ट्रूडो के इस बचकाने बयान से भारत विरोधी दूसरे संगठन भी मांगने लगें कनाडा से मदद
ओटावा। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अपने देश में मौजूद खालिस्तानियों की मौजूदगी को सही ठहराया है। खालिस्तानियों को भारत के खिलाफ मिलते संरक्षण के साथ ही बाकी संगठन भी उग्र होते जा रहे हैं। यह बात हाल ही में हुए घटनाक्रम से भी स्पष्ट हो जाती है जिसके तहत मणिपुर से जुड़े एक संगठन ने भी अब कनाडा से मदद मांगी है। इस संगठन ने राज्य में जारी हिंसा पर भी जो भाषण दिया वह भी चौंकाने वाला है।रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो ट्रूडो के इस बचकाने बयान का फायदा खालिस्तानियों के अलावा बाकी भारत-विरोधी तत्व उठाने लगे हैं।
कनाडा की धरती पर भारत विरोधी सोच
नॉर्थ अमेरिकन मणिपुर ट्राइबल एसोसिएशन (एनएएमटीए) की कनाडा शाखा की मुखिया लियन गैंगटे ने मणिपुर की जातीय हिंसा पर एक ‘विवादित भाषण’ साथ ही उन्होंने कनाडा से हर संभव मदद भी मांगी। यह कार्यक्रम खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के सरे स्थित गुरुद्वारे में आयोजित किया गया था। 18 जून को यहीं पर निज्जर को अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी। गैंगटे ने अपने भाषण में ‘भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले’ की निंदा की और कनाडा से इसमें हस्तक्षेप करने के लिए कहा।
एसोसिएशन ने सात अगस्त को फेसबुक और खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की हत्या से जुड़ी एक पोस्ट भी लिखी थी। एसोसिएशन के सदस्य और खालिस्तानी आतंकी निज्जर के समर्थकों की तरफ से एक मीटिंग भी हुई थी। यह घटनाक्रम भारत की एजेंसियों को चौंकाने वाला था। विशेषज्ञों के मुताबिक खालिस्तानियों ने अब सारी जमीन खो दी है। उनकी मानें तो वो अब बाकी भारत विरोधी समूहों को अपने साथ लाने और अपनी गतिविधियों को जारी रखने की कोशिश कर रहे हैं। एजेंसियां इन समूहों पर कड़ी नजर रख रही हैं और उन्हें शक है कि खालिस्तानी न केवल उन्हें फंड देंगे बल्कि ट्रूडो से भी समर्थन मांग सकते हैं।
ट्रूडो के झूठे आरोप
विशेषज्ञों के मुताबिक खालिस्तानी अब तक असफल रहे हैं। ट्रूडो के समर्थन और उनके झूठे आरोपों के बावजूद भी वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को नुकसान पहुंचाने या फिर भारत को परेशान करने में असफल रहे हैं। ऐसे में अब उन्हें ऐसे लोगों की तलाश है जिनकी मानसिकता भारत विरोधी हो और इस तरह छोटे समूहों को फंसाने की कोशिशें कर रहे हैं। उन्हें फंडिंग भारत विरोधी भावनाओं को आवाज देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच और खालिस्तानियों के वोट बैंक पर निर्भर ट्रूडो सरकार से निर्विवाद समर्थन का वादा किया जा रहा है।