RANCHI: खुदा से प्रेम और इबादत के लिए कोई उम्र नहीं होती। रमजान माह में रोजेदार रोजा रखकर खुदा की इबादत करते हैं।

इसमें बच्चे भी पीछे नहीं हैं। रांची क्षेत्र में बड़ी संख्या में बच्चे भी इस बरकत के महीने में इबादत कर रहे हैं।

खासकर ऐसे बच्चे अधिक उत्साहित हैं जो अपने जीवन में पहली बार रोजा रख रहे हैं। दिन भर रोजे में रहने के बाद वे इफ्तार कर रहे हैं।

आज हम बात कर रहे हिंदपीढ़ी बड़ी मस्जिद मरकज के पास रहने वाले मो इस्लाम की।

क्लास तीन, पांच मो अयान, मो अल्ताफ, मो नमीर रमजान महीना का पूरा रोजा रखा। पिता समाजसेवी सह बिजनेसमैन मो इस्लाम, माता सबा यास्मीन ने कहा की बच्चे जो घर में देखते हैं उसी से सीखते हैं।

माता पिता ने कहा की बच्चे पूरा रोजा पार कर लिया। वे स्कूल जाते हैं, पर स्कूल में अन्य बच्चों को लंच करते देखकर भी उन्हें भूख महसूस नहीं होती।

बच्चो का कहना है कि रोजा रखकर उसे काफी खुशी महसूस होती है।

पिता मो इस्लाम ने कहा कि बच्चे अपनी मां सबा यास्मीन से रमजान के पूरा रोजा रखने की बात करते है।

उनके मां की चिंता बढ़ जाती है, मां तो मां होती है। हमने उलेमा से सुना है कि बच्चे अपने घर से ही सीखते हैं। दादा मो अख्तर, दादी बशीरून खातून की दुआओं से बच्चो ने पूरा रोजा रखा।

पिता ने कहा की दो वर्ष से अलताफ और अयान रोजा रखते आ रहे हैं इस वर्ष छोटा भाई मो नमीर ने भाईयो को देखते हुए पूरा रोजा रखा।

माता पिता ने कहा की अगर बच्चो को थोड़ा सा केयर किया जाए तो बच्चे पूरा रोजा रख लेंगे।

पिता ने कहा कि एक दिन ऐसा भी हुआ की बड़ो के साथ बच्चो ने भी बगैर सेहरी खाए रोजा रखा। उस दिन उसकी मां बहुत डर गई थी।

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