समलैंगिक विवाह मुद्दे पर CJI चंद्रचूड़ ने कहा वह अपने फैसले पर कायम है

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अमेरिका पहुंचे भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि वह अपने फैसले पर कायम है। खास बात है कि शीर्ष न्यायालय ने समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था, लेकिन सीजेआई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने के पक्ष में थे।

वॉशिंगटन स्थित जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में उन्होंने कहा, ‘मैं मानता हूं कि कई बार वोट विवेक और कई बार वोट संविधान से होता है। और मैंने जो भी कहा उसपर कायम हूं।’ मुख्य न्यायाधीश अदालत के इस फैसले पर भी बरकरार रहे कि शादी में समानता का फैसला संसद पर छोड़ा जाना चाहिए। कोर्ट में सेम सेक्स मैरिज के मुद्दे पर 5 जजों ने सुनवाई की थी, जहां तीन जज इसके खिलाफ नजर आए।

पांच सदस्यीय बेंच का मानना था कि शादी में समानता के लिए कानूनों से छेड़छाड़ करना संसद के दायरे में जाना होगा। हालांकि, इस दौरान जजों में शादी का अधिकार और बच्चा गोद लेने के अधिकार के मुद्दे पर मतभेद रहे।

CJI ने कहा, ‘बेंच के सभी पांच जजों के आम सहमति से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि हमने समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर करने और क्वीर समुदाय के लोगों को हमारी समाज में बराबरी का अधिकार देने की दिशा में काफी प्रगति कर ली है। शादी के अधिकार पर कानून बनाने का फैसला संसद के काम के दायरे में आता है।’
क्या बोले थे सीजेआई

फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा था कि जीवनसाथी चुनना किसी के भी जीवन का अभिन्न अंग है। उन्होंने भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के हवाले से इस अधिकार का जिक्र किया था। उन्होंने समलैंगिक जोड़े के बच्चा गोद लेने की बात का भी समर्थन किया था। सीजेआई ने कहा था ऐसा कुछ नहीं है, जो साबित कर सके कि सिर्फ शादीशुदा हेट्रोसेक्शुअल कपल (जिसमें शामिल व्यक्ति दूसरे जेंडर की ओर आकर्षित होता है) ही बच्चे को स्थिरता प्रदान कर सकते हैं।

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