मजदूरों को बचाने के लिए सेना ने संभाला मोर्चा

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उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए 15 दिन बाद सेना ने मोर्चा संभाल लिया है।

पहाड़ की चोटी से सतलुज विद्युत निगम लिमिटेड (एसवीएनएल) ने वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू हो गई है। शाम तक 20 मीटर से अधिक खुदाई हो चुकी थी।

66 मीटर की ड्रिलिंग बाकी है। इससे पहले बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) के जवानों ने पेड़ काटकर पहाड़ की चोटी तक भारी मशीनरी ले जाने का रास्ता तैयार किया था।

अधिकारियों का कहना है कि ड्रिलिंग में कोई रुकावट नहीं आई तो दो दिन में मजदूरों तक पहुंच जाएंगे। ड्रिलिंग के दौरान ऑगर मशीन के टूटे हिस्से को निकालने का काम भी शुरू कर दिया गया है।

इसे निकालने के बाद पाइप लाइन से भी मैन्युअली खुदाई की जाएगी। इसके लिए सेना को मोर्चे पर लगाया गया है।

कई विकल्पों पर किया जा रहा काम

राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिडेट (एनएचआइडीसीएल) के मैनेजिंग डायरेक्टर महमूद अहमद का कहना है कि सुरंग से मजदूरों को निकालने के लिए कई विकल्पों पर काम किया जा रहा है।

रेल विकास निगम (आरवीएनएल) ने भी परपेंडिकुलर होरिजेंटल ड्रिलिंग कार्य शुरू किया है। केंद्रीय मंत्री वी.के. सिंह रविवार को सिल्क्यारा पहुंचे और रेस्क्यू अभियान का जायजा लिया।

डॉक्टरों से नियमित बात

उत्तराखंड शासन के सचिव डॉ. नीरज खैरवाल ने बताया कि सुरंग में फंसे सभी श्रमिक सकुशल हैं। श्रमिकों से संवाद के लिए बीएसएनएल की मदद से अतिरिक्त कम्युनिकेशन सेटअप तैयार किया गया है।

श्रमिकों के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन एवं अन्य आवश्यक सामग्री है। श्रमिकों का निरंतर डॉक्टरों से संवाद करवाया जा रहा है। मनोचिकित्सकों से भी निरंतर परामर्श करवाया जा रहा है।

ड्रिफ्ट टनल बनाने का भी काम शुरू

श्रमिकों को निकालने के लिए ड्रिफ्ट टनल बनाने के विकल्प पर भी कार्य शुरू हो गया है।

टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसी) ने बडक़ोट साइड से टनल का निर्माण शुरू कर दिया है।

अब तक चार ब्लास्ट कर 10 मीटर का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। ब्लास्टिंग में विशेष सावधानी बरती जा रही है।

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