शहीद अब्दुल माजिद की मां का रो-रोकर बुरा हाल; 2017 में भाई दे चुका है शहादत

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जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए हवलदार अब्दुल माजिद के चाचा ने कहा कि उन्हें अपने भतीजे की शहादत पर गर्व है। शहादत की खबर सुनने के बाद अब्दुल माजिद की माता का रो-रोकर बुरा हाल है।

माता ने रोते हुए कहा बेटा छुट्टी पर घर आया था, अगर पता होता तो मैं उसे वापस जाने ही न देती। पैरा कमांडो माजिद बुधवार को धर्मसाल के बाजीमाल इलाके में आतंकवादियों के खिलाफ अभियान में शहीद हुए चार सैन्यकर्मियों में से एक हैं।

माजिद के चाचा मोहम्मद युसुफ ने कहा, ”हमें कालाकोटे इलाके में आतंकवादियों से मुठभेड़ में उनकी शहादत पर गर्व है। उनके भाई भी जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री (जेकेएलआई) के एक सैनिक थे जो वर्ष 2017 में पुंछ के भिम्बर गली इलाके में शहीद हुए थे। हम देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने के लिए तैयार हैं।” माजिद का परिवार नियंत्रण रेखा और सीमा बाड़ के बीच स्थित अजोट गांव में रहता है।

अफगानिस्तान में प्रशिक्षित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक शीर्ष कमांडर सहित दो आतंकवादी बृहस्पतिवार को राजौरी में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए। यूसुफ भी सेना का हिस्सा रहे हैं और जेकेएलआई से सिपाही पद से सेवानिवृत्त हैं। यूसुफ ने कहा कि हम देश की रक्षा के लिए एलओसी पर रहने वाले सैनिकों का परिवार हैं। सेना में सेवा करना हमारे खून में उन्होंने कहा, ”हमारे परिवार में 30 से 40 सदस्य हैं जो भारतीय सेना में सेवारत हैं या फिर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सेना में सेवा करना हमारे खून में है। मेरा बेटा भी सेना में कार्यरत है

सैनिक होने पर गर्व महसूस होता है।” पूर्व सैनिक ने पाकिस्तान द्वारा बार-बार नापाक हरकतों से नाराज होकर पड़ोसी देश को मुंहतोड़ जवाब देने की मांग की है जिससे वे दोबारा ऐसा करने की हिम्मत न कर सकें।माजिद के परिवार को सांत्वना देने और शहादत को नमन करने लिए सैकड़ों लोग और रिश्तेदार उसके घर पहुंचे।

मैं उसे वापस जाने ही न देती वहीं, शहादत की खबर सुनने के बाद अब्दुल माजिद की माता को रो-रोकर बुरा हाल है। माता ने रोते हुए कहा मुझे क्या पता था कि मेरा मजीद अंतिम छुट्टी पर आया है। अगर पता होता तो मैं उसे वापस जाने ही न देती। बेटे के बलिदान की खबर के बाद से ही भूखी-प्यासी अपने बेटे के बलिदान पर आंसू बहाए जा रही हैं। माता का कहना है नौकरी पर जा रहे मजीद ने कहा था कि जल्द ही वापस आऊंगा। जब भी फोन पर बात करता तो मैं खाने की पूछती थी। वह कहता था कि अम्मा तुम भी बस एक ही बात पूछती हो।

कहा था कि वे जल्द ही घर आएंगे माजिद की पत्नी ने बताया कि सैनिक ने कुछ दिनों बाद घर आने के लिए कहा था लेकिन उसकी शहादत की खबर ने उन्हें झकझोर दिया। उनकी पत्नी ने कहा, ”अभी एक दिन पहले उन्होंने मुझे फोन किया था और कहा था कि वे जल्द ही घर आएंगे। मैंने कल उन्हें कई बार फोन किया लेकिन उनका मोबाइल बंद था। मुझे सेना से सूचना मिली कि वो मुठभेड़ घायल हो गए हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। लेकिन फिर उनके शहादत की खबर आई।”

पूरे क्षेत्र को उन पर गर्व है अजोट के सरपंच सुनील कुमार शर्मा ने कहा कि पूरे इलाके को माजिद पर गर्व है। उन्होंने कहा, ”हमारे बेटे और बहादुर जवान ने कालाकोटे में मुठभेड़ में शहादत हुई। पूरे क्षेत्र को उन पर गर्व है।” शुक्रवार को उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा। जैसे ही उनके पार्थिव शरीर को लेकर काफिला गांव में दाखिल हुआ तो उनके घर पर चीख-पुकार मच गई। बड़ी संख्या में घर पहुंचे लोगों ने भारत माता की जय, अब्दुल माजिद अमर रहें, आदि नारे लगाकर बहादुर जवान को श्रद्धांजलि दी।

अब्दुल माजिद के पार्थिव शरीर को पुलिस और सेना के उच्च अधिकारियों ने पुष्पांजलि अर्पित की। आतंकियों के साथ मुठभेड़ में जिन लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है उनमें कर्नाटक के रहने वाले 63 राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन एम वी प्रांजल, उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के रहने वाले विशेष बल के कैप्टन शुभम, जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले के रहने वाले विशेष बल के हवलदार अब्दुल माजिद, और उत्तराखंड के नैनीताल के रहने वाले लांस नायक संजय बिष्ट शामिल हैं

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