फूंक-फूंक कर कदम रख रहे इजरायली IDF, हमास के ‘पाताल लोक’ में ना नेटवर्क, ना ऑक्सीजन
नई दिल्ली। गाजा पट्टी में हमास ने करीब 500 किलोमीटर लंबी सुरंगे बना रखी हैं, जहां बड़े पैमाने में लैंड माइन्स विस्फोटक, हथियार और गोला-बारूद छिपाकर रखे गए हैं। ये लैंड माइन्स और सुरंगे कहां-कहां हैं, इसका अंदाजा लगा पाना IDF के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है। यही वजह है कि इजरायली सुरक्षा बल तेजी से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। 2021 में इजरायली सेना ने दावा किया था कि उसने 100 किलोमीटर से ज्यादा की सुरंगे नष्ट कर दी हैं लेकिन हमास ने उससे भी ज्यादा लंबी सुरंगे बना ली हैं।
इजरायल-हमास युद्ध का आज 25वां दिन है। इजरायली सुरक्षा बल के जवान पिछले तीन दिनों से गाजा पट्टी में जमीनी घुसपैठ के बावजूद तीन मील से अंदर आगे नहीं बढ़ सकी है। इसके पीछे की वजह हमास की अंदरूनी किलेबंदी, इजरायली बंधकों की सुरक्षा और हमास द्वारा बनाई गई सुरंगे हैं। इजरायली सुरक्षा बल (IDF) के जवान इसी वजह से गाजा पट्टी में फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। उन्हें पता है कि एक चूक भारी सैन्य नुकसान करा सकता है।
कैसी-कैसी सुरंगें
गाजा में हमास नेता याह्या सिनवार ने दावा किया कि गाजा पट्टी में हमास की 500 किलोमीटर लंबी सुरंगें हैं और हाल की झड़पों में उनमें से केवल पांच प्रतिशत क्षतिग्रस्त हुई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि गाजा पट्टी में कई प्रकार की सुरंगें हैं। लेबनान के साथ उत्तरी सीमा पर, हिज़्बुल्लाह ने चट्टानों में रास्ते काटने के लिए हीरे की नोक वाली ड्रिल का इस्तेमाल कर सुरंगें बनाई हैं, जबकि, दक्षिणी सीमा पर, गाजा से मिस्र तक सुरंगों का उपयोग लंबे समय से माल की तस्करी के लिए किया जाता रहा है।
गाजा की इन सुरंगों का उपयोग इजरायली गांवों पर हमले करने और 2006 में इजरायली सैनिक गिलाद शालित के अपहरण के लिए भी किया जा चुका है। अभी भी इजरायली बंधकों को इन सुरंगों में छुपाकर रखा गया है। इनमें से कई सुरंगें तो 1960 के दशक की हैं।
कितनी खतरनाक हैं सुरंगें?
सैन्य विशेषज्ञ इन सुरंगों को सैनिकों का दुःस्वप्न कहते हैं और संकरे रास्तों में प्रवेश करने के प्रति आगाह करते हैं, जिनमें ऑक्सीजन की कमी होती है और तुरंत-तुरंत मोड़ पर मोड़ होते हैं। इन सुरंगों में ना तो मोबाइल नेटवर्क काम करता है और ना ही नाइट गॉगल्स कोई असर दिखा पाता है। जब ऐसी सुरंगों में सैनिक भूमिगत हो जाते हैं तो इज़रायल की अत्याधुनिक सेना जमीन के ऊपर मिलने वाले कई उच्च-तकनीकी फायदे से वंचित हो जाते हैं। इन सुरंगों में सांसों पर भी संकट होता है, इसलिए ऑक्सीजन आपूर्ति के साथ उतरना पड़ता है। इसके अलावा रासायनिक सुरक्षात्मक मास्क भी लाना होता है क्योंकि सुरंग के अंदर केमिकल गैस का बड़ा खतरा रहता है।
सुरंगों से निबटने की इजरायली सेना की योजना क्या
इजरायल सुरक्षा बल ने 2004 से ही ऐसी सुरंगों में प्रवेश करने, उसे साफ करने और नष्ट करने के लिए कॉम्बैट इंजीनियरिंग कोर की विशेष बल इकाई (याहलोम) की एक समर्पित उप-इकाई का गठन किया है। उसका हिब्रू नाम ‘समूर’ रखा गया है, जिसका अर्थ “नेवला” होता है। इजरायली सेना की नजर में वैसे सैनिक इस यूनिट में काम करने में सक्षम हैं जो नेवला की प्रकृति के हैं। यानी जो इंट्रोवर्ट हों और जिन्हें देश-दुनिया से कोई मतलब ना हो।
इजरायली फौज को इस काम के लिए ऐसे सैनिकों की तलाश है जो सुरंगों के अंदर क्लॉस्ट्रोफोबिक वातावरण को सहन कर सकते हैं, उन्हें “नेवला” बनने के लिए भर्ती किया जाता है। आईडीएफ ने निर्धारित किया है कि नौकरी के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार वे हैं जो ‘इंट्रोवर्ट और डिस्कनेक्टेड’ हैं।