ऑटिज्म न्यू जेनेरेशन की बीमारीःडॉ राजेश कुमार
इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स(आईएपी) रांची शाखा द्वारा
विश्व ऑटिज्म दिवस पर बालपन अस्पताल में जागरुकता अभियान प्रारंभ
RANCHI प्रसिद्ध शिशुरोग विशेषज्ञ एवं बालपन अस्पताल के निदेशक डॉ राजेश कुमार ने कहा कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक न्यू जेनेरेशन बीमारी है इसे हम हिन्दी में आत्म विमोह या स्व मग्नता कह सकते हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स(आईएपी) रांची शाखा द्वारा विश्व ऑटिज्म दिवस पर बालपन अस्पताल में आयोजित जागरुकता अभियान के मौके पर डॉ राजेश कुमार ने उक्त बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि यह बीमारी दो से पांच वर्ष तक के बच्चों में पाया जाता है। यह बीमारी जेनेटिक कारणों एवं न्यूक्लियर फैमिली और अकेलेपन के कारण बच्चों की देखभाल में पूरा समय नहीं देने के कारण भी होता है।
यह बीमारी लगभग तीन प्रतिशत लोगों में पाया जाता है। डॉ राजेश कुमार ने इसके लक्षण के बारे में बताया कि वैसे बच्चे जो नाम सुन कर भी रिस्पांस कम देना, अपनी उम्र के बच्चों के साथ खिलौने के साथ कम खेलना, 18 माह की उम्र तक कोई भी अर्थपूर्ण शब्द न बोलना, ये सिर्फ आपके द्वारा कहे शब्दों को रिपीट करते हैं। जिसे एकोलेलिया कहते हैं।
डॉ राजेश ने बताया कि उपरोक्त लक्षण बच्चे में दिखे तो इन बच्चों को ऑटिज्म के लिए स्क्रीनिंग किया जाना चाहिए। इसकी जांच के लिए एमसीएचटी(MCHAT) नामक स्क्रिनिंग प्रश्नावली का उपयोग कर पता लगाया जा सकता है।
कि क्या बच्चे को ऑटिज्म हो सकता है। यह ऑनलाईन भी उपलब्ध है। इस स्थिति में चिकित्सक से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ पीके गुप्ता ने कहा कि इन बच्चों को ब्हैवियर थेरेपी, अक्यूपेशनल थेरेपी के माध्यम से भी ठीक किया जा सकता है।
डॉ गुप्ता ने कहा कि बच्चे को माता पिता द्वारा देखभाल में पूरा समय नहीं देना, बच्चे में अकेलापन के कारण चिड़चिड़ापन हो जाता है।
साथ ही डिप्रेशन होने लगता है। वैसे बच्चे ऑटिज्म के शिकार हो जाते हैं। सही तरीके से बच्चे की देखभाल जरुरी है।
डॉ शैलेश चंद्रा ने कहा कि ऑटिज्म के शिकार बच्चों को जितना जल्द विशेषज्ञ डॉक्टर्स से इलाज शुरु कर देना चाहिए ताकि जितना जल्द इलाज प्रारंभ होगा उतना अधिक इलाज सफल होने की संभावना होती है।
प्रेसवार्ता में डॉ पीके गुप्ता, डॉ प्रेमरंजन, डॉ मीता पॉल, डॉ शैलेश चंद्रा और अनिताभ कुमार ने भी ऑटिज्म पर जानकारी दी।इस मौके पर बालपन अस्पताल के पीआरओ आर के पाठक भी उपस्थित थे।