मानसिक स्वास्थ्य की सही देखभाल व्यक्ति को खुश और समृद्ध जीवन जीने में करती है मदद: डॉ बी के सिंह

0

स्ट्रेस या तनाव एक प्रकार का मानसिक स्वास्थ्य विकार है जिसका जोखिम तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है

RANCHI: डाॅ विरेन्द्र प्रसाद सिंह, निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवाऐं, झारखण्ड की अध्यक्षता में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर आयोजन किया गया।

उन्होंने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर जागरूक करना और मानसिक बीमारियों के बारे में जानकारी प्रदान करना है।

मानसिक स्वास्थ्य की सही देखभाल व्यक्ति को खुश और समृद्ध जीवन जीने में मदद करती है। स्ट्रेस या तनाव एक प्रकार का मानसिक स्वास्थ्य विकार है जिसका जोखिम तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है।

युवा हों या बुजुर्ग, सभी उम्र के लोगों में इस विकार के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों के लिए अपने शारीरिक स्वास्थ्य की ही तरह से मानसिक सेहत का ख्याल रखना भी जरूरी है।

दोनों स्वास्थ्य एक दूसरे पर निर्भर होते हैं, यानी अगर आप स्ट्रेस-एग्जाइटी जैसी मानसिक समस्याओं के शिकार हैं, तो इसका असर शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करने वाले हो सकते हैं।

वर्तमान जीवनशैली में दबाव, चिंता और किसी तरह की परेशानी के कारण लोग मानसिक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। मानसिक विकार शरीर पर प्रभाव डालने के साथ ही व्यक्ति के मन में आत्महत्या तक के ख्याल आने का कारण बन जाते हैं।

इन्हीं मानसिक विकारों के प्रति लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
राज्य नोडल पदाधिकारी, मानसिक स्वासथ्य, डाॅ लाल मांझी ने कहा कि विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2023 लोगों और समुदायों के लिए ‘ मानसिक स्वास्थ्य एक सार्वभौमिक मानव अधिकार है‘ थीम के पीछे एकजुट होने का एक अवसर है।

ताकि ज्ञान में सुधार किया जा सके, जागरूकता बढ़ाई जा सके और सार्वभौमिक मानव अधिकार के रूप में सभी के मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने वाले कार्यों को आगे बढ़ाया जा सके।

मानसिक स्वास्थ्य सभी लोगों के लिए एक बुनियादी मानव अधिकार है। हर किसी को, चाहे वह कोई भी हो और जहां भी हो, मानसिक स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्य मानक का अधिकार है। इसमें मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों से सुरक्षित रहने का अधिकार, उपलब्ध, सुलभ, स्वीकार्य और अच्छी गुणवत्ता वाली देखभाल का अधिकार और स्वतंत्रता, स्वतंत्रता और समुदाय में शामिल होने का अधिकार शामिल है।

तनाव की वजह भले ही मनोवैज्ञानिक हो लेकिन व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। जब व्यक्ति किसी वजह से तनावग्रस्त होता है तो इससे उसे कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं परेशान करने लगती हैं। तो ऐसे करें स्ट्रेस को मैनेज।
राज्य परामर्शी, मानसिक स्वास्थ्य, श्रीमति शान्तना कुमारी ने कहा कि मानसिक तनाव आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी आम समस्या है पर जागरूकता के अभाव में अधिकतर लोग इसकी ओर ध्यान नहीं देते।

अगर सही समय पर उपचार न किया जाए तो शारीरिक स्वास्थ्य पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है। इससे बचाव के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, आइए जानते हैं

सबसे पहले पॉजिटिव और नेगेटिव स्ट्रेस को पहचानें

– आमतौर पर तनाव को एक नकारात्मक मनोदशा के रूप में देखा जाता है लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में सफलता हासिल करने के लिए थोड़ा तनाव जरूरी भी है और मनोवैज्ञानिक इसे पॉजिटिव स्ट्रेस का नाम देते हैं।

आइए जानते हैं कि तनाव हमारे जीवन पर किस तरह सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

– कुछ कार्यों में अच्छे प्रदर्शन के लिए थोड़ा तनाव होना जरूरी है। मसलन, खेल के मैदान, परीक्षा हॉल और स्टेज पर काम करते समय जब तक व्यक्ति के मन में थोड़ा तनाव नहीं होगा तो वह अच्छे ढंग से अपना कार्य पूरा नहीं कर पाएगा।

– तनाव व्यक्ति को उसके लक्ष्य से भटकने नहीं देता और वह ज्यादा सही ढंग से काम कर पाता है।
– अगर मन में थोड़ा स्ट्रेस हो तो वह हमें लगातार प्रयास करते रहने के लिए प्रेरित करता है।

अंत में सबसे जरूरी बात कि हर चीज की अति बुरी होती है इसलिए किसी भी कार्य के बारे में सोच-सोचकर बहुत ज्यादा स्ट्रेस न लें।

रामकृष्ण मिशन के स्वामी भवेशानन्द ने कहा कि सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वें भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित दुःखभाग् भवेत्।

अर्थात सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें, और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े के मंत्र के माध्यम से अपने जीवन तनाव से मुक्त कर सकते है।
डाॅ अजय बाखला, डाॅ सुरजीत, सुश्री अलीसा अरोरा डाॅ धाबले रामालिंगम इन सभी ने स्ट्रेस मैनेजमेंट के बारे में प्रतिभागियों की जानकारी दी।

स्ट्रेस मैनेजमेंटर की मुख्य बातें –

– अपनी दिनचर्या सुधारें और पूरी नींद लें।
– कार्यों की प्राथमिकता सूची बनाएं। सभी कार्यों को एक ही दिन में पूरा करने का दबाव महसूस न करें। जो कार्य ज्यादा जरूरी न हो, उसे बेझिझक छोड़ दें।

– किसी योग विशेषज्ञ से सीखकर कुछ नियमित रूप से ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें।

– अगर दूसरों की हर बात पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने की आदत से बचें अगर किसी की कोई बात आपको नापंसद हो तब भी उस पर ओवर रिएक्ट न करें।

– अति परफेक्शन की आदत से बचें क्योंकि इसकी वजह से व्यक्ति को बहुत स्ट्रेस होता है।

– किसी एक ही घटना या विषय के बारे में बार-बार न सोचें।
– जहां तक संभव हो झूठ न बोलें और न ही पीठ पीछे दूसरों की बुराई करें। ऐसी आदतें बेवजह तनाव को जन्म देती हैं।

– अपनी योग्यता और कार्यक्षमता की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए लक्ष्य निर्धारित करें। अति मत्वाकांक्षा से दूर रहें क्योंकि यह भी तनाव का बहुत बड़ा कारण है।

– जिंदगी के प्रति अपना नजरिया बदलें। अपनी खामियों के बारे में सोच कर दुखी होने के बजाय अपने अच्छे गुणो को पहचान कर उन्हें निखारने की कोशिश
इस अवसर पर डाॅ आर एन. शर्मा, उप निदेशक स्वास्थ्य सेवाऐं, डाॅ. रंजीत प्रसाद, नोडल पदाधिकारी, एन.यू.एच.एम., डाॅ शनि शर्मा, श्रीमति अकाई मिंज तथा राज्य सलाहकार/समन्वयक उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed