टिकोण को भी दर्शाते हैं।

भाजपा-आरएसएस के लोग विभाजनकारी और संकीर्ण राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा रहे

बलूच ने कहा, “यह गंभीर चिंता का विषय है कि इस तरह के विचारों को भाजपा-आरएसएस से जुड़े लोग अपने विभाजनकारी और संकीर्ण राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए तेजी से बढ़ावा दे रहे हैं।” एफओ प्रवक्ता ने कहा कि “वर्चस्ववादी और विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं” को पोषित करने के बजाय, भारतीय नेताओं को पड़ोसी देशों के साथ विवादों को सुलझाना चाहिए और एक शांतिपूर्ण और समृद्ध दक्षिण एशिया के निर्माण के लिए उनके साथ काम करना चाहिए।

योगी ने सिंधी समाज से कहा था कि अपने इतिहास को जानों और अपने संघर्ष पर गर्व करो

उल्‍लेखनीय है क सीएम योगी आदित्‍नाथ ने एक सम्मेलन में सिंधु को वापस लेने की बात कही थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने रविवार को कहा था कि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है और अगले साल जनवरी में रामलला फिर से अपने मंदिर में विराजमान होंगे। उन्‍होंने इस दौरान यह भी कहा था कि सिंधी समाज को अपनी वर्तमान पीढ़ी को अपने इतिहास के बारे में बताने की जरूरत है। उन्होंने बताया भी कि कैसे विभाजन के बाद सिंधी समुदाय को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा। सिर्फ एक व्यक्ति की ‘जिद’ के कारण देश का विभाजन हुआ। आज भी हमें इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

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