कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस रचेंगा नया कीर्तिमान,अब दुश्मन देशों की खेेर नहीं

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नई दिल्ली (New Dehli) । भारत (India)का लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (aircraft)तेजस रोज एक नए कीर्तिमान (record)रच रहा है। अब इसके ट्रेनर वर्जन (version)को बेंगलुरु में भारतीय वायु सेना (Indian Air Force)को सौंपा जाएगा। टेस्ट के दौरान तेजस का नया अवतार सभी मानकों पर खरा उतरा है। तेजस की निर्माता कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने इसे मील का पत्थर बताया है। इस एलसीए ट्रेनर को LT-5201 नाम दिया गया है। जबकि इसे लीड-इन फाइटर ट्रेनर यानी LiFT भी कहते हैं। बुधवार को बेंगलुरु में एचएएल भारतीय वायु सेना को पहला लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ट्विन-सीटर ट्रेनर संस्करण विमान सौंपेगा। इस मौके पर रक्षा राज्य मंत्री, भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी, एचएएल अध्यक्ष सी.बी. अनंतकृष्णन उपस्थित रहेंगे।

रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, एचएएल और भारतीय वायु सेना के बीच तेजस के करार में आठ ट्विन-सीटर ट्रेनर विमान की आपूर्ति करने की बात कही गई है।

तेजस का ट्रेनर वर्जन दो सीटों वाला ट्रेनर विमान है। यह तेजस मार्क 1 और मार्क 1ए लड़ाकू विमान के साथ एचएएल तेजस के तीन प्रॉडक्ट मॉडलों में से एक है। विमान की लंबाई 13.2 मीटर, चौड़ाई 8.2 मीटर और ऊंचाई 4.4 मीटर है। विमान की अधिकतम गति मैक 1.6 है और यह 50,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। इसमें हथियारों के लिए 9 हार्ड पॉइंट हैं।

पायलटों को दी जाएगी ट्रेनिंग
भारतीय वायुस सेना में तेजस के ट्रेनर वर्जन का शामिल होना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस वजर्न को उन्नत करने के लिए भारत कई सालों से काम कर रहा है। तेजस के ट्रेनर का उपयोग भारतीय वायु सेना के पायलटों को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाएगा। इससे विमानन उद्योग में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने की प्रक्रिया में मदद मिलेगी। यह विमान भारतीय पायलटों को आधुनिक लड़ाकू विमान चलाने के लिए आवश्यक अनुभव प्रदान करेगा और इसका उपयोग भविष्य के पायलटों को अन्य भारतीय लड़ाकू विमानों के लिए प्रशिक्षित करने के लिए भी किया जाएगा।

और भी देश दिखा रहे रुचि
एक एलसीए तेजस ट्रेनर विमान की लागत लगभग 280 करोड़ रुपये है, जो इसे चार पीढ़ी का सबसे सस्ता विमान बनाती है। एचएएल को एलसीए ट्रेनर के लिए पहले ही आठ ऑर्डर मिले थे जिन्हें फास्ट ट्रैक मोड में वितरित किया गया। इसकी कीमत के कारण कई देशों ने इस विमान को हासिल करने में रुचि दिखाई है, जो भारत के रक्षा निर्यात के लिए महत्वपूर्ण बढ़ावा हो सकता है।

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