कौन हैं सुप्रिया श्रीनेत, जिसपर कंगना रनौत को लेकर, एनसीडब्ल्यू ने की कारवाई की मांग

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नई दिल्ली। सोमवार को सुप्रिया श्रीनेत के इंस्टाग्राम अकाउंट से कंगना रनौत पर एक अपमानजनक पोस्ट किया गया।अभिनेत्री और अब बीजेपी की लोकसभा प्रत्याशी कंगना रनौत पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत घिर गई हैं।

इस पर विवाद छिड़ने के बाद सुप्रिया श्रीनेत ने सफ़ाई दी कि उन्होंने ये आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं की है। अपनी सफ़ाई में श्रीनेत ने कहा कि उनके फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट का एक्सेस कई लोगों के पास है।

इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कंगना रनौत ने कहा है कि हमें अपनी बेटियों को पूर्वाग्रहों के बंधनों से मुक्त करना चाहिए।

कंगना रनौत को बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया है।

उनकी उम्मीदवारी के एलान के बाद ही सुप्रिया श्रीनेत के इंस्टाग्राम अकाउंट से आपत्तिजनक पोस्ट किया गया।

सुप्रिया श्रीनेत इस समय कांग्रेस पार्टी के सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेफॉर्म को संभालने वाले विभाग की चेयरपर्सन भी हैं।

सुप्रिया श्रीनेत की सफ़ाई के बावजूद बीजेपी ने उनके बयान को लेकर हमलावर रुख़ अपनाया हुआ है।

वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर श्रीनेत के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है।

राजनीति में कदम रखने से पहले सुप्रिया श्रीनेत पत्रकारिता का जाना-माना चेहरा थीं।

दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास में मास्टर्स की पढ़ाई करने वालीं सुप्रिया श्रीनेत ने 17 सालों तक प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम किया।

मीडिया में श्रीनेत ने अपने करियर की शुरुआत साल 2001 में इंडिया टुडे से की और फिर साल 2004 में बतौर असिस्टेंट एडिटर एनडीटीवी से जुड़ीं।

उन्होंने साल 2008 में ईटी नाउ में बतौर चीफ़ एडिटर ज्वॉइन किया। इसी साल वह ईटी नाउ की पॉलिसी एडिटर बनीं। सुप्रिया श्रीनेत के लिंक्डइन अकाउंट पर दी गई जानकारी के अनुसार वह ईटी नाउ के रात 9 बजे के फ़्लैगशिप शो की प्रेज़ेंटर थीं। इस संस्थान में 10 साल लंबी पारी खेलने के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव से करीब डेढ़ महीने पहले सुप्रिया श्रीनेत ने कांग्रेस का हाथ थामा था।

सुप्रिया श्रीनेत कांग्रेस के पूर्व सांसद हर्षवर्धन की बेटी हैं। उत्तर प्रदेश के महाराजगंज सीट पर हर्षवर्धन ने कुल छह बार चुनाव लड़ा था।

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार हर्षवर्धन ने तीन बार यानी 1989, 1991 और 1998 में जनता दल की ओर से, 2009 और 2014 में कांग्रेस से और 1996 में बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, उन्हें जीत सिर्फ़ 1989 और 2009 में मिली थी।

साल 2019 में सुप्रिया श्रीनेत ने अपने दिवंगत पिता की संसदीय सीट महाराजगंज से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था।

उस समय कांग्रेस पार्टी ने जेल की सज़ा काट रहे राजनेता अमरमणि त्रिपाठी की बेटी तनुश्री त्रिपाठी को महाराजगंज से उम्मीदवार बनाया। लेकिन तनुश्री त्रिपाठी का नाम शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की सूची में भी आने से कांग्रेस को किरकिरी झेलनी पड़ी।

इसके बाद कांग्रेस ने चुनाव से एक महीने पहले सुप्रिया श्रीनेत को यहां से प्रत्याशी घोषित किया।

इस चुनाव में करीब 75 हज़ार वोट पाने वाली सुप्रिया श्रीनेत को हार मिली लेकिन बीते पाँच सालों में पार्टी में उनका कद बढ़ता गया।

सुप्रिया श्रीनेत कांग्रेस में अभी कहां?

फिलहाल कांग्रेस के संचार विभाग की कमान पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश के हाथों में है।

पार्टी ने साल 2019 में सुप्रिया श्रीनेत को राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया था। उस समय सोनिया गांधी ने श्रीनेत की नियुक्ति को मंज़ूरी दी थी।

इसके बाद सुप्रिया श्रीनेत ने देश के हर छोटे-बड़े मुद्दे पर अपनी राय रखनी शुरू की। बीजेपी नेताओं के साथ टीवी डिबेट शो में सुप्रिया की तीखी बहस के कई वीडियो इंटरनेट पर काफ़ी वायरल हुए।

मणिपुर हिंसा हो, पहलवानों का बीते साल तत्कालीन कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ धरना प्रदर्शन या फिर राम मंदिर का उद्घाटन। सुप्रिया श्रीनेत ने हर मुद्दे पर बेबाकी से राय रखती दिखीं।

इसी साल राम मंदिर के उद्घाटन से पहले सुप्रिया श्रीनेत ने कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ अयोध्या का दौरा भी किया।

कांग्रेस पार्टी के अंदर सुप्रिया श्रीनेत के इसी आक्रामक अंदाज़ को पसंद किया जाने लगा। नाम न छापने की शर्त पर कांग्रेस के एक जानकार बीबीसी को बताते हैं कि सुप्रिया श्रीनेत बिना डरे जिस अंदाज़ में अपनी बात रखती थीं, उससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच भी उनकी लोकप्रियता बढ़ी। “कार्यकर्ता ये देखकर खुश हो जाते थे कि पार्टी में कोई है जो लड़ रहा है।”

उन्होंने कहा, “वो (सुप्रिया) किसी से डरती नहीं हैं। अभी भी उन्होंने घंटे भर में ये मान लिया कि गलती हुई है, ऐसा नहीं होना चाहिए था और उन्होंने वीडियो भी जारी किया।”

इस लोकप्रियता का फ़ायदा सुप्रिया श्रीनेत को पार्टी के अंदर भी मिलने लगा। प्रवक्ता बनने के कुछ ही महीनों के भीतर सुप्रिया श्रीनेत को कांग्रेस पार्टी के सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स का चेयरपर्सन नियुक्त किया गया। करीब दो साल से सुप्रिया श्रीनेत इस पद पर हैं।

बीते साल अगस्त में सुप्रिया श्रीनेत को कांग्रेस कार्यकारी समिति (सीडब्ल्यूसी) का सदस्य नियुक्त किया गया था।

सुप्रिया का पोस्ट और कंगना का जवाब

रविवार को भारतीय जनता पार्टी ने अभिनेत्री कंगना रनौत को हिमाचल प्रदेश की मंडी से पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया।

इसके बाद सुप्रिया श्रीनेत के इंस्टाग्राम अकाउंट से कंगना को लेकर एक अपमानजनक पोस्ट किया गया। सुप्रिया श्रीनेत का दावा है कि यह आपत्तिजनक टिप्पणी उनकी ओर से नहीं की गई है। सुप्रिया श्रीनेत ने एक्स पर अपनी सफाई में वीडियो भी जारी किया।

 

सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा, मेरे फेसबुक और इंस्टा के अकाउंट पर कई लोगों का एक्सेस है। इसमें से किसी व्यक्ति ने आज एक बेहद घृणित और आपत्तिजनक पोस्ट किया था।”

“मुझे जैसे ही इसकी जानकारी हुई मैंने वह पोस्ट हटा दिया। जो भी मुझे जानते हैं, वह यह अच्छी तरह से जानते हैं कि मैं किसी भी महिला के लिए व्यक्तिगत भोंडी बात नहीं करती हूँ।”

“मेरी जानकारी में आया है कि यह पोस्ट पहले एक पैरोडी अकाउंट (@Supriyaparody) पर चल रहा था। यहां से किसी ने यह पोस्ट उठाकर मेरे अकाउंट पर पोस्ट कर दिया।”

“मैं ऐसा करने वाले की पहचान में लगी हूं। साथ ही मेरे नाम का दुरुपयोग कर बनाए गए पैरोडी अकाउंट को भी एक्स में रिपोर्ट किया है।”

इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कंगना रनौत ने एक्स पर लिखा, “प्रिय सुप्रिया जी, एक कलाकार के रूप में अपने करियर के पिछले 20 सालों में मैंने हर तरह की महिलाओं का किरदार निभाया है।”

“क्वीन में एक भोली-भाली लड़की से लेकर धाकड़ में एक आकर्षक जासूस तक, मणिकर्णिका में एक देवी से लेकर चंद्रमुखी फिल्म में एक राक्षस तक, रज्जो में एक वेश्या से लेकर थलाइवी में एक क्रांतिकारी नेता तक की भूमिका निभाई।”

रनौत ने लिखा, “हमें अपनी बेटियों को पूर्वाग्रहों के बंधनों से मुक्त करना चाहिए। हमें उनके शरीर के अंगों के बारे में उत्सुकता से ऊपर उठना चाहिए।”

“सबसे बड़ी बात ये है कि हमें यौनकर्मियों के चुनौतीपूर्ण जीवन या हालातों को दुर्व्यवहार या अपमान के रूप में इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। हर महिला सम्मान की हक़दार है।”

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