किसानों की चिन्ता, बासमती चावल के दाम में आई गिरावट

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केन्द्र सरकार और बासमती चावल उगाने वाले किसानों के बीच एक बार फिर ठनती नजर आ रही है क्योंकि बासमती चावल के न्यूनतम समर्थन मूल्य 1200 डालर प्राति टन निर्धारित कर दिए जाने से वर्तमान में बाजार में आ रही बासमती 1509 और 1718 वैरायटी की कीमतें 300 रुपए प्राति टन गिर चुकी हैं। बासमती की कीमतों में 500 से 600 रुपए प्राति क्विंटल गिरावट आ चुकी है और इससे किसानों का चितित होना स्वाभाविक है।

दरअसल किसानों की चिन्ता की वजह यही नहीं है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बासमती की मांग घट रही है। असल में होता यह है कि बासमती फसलों की खरीद सरकार द्वारा नहीं बल्कि निजी व्यापारियों और निर्यांतकों द्वारा की जाती है। निर्यांतकों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बासमती चावल के दामों में इसी तरह गिरावट जारी रह सकती है। अधिक एमईंपी होने के कारण भारतीय निर्यांतकों को हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय खादृा मेलों से खाली हाथ लौटना पड़ा क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय खरीददारों ने पाकिस्तान के बासमती को ज्यादा पसंद किया। चावल व्यवसाय से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार ने अपनी नीतियों में परिवर्तन नहीं किया तो बासमती का निर्यांत सिस्टम नष्ट हो जाएगा। उनका यह तर्व सही लगता है कि इस साल सभी आर्डर पाकिस्तान को तो मिल ही रहे हैं। इसको थोड़ा और स्पष्ट किया जाए तो यह बात निकल कर आती है कि 70 प्रातिशत बासमती का निर्यांत 700 से 1200 डालर प्राति मीट्रिक टन के दायरे में किया जा रहा है। स्वाभाविक है कि ऐसे में उच्च एमईंपी पर निर्यांत आर्डर मिलना बहुत मुश्किल है।

लब्बोलुआब यह है कि केन्द्र सरकार बासमती चावल उत्पादक किसानों के हितों के लिए व्यावहारिक कदम उठाए। किसानों की सलाह मान कर तत्काल बासमती चावल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बदलाव करे ताकि हमारे किसानों को फायदा हो और पाकिस्तान के बासमती चावल को आर्डर मिलना कम हो।

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