ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकती हैं ये 5 आदतें – aajkhabar.in

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नई दिल्‍ली. स्ट्रोक या मस्तिष्क (stroke or brain) की रक्त आपूर्ति में बस एक रुकावट ऑक्सीजन की आपूर्ति की अपर्याप्तता का कारण बनती है जिसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क क्षति होती है जो मस्तिष्क के कार्यों को परेशान करती है. मृत्यु और विकलांगता(death and disability) के प्रमुख कारणों में से एक, स्ट्रोक 25 वर्ष से अधिक आयु के 4 वयस्कों में से 1 पर हमला करता है और हर साल विश्व स्तर पर लाखों लोगों के जीवन के लिए खतरा बनता है.

स्ट्रोक बुजुर्गों में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से हैं, हालांकि स्वस्थ जीवन शैली (healthy lifestyle) अपनाकर इससे बचा जा सकता है. सौभाग्य से, आपकी उम्र या पारिवारिक इतिहास की परवाह किए बिना, आप अभी से स्वस्थ जीवनशैली की दिशा में काम करना शुरू कर सकते हैं और स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकते हैं. कोविड-19 के कारण जीवनशैली में बदलाव से स्ट्रोक का खतरा और बढ़ गया है. इन 5 अस्वास्थ्यकर व्यवहारों को समाप्त करने से आपके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है और स्ट्रोक का खतरा कम हो सकता है.

स्ट्रोक आने के 5 कारण

अस्वास्थ्यकर भोजन और स्ट्रोक
पौष्टिक भोजन (Nutritious food) चुनना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्ट्रोक की संभावना को 80% तक कम कर सकता है. फाइबर, कैलोरी, प्रोटीन, खनिज, विटामिन और वैकल्पिक पोषक तत्वों(nutrients) के सही अनुपात के साथ संतुलित आहार उच्च जोखिम वाले रोगियों में स्ट्रोक और अन्य हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकता है. सोडियम, नमक, संतृप्त वसा और चीनी का सेवन सीमित करने से रक्तचाप के स्तर, कोलेस्ट्रॉल(cholesterol) के स्तर और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. स्ट्रोक के जोखिम वाले मरीजों को मीट और अंडे की जर्दी को खाने से बचना चाहिए.

आलसी जीवन और स्ट्रोक
शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहना, गतिहीन गतिविधियां करना और खाली समय बिताना युवा पीढ़ी में आम हो गया है. आलसी जीवनशैली शरीर में चर्बी बढ़ाती है; मांसपेशियों (Muscles) की ताकत को कम करती है; बोन डेंसिटी, मेटाबॉलिज्म और शरीर के पूरे इम्यून सिस्टम को प्रभावित करती है. इसलिए, एक निष्क्रिय जीवनशैली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के जोखिम को बढ़ा देती है.

अगर आप भी आलसी हो गए हैं, तो अपनी उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति के अनुसार वॉकिंग (30-60 मिनट) या हल्के व्यायाम जैसी गतिविधियों की शुरुआत करें.

धूम्रपान, तंबाकू और स्ट्रोक
धूम्रपान और तंबाकू (smoking and tobacco) सेहत के लिए हानिकारक हैं और इससे मृत्यु और स्ट्रोक के जोखिम की संभावना बढ़ जाती है. तंबाकू में 7000 जहरीले रसायन होते हैं जो फेफड़ों (lungs) को प्रभावित करते हैं, शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाते हैं.

सिगरेट का धुआं कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बदल देता है जो हृदय रोग और स्ट्रोक का कारण बनता है. आप धूम्रपान न भी करें, लेकिन पैसिव स्मोकिंग (दूसरों के धुएं में श्वास लेना) भी खतरनाक है.

धूम्रपान छोड़ने से ऑक्सीजन का स्तर, स्वाद और सूंघने की क्षमता में सुधार होता है, परिसंचरण और फेफड़ों के कार्य में सुधार होता है. ये प्रभाव ध्यान देने योग्य हैं और स्ट्रोक और संबंधित बीमारियों की संभावना को कम करते हैं.

ड्रिंकिंग हैबिट्स और स्ट्रोक
ड्रिंक करने का तरीका हर व्यक्ति में अलग-अलग होता है, लेकिन अत्यधिक शराब का सेवन स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव डालता है. और यह स्ट्रोक के बढ़ती घटनाओं से जुड़ा है. अत्यधिक शराब उच्च रक्तचाप के स्तर में योगदान करती है और निश्चित रूप से हृदय की समस्याओं जैसे दिल की अनियमित धड़कन, कार्डियोमायोपैथी और स्ट्रोक को जन्म देती है.

शराब के सेवन को सीमित करने से उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के उतार-चढ़ाव कमी आती है, जो सीधे तौर पर स्ट्रोक के लिए जिम्मेदार होते हैं.

लापरवाही और स्ट्रोक
कोई भी जानलेवा बीमारी या तो रक्तचाप के स्तर, कोलेस्ट्रॉल या रक्त शर्करा के स्तर में असंतुलन का परिणाम होता है. ये जोखिम कारक उम्र के साथ बढ़ते हैं और कमजोर वर्ग पर हमला करते हैं, और जैसे ही आप इन तीन तत्वों की उपेक्षा करते हैं, वे शरीर के सामंजस्य को बाधित करते हैं.

सुनिश्चित करें कि आप नियमित रूप से अपने बीपी, शुगर की जांच करें और स्ट्रोक की संभावना को कम करने के लिए अपने कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित करें.

याद रखें कि स्ट्रोक मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में रुकावट है जो मुख्य रूप से अस्वास्थ्यकर जीवनशैली विकल्पों के कारण हो सकता है. अन्य अनियंत्रित कारक, जैसे पारिवारिक इतिहास, आयु, लिंग, आदि मौजूद हो सकते हैं, लेकिन एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखना एक ऐसा विकल्प है,जो ऐसे जोखिमों को कम करने में मदद कर सकता है.

नोट– उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्‍य जानकारी के लिए हैं इन्‍हें किसी प्रोफेशनल डॉक्‍टर की सलाह के रूप में न समझें. कोई भी सवाल या परेशानी हो तो विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.

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