इग्नू के 37वें दीक्षांत समारोह में सभी 69 केंद्रों से तीन लाख आठ हजार 605 छात्रों को, उपराष्ट्रपति ने प्रदान की डिग्री
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के 37वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि छात्रों को सिर्फ कोचिंग कक्षाओं पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
धनखड़ ने दीक्षांत समारोह के दौरान क्लिक कर डिजिटल माध्यम से देश भर में स्थित इग्नू के सभी 69 क्षेत्रीय केंद्रों से पढ़ाई पूरी करने वाले तीन लाख आठ हजार 605 छात्र-छात्राओं को डिग्री प्रदान की। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि आज छात्रों को सरकार में अच्छे पद पाने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं से परे सोचना चाहिए और उन अवसरों का पता लगाना चाहिए जो अब उनके लिए उपलब्ध हैं।
उपराष्ट्रपति ने सभी पहलुओं में भारत की विकास गाथा का उल्लेख करते हुए इस बात पर बल दिया कि अब राष्ट्र अपने संसाधनों से परिभाषित नहीं है; बल्कि अब देश अपनी असीमित क्षमता का अनुभव कर रहा है। भारत एक राष्ट्र के रूप में स्वयं को दृढ़ता से स्थापित कर चुका है। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे एक ऐसे भारत में प्रवेश कर रहे हैं, जो अब सुषुप्त अवस्था से जागृत अवस्था में प्रवेश कर चुका है।
देश में सक्षम इकोसिस्टम को रेखांकित करते हुए उन्होंने छात्रों विकास की इस अविश्वसनीय गति का लाभ उठाने, पारदर्शिता का उपयोग करने और आर्थिक उन्नति के परिदृश्य से लाभान्वित होने तथा अवसरों को व्यक्तिगत उत्कृष्टता में परिवर्तित करने का आग्रह किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि असाधारण आधारभूत अवसंरचना विकास, व्यापक प्रौद्योगिकी युग में प्रवेश, डिजिटलीकरण की तीव्र गति और पारदर्शी एवं जवाबदेह शासन के प्रति प्रतिबद्धता अब केवल प्रचलित शब्द नहीं बल्कि वास्तविकता बन चुके हैा।
उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन भारतीय नेतृत्व का प्रमाण बन गया है। छात्रों को यह याद दिलाते हुए कि वे परिवर्तकारी प्रौद्योगिकी में नए रुझानों से प्रेरित दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं, उपराष्ट्रपति ने छात्रों का आह्वान किया भारत@2047 के सच्चे सैनिक बनने के लिए ऐसी प्रौद्योगिकियों को अपनाएं। उन्हों ने कहा कि भारत की गतिशील स्टार्टअप संस्कृति ने विश्व का ध्यान आकृष्ट किया है। उन्होंने कहा कि कुछ महान नवाचार और सफलताएं ऐसे व्यक्तियों की खोज है, जिन्होंने लीक से हटकर सोचने का साहस किया है, जिन्होंने निडर होकर यथास्थिति को चुनौती दी है।