अब पानी से चलेगी गाड़ी, छत्तीसगढ़ में हो रहा तैयार,भूल जाएं पेट्रोल-डीजल.

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मोहम्मद जावेद पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों से परेशान होकर आगी गाड़ी, छत्तीसगढ़ में हो रहा तैयारपने भी कभी न कभी सोचा होगा कि, काश… गाडिय़ां पानी से चल पातीं तो कितना अच्छा होता।  आने वाले कुछ साल में यह मुराद आईआईटी भिलाई पूरी करने वाला है।

आईआईटी के प्रोफेसर्स और जर्मनी के शीर्ष वैज्ञानिक पानी से हाइड्रोजन तैयार कर इससे इंजन चलाने की रिसर्च में जुटे हैं। रिसर्च के शुरुआती चरण में जर्मनी के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर पानी को इलेक्ट्रोरेसिस करके हाइड्रोजन जनरेट करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।

हाइड्रोजन के ज्वलनशील पहलू को ध्यान में रखकर वैज्ञानिक इसे गाडिय़ों के लिए ईंधन के तौर पर इस्तेामल करने ग्रीन कैमिकल तैयार कर रहे हैं। प्रोजेक्ट में आईआईटी भिलाई के साथ दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों की टीम अलग-अलग देशों से जुड़ी हैं।

प्रोजेक्ट में लगेंगे चार साल
इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में आईआईटी भिलाई और वैज्ञानिकों को चार साल का समय लगेगा। जर्मनी की टीयू बर्लिन यूनिवर्सिटी इसमें अहम तकनीकी सपोर्ट देगी। इसके बाद राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के 8 संस्थान प्रोजेक्ट का हिस्सा होंगे। देश का एटॉमिक रिसर्च सेंटर भी इस प्रोजेक्ट में आईआईटी के साथ अहम भूमिका निभाएगा।

बन रहा व्हाइट पेपर बोर्ड
आईआईटी और जर्मनी के शीर्ष वैज्ञानिकों का दल भिलाई में इस प्रोजेक्ट पर रिसर्च शुरू कर चुका है। इसके लिए विशेष लैब भी तैयार की गई है। तीन दिनों में प्रोजेक्ट के तथ्यों को सहेजने के लिए एक व्हाइट पेपर बोर्ड तैयार किया गया है। प्रोजेक्ट आगे बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। रिसर्च सिर्फ पानी से वाहन चलाने तक सीमित नहीं होगी, बल्कि कारखानों में इस्तेमाल पर भी ध्यान दिया जाएगा।

ऑटोमोबाइल कंपनी से एमओयू
इस फ्यूल को इस्तेमाल करने के लिए विशेष इंजन की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए आईआईटी भिलाई ने ऑटो मोबाइल सेक्टर की दिग्गज कंपनियों के साथ एमओयू का प्लान किया है। कुछ कंपनियों ने इसके लिए सहमति दे दी है।

ईवी टेक्नोलॉजी से आगे बढ़कर ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल ही समय की जरूरत है। इससे पेट्रोल-डीजल और बिजली की निर्भरता कम होगी, साथ में पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।

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