अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे प्रॉजेक्ट पर केंन्द्र सरकार का अहम फैसला, तीन एजेंसियों को मिला जिम्मा

0

ईटानगर। देश की उत्तरी पूर्वी सीमा पर चीन की दखलअंदाजी बढ़ती जा रही है। इस बीच केन्द्र सरकार ने अहम फैसला लिया है। ये फैसला है रोड कनेक्टिविटी को लेकर। कुछ दिनों पहले देश की सबसे बड़ी और सबसे मुश्किल परियोजनाओं में से एक अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे प्रॉजेक्ट का निर्माण शुरू करने का ऐलान हुआ था।

अब खबर है कि रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे मंत्रालयल ने प्रॉजेक्ट के लिए 6000 करोड़ रुपये आवंटित भी कर दिए हैं। यह आवंटन 11 अलग अलग पैकेजों के लिए किए गए हैं। जब प्रॉजेक्ट की घोषणा हुई थी तो चीन की ओर से इस पर जोरदार आपत्ति भी जताई गई थी। लेकिन उसके रवैये को भारत ने दरकिनार करते हुए इस हाईवे प्रॉजेक्ट पर काम शुरू करने की बात कही थी।

क्या है अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे प्रॉजेक्ट?

अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे का निर्माण चीन से लगने वाले बॉर्डर को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। हाईवे प्रॉजेक्ट की लंबाई करीब 1748 किलोमीटर होगी। जिसपर काम इस साल के अप्रैल से शुरू होगा। फ्रंटियर हाईवे एलएसी पर बॉर्डर से करीब 20 किलोमीटर नजदीक से गुजरेगा। हाईवे से यांगत्से की दूरी भी बहुत ज्यादा नहीं है। यांगत्से वही इलाका है जहां भारत और चीन के बीच झड़प देखने को मिली थी। हाईवे के तैयार होने के बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा के 5 किलोमीटर के दायरे के सभी गांवों को ऑल वेदर सड़कों के जरिए इससे जोड़ दिया जाएगा।

तीन एजेंसियों को मिला जिम्मा

रोड ट्रांसपोर्ट के टॉप लेवल अधिकारी ने कहा है कि इस काम का जिम्मा तीन एजेंसियो के पास रहेगा। यह तीन एजेंसियां है- स्टेट पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट, बॉर्डर रोड ऑर्गेनाईजेशन और नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन। पूरा प्रॉजेक्ट चरणों में किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि इस फाइनैंशियल इयर के खत्म होने तक अरुणाचल प्रदेश और पूरे उत्तर पूर्व में इस मेगा परियोजना की 400 किलोमीटर का काम पूरा कर लिया जाएगा। इससे स्थानीय लोगों के लिए कई नौकरियां पैदा होंगी।

नितिन गडकरी ने क्या बताया?

प्रॉजेक्ट के दो पैकेजों के लिए आवंटन की घोषणा करते हुए सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि इस सड़क के रणनीतिक विकास का मकसद क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाना है। इस हाईवे के निर्माण के बाद अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती गांवों से लोगों का पलायन कम हो जाएगा और सीमा पर हमारी सेनाओं की पहुंच के साथ-साथ मुस्तैदी भी बढ़ जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *