चीन ने अपने पांव पर खुद मारी कुल्हाड़ी,अगले तीन से पांच साल तक करना पड़ सकताहै संघर्ष

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नई दिल्ली: चीन की इकॉनमी ने कई साल तक रॉकेट की स्पीड से उड़ान भरी। इसमें सबसे बड़ी भूमिका रियल एस्टेट सेक्टर की थी। बढ़ती आबादी और शहरीकरण के कारण देश में रियल एस्टेट की धूम रही। चीन की जीडीपी में रियल एस्टेट की 30 परसेंट हिस्सेदारी है। लेकिन अब यही रियल एस्टेट चीन की इकॉनमी के लिए जी का जंजाल बन गया है। इस संकट की शुरुआत दो साल पहले उस समय हुई थी जब चीन की सरकार ने डेवलपर्स की बोरोइंग पर एक्शन लिया था। एक दशक में पहली बार चीन के रियल एस्टेट में इनवेस्टमेंट में गिरावट आई है। सरकार की इस सेक्टर के लिए बेलआउट देने की कोई योजना नहीं है। माना जा रहा है कि रियल एस्टेट का संकट चीन की इकॉनमी को ले डूबेगा। इस कारण चीन को अगले तीन से पांच साल तक संघर्ष करना पड़ सकता है।

पिछले महीने देश के एक टॉप अधिकारी ने कहा था कि देश में आबादी की तुलना में कहीं ज्यादा मकान खाली पड़े हैं। सरकार ने ओवरसप्लाई को कम करने के लिए एक पॉलिसी बनाई है। इसमें शहरों में जमीन की बिक्री की रफ्तार कम करना और डिमांड बढ़ाने के लिए फ्लैट्स की कीमत में कमी करना शामिल है। जानकारों का कहना है कि इस संकट के कारण चीन की इकॉनमिक ग्रोथ को 2026 तक सालाना कम से कम 1.5 परसेंट का घाटा हो सकता है। वर्ल्ड बैंक ने 2024 के लिए चीन के जीडीपी के अनुमान को 4.8 परसेंट से घटाकर 4.4 परसेंट कर दिया है।

ग्रोथ पर असर
कुछ दिन पहले आईएमएफ ने भी मीडियम टर्म में चीन की ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 3.5 परसेंट कर दिया। इससे पहले चीन में 1989 में जीडीपी ग्रोथ 4.2 परसेंट और 1990 में 3.9 परसेंट रही थी। उसके बाद चीन की इकॉनमी में करीब तीन दशक तक भारी तेजी देखी गई। लेकिन रियल एक्टेट संकट ने चीन की परेशानी बढ़ा दी। इसकी शुरुआत दिसंबर 2021 में हुई जब एवरग्रेंड ने डिफॉल्ट किया था। इस कंपनी पर 300 अरब डॉलर से अधिक कर्ज है। पिछले हफ्ते कंपनी के फाउंडर और चेयरमैन को हिरासत में लिया गया था। रियल एस्टेट से जुड़ी कई दूसरी कंपनियां भी संकट में हैं।

प्रॉपर्टी मार्केट में ठहराव से चीन की सरकार ग्रोथ बढ़ाने के वैकल्पिक उपाय खोज रही है। पिछले महीने राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नए तरह के औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने पर जोर दिया था। उनका इशारा ग्रीन टेक्नोलॉजी की तरफ था। हाल के दिनों में चीन की इकॉनमी को लेकर उपभोक्ताओं और निवेशकों का विश्वास डगमगा गया है। Capital Economics के मुताबिक चीन की नेट हाउसहोल्ड वेल्थ 2022 में 4.3% कम हुई है। दो दशक में पहली बार ऐसा हुआ है। चीन को ग्रोथ के लिए कंज्यूमर स्पेंडिंग यानी उपभोक्ता खर्च को बढ़ाना होगा लेकिन इसके लिए सरकार के अपनी नीतियों में आमूलचूल बदलाव करने होंगे।

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