बलूचिस्तान सरकार ने बालाच बख्श की हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले 44 कर्मचारियों पर कार्रवाई

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इस्लामाबाद । इस्लामाबाद में चल रहे बलूच विरोध के बीच बलूचिस्तान सरकार ने तुरबत और कोहलू में कुछ अधिकारियों समेत 44 सरकारी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। पाकिस्तान स्थित डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, बालाच मोला बख्श की कथित हत्या के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन और रैली में कथित तौर पर भाग लेने के आरोप में ये निलंबन किया गया है।
मकरान डिवीजन के आयुक्त ने एक आधिकारिक अधिसूचना जारी कर तुरबत में विभिन्न विभागों के 30 सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की पुष्टि की है। अधिकारियों के मुताबिक, यह फैसला हाल ही में जिला खुफिया समन्वय समिति की बैठक के दौरान लिया गया।
विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले 44 अधिकारी निलंबित
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, बैठक के दौरान इन अधिकारियों की पहचान सरकार विरोधी धरने और विरोध रैली में भाग लेने वालों को सहायता प्रदान करने के रूप में की गई। अधिसूचना के अनुसार, बैठक की सिफारिशों के आधार पर, आयुक्त ने ग्रेड 1 से 15 तक के 30 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है और संबंधित विभागों के सचिवों को पत्र के माध्यम से ग्रेड 16 और उससे ऊपर के अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, कोहलू जिले में 14 सरकारी कर्मचारियों को धरने में भाग लेने और प्रतिभागियों का समर्थन करने के लिए निलंबित कर दिया गया था। अधिसूचना के मुताबिक, इन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई बलूचिस्तान कर्मचारी दक्षता और अनुशासन (बीईईडीए) अधिनियम, 2011 के तहत की गई। जिन कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है, उनमें से अधिकांश शिक्षा विभाग के हैं, जो विभिन्न स्कूलों में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।
पुलिस ने FIR दर्ज करने से किया इनकार
गौरतलब है कि, काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (सीटीडी) की फर्जी मुठभेड़ में बालाच बलूच और अन्य तीन की न्यायेतर हत्या के बाद तुरबत में लॉन्ग मार्च शुरू हुआ। अधिकारियों ने शव परिजनों को सौंप दिये। द फ्राइडे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, बालाच के परिवार ने शव को स्वीकार नहीं किया और विरोध प्रदर्शन के लिए शव को शहीद फिदा चौक पर ले गए। बालाच के परिवार ने अनुरोध किया कि शहर पुलिस उनकी एफआईआर स्वीकार कर ले। हालांकि, पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया। तभी से विरोध प्रदर्शन चरम पर है।

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