लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की तर्ज पर यूपी में भी फ्रेंडली फाइट ,भगवा खेमा उत्साहित नज़र आ रहा

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नई दिल्‍ली (New Dehli) । मिशन-2024 (Mission-2024)को लेकर विरोधी खेमे में उठापटक (upheaval)से भाजपा को मिशन-2024 के लिए अपनी राह और आसान (Easy)नज़र आने लगी है। जिस जातीय जनगणना (Census)के मुद्दे को तमाम विपक्षी (opposition)दलों ने जोर-शोर से उठाया था, अब वही उनके बीच तनाव का कारण बन रहा है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और सपा में मची होड़ से भगवा खेमा उत्साहित नज़र आ रहा है। आगामी लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की तर्ज पर यूपी में भी फ्रेंडली फाइट हुई तो भाजपा की राह और आसान हो जाएगी।

बीते दिनों ‘इंडिया’ गठबंधन के दो प्रमुख घटक दलों कांग्रेस व सपा के बीच खींचतान भले ही मध्य प्रदेश की टिकटों को लेकर हुई हो, मगर इस झगड़े की जड़ें यूपी से ही जुड़ी हैं। जानकारों का कहना है कि पिछड़ों और दलितों को लेकर कांग्रेस की आक्रामक राजनीति उसके सहयोगियों को ही रास नहीं आ रही। जातीय जनगणना का मुद्दा उठाने की होड़ में भी कांग्रेस दूसरों से आगे निकलते दिखी है। खैर, सपा-कांग्रेस के वाकयुद्ध ने सत्ताधारी दल को ‘इंडिया’ गठबंधन को घेरने का एक और मौका दे दिया।

विपक्ष की इस रस्साकसी में भाजपा नेता मजे लेने का कोई मौका भी नहीं चूक रहे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने इस लड़ाई पर कहा कि यह तो होना ही था। आगे-आगे देखिए होता है क्या। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने तो इस मुद्दे पर चुटकी लेते हुए बाकायदा अखिलेश यादव के समर्थन में कांग्रेसी दिग्गज कमलनाथ को नसीहत तक दे डाली। उन्होंने एक्स पर लिखा था कि समाजवार्टी पार्टी के मुखिया हैं अखिलेश यादव जी। मध्य प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ जी का उनको अखिलेश-वखिलेश, कहना उचित नहीं है। उनका नाम सम्मान से लिया जाना चाहिए।

दलितों और पिछड़ों को जोड़ने की मुहिम तेज

भगवा खेमा एक ओर विपक्ष के झगड़े से खुश है तो दूसरी ओर पार्टी ने दलितों और पिछड़ों को जोड़ने की मुहिम भी तेज कर दी है। क्षेत्रवार दलित सम्मेलन किए जा रहे हैं। जातियों को साधने के लिए उन्हीं के बीच काम कर रहे संगठनों को कमान सौंपी जा रही है। पार्टी के सभी दलित और ओबीसी विधायक-सांसद और मंत्री इस मोर्चे पर लगा दिए हैं। इसके अलावा भगवा खेमे की नजर युवा वोटरों और आधी आबादी पर है, जो पार्टी की नैय्या पार लगाते रहे हैं।

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