LG और AAP सरकार फि‍र आमने-सामने, इस नए मुद्दे पर छिड़ी जंग

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नई दिल्‍ली । दिल्ली की सियासत में पत्रों के जरिये आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। एलजी वीके सक्सेना ने मंगलवार को पानी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मंत्री आतिशी पर निशाना साधा। एलजी ने कहा कि जल संकट और एक घटना को लेकर मंत्री सियासत कर रही हैं। अगर इस तरह की समस्या है तो यह पिछले दस साल की निष्क्रियता और अक्षमता की स्वीकारोक्ति है। उधर, इसके जवाब में आतिशी ने पत्र लिखकर कहा कि एलजी को जब इस तरह के मामले में अफसरों पर कार्रवाई के लिए कहा जाता है तो तब वे चुप्पी साध लेते हैं…

मंत्री ने खुद की खामी मानी : उपराज्यपाल
दिल्ली में पेयजल संकट पर मंगलवार को मुख्यमंत्री को खुला पत्र लिखकर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार पर हमला बोला है। जल मंत्री आतिशी के पत्र का हवाला देते हुए लिखा है…‘उनका नोट पिछले दस साल की निष्क्रियता और अक्षमता की स्वीकारोक्ति है। आपके साथ इस समय सीधा संवाद नहीं हो सकता है, इसलिए यह खुला पत्र लिखा जा रहा है।

आतिशी के पत्र का हवाला देते हुए उपराज्यपाल ने लिखा है कि दिल्ली में पेयजल की आपूर्ति को रेखांकित करती हुई घटना का जिक्र करते हुए मंत्री ने अपनी ही सरकार को दोषी ठहराया है। दिल्ली में पानी को लेकर हुए विवाद के बाद शुक्रवार को एक महिला की हत्या कर दी गई थी। इस मामले पर जल मंत्री आतिशी की ओर से रविवार को उपराज्यपाल को पत्र लिखा गया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पानी को लेकर यह पहली घटना नहीं है, बल्कि दिल्ली सरकार की विफलता के चलते पानी की कमी को लेकर इस तरह की कई घटनाएं पहले भी होती रही हैं। राजधानी में खासतौर पर गरीब बस्तियों वाले इलाकों में पानी की समस्या है और पिछले दशक भर में यह और गंभीर हो गई है। उपराज्यपाल ने पत्र के साथ वर्ष 2017 से अब तक हुई कुछ घटनाओं की अखबारों की कटिंग भी संलग्न करने की बात लिखी है।

उपराज्यपाल ने लिखा है कि दिल्ली विधानसभा के हालिया बजट सत्र में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पिछले दशक में जल उपचार क्षमता में 906 एमजीडी से बढ़कर 946 एमजीडी हो गई, जो मुश्किल से 4.4 फीसदी की बढ़ोतरी है। इसी अवधि के दौरान शहर की जनसंख्या में लगभग 15 फीसदी बढ़ोतरी हो गई। पानी की बर्बादी को लेकर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने लिखा है कि पानी के ट्रांसमिशन और वितरण में घाटे, पानी की चोरी, पानी के रिसाव आदि का प्रतिशत 2015 में 45 फीसदी था, जो कि वर्ष 2022-23 में बढ़कर 58 फीसदी हो गया। यह इस बात की तरफ इशारा करता है कि पानी के रिसाव को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए।

उपराज्यपाल के अनुसार, दिल्ली के ढाई करोड़ लोगों में से दो करोड़ से अधिक लोग यानी 80 फीसदी अलग-अलग स्तर पर पीने के पानी की आपूर्ति से वंचित हैं। सात फीसदी घरों में अभी भी पाइप से पानी की आपूर्ति नहीं होती। वहीं, दिल्ली जल बोर्ड पर संचित ऋण और ब्याज देनदारी 73 हजार करोड़ रुपये है।

कार्रवाई क्यों नहीं करते एलजी : आतिशी
वहीं, एलजी के आरोपों पर जल मंत्री आतिशी ने पलटवार किया है। मंत्री ने कहा कि बार-बार कहने के बाद जल संकट के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करके, समस्या पैदा की जा रही है। मंत्रियों का ही नहीं, मुख्यमंत्री के निर्देशों का भी पालन नहीं किया गया। बतौर एलजी आप के पास दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई का अधिकार होने के बाद भी आप चुप रहे। ऐसा लगता है कि साजिश के तहत जल बोर्ड के फंड व काम दोनों को रोका गया है।

आतिशी ने कहा कि ऐसा लगता है कि राजनीति के तहत आप (एलजी) ने सिर्फ दिल्ली सरकार की निंदा करने के लिए यह पत्र लिखा है। मेरे बार-बार अनुरोध के बाद भी उन अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की, जिन्होंने अपना काम ठीक से नहीं किया। उसकी वजह से इस गरमी में दिल्ली के अंदर पानी का संकट बढ़ा है। अगर अधिकारी अपना काम करते तो दिल्लीवालों को पानी के संकट से छुटकारा मिल जाता।

अधिकारियों को कई बार लिखा पर काम नही हुआ आतिशी ने कहा कि यही नहीं, दिल्ली सरकार के मंत्रियों ने बार-बार अधिकारियों द्वारा काम नहीं करने को लेकर आप से शिकायतें कीं, लेकिन आप ना सिर्फ चुप रहे, बल्कि कई मौके पर आप ने उनका बचाव भी किया।

आप की मंत्री आतिशी ने अंत में लिखा कि अधिकारियों को कई बार जल बोर्ड की योजनाओं, पानी के संकट को लेकर लिखा गया, लेकिन काम नहीं हुआ। जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के काम नहीं करने पर आप को उन पर कार्रवाई के लिए लिखा, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई, जबकि आप के पास ही अधिकारियों पर कार्रवाई, उन्हें बदलने का अधिकार है।

कई बैठकों का हवाला दिया
जल मंत्री आतिशी ने कहा कि आप इससे इनकार नहीं कर सकते कि पानी की किल्लत की वजह से पूर्वी दिल्ली में एक हत्या हुई है। यह पानी की किल्लत जानबूझकर पैदा की गई है। आतिशी ने पत्र में मुख्यमंत्री द्वारा जल संकट से निपटने को लेकर बीते साल की गई बैठकों का हवाला देते हुए कहा कि अधिकारियों को छह माह में ट्यूबवेल लगाने का निर्देश दिया गया था, लेकिन वह नहीं हुआ। मुख्यमंत्री ने शहर में दूषित जलापूर्ति, शिकायतों के समाधान, की कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया था, लेकिन उस पर भी कुछ नहीं किया गया।

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