दुनिया के सबसे पावरफुल शख्स , पिछले हफ्ते भारत आए थे ब्लैकरॉक के लैरी फिंक
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नई दिल्ली: दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी ब्लैकरॉक के सीईओ लैरी फिंक हाल में भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने भारत और एशिया के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक फिंक और अंबानी नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिले। फिंक को अमेरिका के कॉरपोरेट वर्ल्ड में सबसे ज्यादा पावरफुल शख्स माना जाता है। ब्लैकरॉक इंक दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजर है। जून तिमाही में इसका एसेट अंडर मैनेजमेंट 9.43 ट्रिलियन डॉलर था। यह भारत की जीडीपी का करीब तीन गुना और अमेरिका की जीडीपी का आधा है। ब्लैकरॉक की हैसियत का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि दुनिया के कुल शेयरों और बॉन्ड्स का 10 फीसदी यही कंपनी संभालती है। यह दुनिया का सबसे बड़ा शेडो बैंक है। अगर हम यह कहें कि पूरी दुनिया इस कंपनी के कब्जे में है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। दुनिया के हर बड़े सेक्टर की बड़ी कंपनी में इसका हिस्सा है।
सूत्रों के मुताबिक फिंक ने नवी मुंबई में जियो कैंपस और बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में रिलायंस के रिटेल हब का दौरा किया। साथ ही उन्होंने रिलायंस की सीनियर लीडरशिप से भी मुलाकात की। जुलाई में जियो फाइनेंशियल सर्विसेज और ब्लैकरॉक ने एक जॉइंट वेंचर की घोषणा की थी। कंपनी की योजना डिजिटल फर्स्ट एसेट मैनेजर लॉन्च करने की है। अगस्त में रिलायंस की एजीएम में फिंक ने कहा था कि ब्लैकरॉक भारत में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स का मानना है कि भारत डिजिटल बदलाव के दौर से गुजर रहा है। ब्लैकरॉक ने 2018 में हेमेंद्र कोठारी की अगुवाई वाले डीएसपी ग्रुप के साथ हाथ मिलाया था। लेकिन कंपनी ने इसमें अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी।
भारत में बिजनेस
ब्लैकरॉक के भारत में इन्वेस्टिंग, ऑपरेशंस, एनालिटिक्स और कॉरपोरेट फंक्शंस में काम कर रही है। उसके भारत में 2,400 कर्मचारी हैं। कंपनी एशिया में 422 अरब डॉलर का एसेट मैनेज कर रही है जिसमें 15 फीसदी भारत में है। साथ ही उसके ग्लोबल क्लाइंट्स का भारत में 13 अरब डॉलर का निवेश है। कोरोना महामारी के बाद से देश में रिटेल इन्वेस्टर्स की संख्या में तेजी आई है। यह संख्या 3.6 करोड़ पहुंच गई है। रिलायंस का फोकस इन निवेशकों पर है। इस बारे में ब्लैकरॉक के ग्लोबल प्रवक्ता ने कोई जवाब नहीं दिया। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि ब्लैकरॉक का डिजिटल प्लेटफॉर्म अलादीन रिलायंस के प्लान में फिट बैठता है। यह डेटा और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से फाइनेंशियल सेक्टर में तहलका मचाने की क्षमता रखता है। एक सूत्र ने कहा, ‘उनकी पिछली बैठक जॉइंट वेंचर फाइनल करने के लिए थी और इस बैठक में आगे की योजना पर फोकस था।’ फिंक दूसरी बार भारत आए हैं। ब्लैकरॉक की स्थापना लैरी फिंक ने 1988 में की थी। फिंक ने पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई की थी लेकिन पैसा कमाने का ऐसा चस्का लगा कि शेयर मार्केट में घुस गए। साल 1988 में 35 साल की उम्र में फिंक ने खुद की कंपनी खोलने का फैसला किया था तब जाने माने इन्वेस्टर स्टीव स्वार्जमैन ने उनकी मदद की थी।
किन-किन कंपनियों में है निवेश
ब्लैकरॉक की दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कंपनी ऐपल में 6.5% हिस्सेदारी है। इसी तरह वेरिजॉन और फोर्ड में इसकी 7.25%, मेटा में 6.5%, वेल्स फर्गो में सात परसेंट, जेपीमोर्गन (JPMorgan) में 6.5% और डॉयचे बैंक में 4.8% हिस्सेदारी है। गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक में ब्लैकरॉक की 4.48% हिस्सेदारी है। भारत की भी कई बड़ी कंपनियों में इसकी हिस्सेदारी है। ब्लैकरॉक को दुनिया के सबसे प्रभावशाली फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन का अवॉर्ड मिल चुका है। इसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीन की सरकार भी इसे अपने यहां आने से नहीं रोक पाई थी।