विरोध प्रदर्शन के चलते बांग्लादेश में बिगड़े हालत, छात्रों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प
नई दिल्ली । ढाका में भारतीय उच्चायोग ने बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों और छात्रों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में सलाह दी गई है कि वे देश में बढ़ती हिंसा की वजह से गैर-जरूरी यात्रा से बचें और अपने घरों से बाहर कम से कम निकलें। यह सलाह हाल ही में ढाका में छात्रों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़पों के बाद दी गई है। यह फैसला बांग्लादेशी सरकार द्वारा सभी सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों को बंद करने के बाद लिया गया है। बांग्लादेश में देश की सिविल सेवा नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है। इस प्रणाली के तहत कुछ विशेष लोगों को नौकरियों में आरक्षण दिया जाता है। इनमें पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाले सैनिकों के वंशज भी शामिल हैं।
हालत की गंभीरता को देखते हुए ढाका में भारतीय उच्चायोग और चटगाँव, सिलहट और खुलना में भारतीय सहायक उच्चायोगों ने भारतीय नागरिकों और छात्रों के लिए 24 घंटे आपातकालीन नंबर भी जारी किए हैं। इन फोन नंबर पर संपर्क कर सहायता मांगी जा सकती है। भारत सरकार स्थिति पर नज़र बनाए हुए है और बांग्लादेश में सभी नागरिकों को यात्रा की सलाह का पालन करने और तत्काल सहायता की आवश्यकता होने पर उच्चायोग या सहायक उच्चायोग से संपर्क करने की सलाह दी गई है।
अब तक कम से कम 6 लोगों की हुई मौत
वहीं गुरुवार को विरोध प्रदर्शन और तेज हो गए। ढाका में विभिन्न जगहों पर छात्रों और सरकारी अधिकारियों के बीच झड़प हुई है। ब्रैक यूनिवर्सिटी के पास मेरुल बड्डा में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को जाम कर दिया। इस दौरान पुलिस के साथ हिंसक झड़प भी हुई। इसमें कई लोग घायल हो गए हैं। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक सुबह होते-होते पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए आंसू गैस का भी इस्तेमाल किया। ढाका ट्रिब्यून ने बताया कि यह विरोध प्रदर्शन कथित तौर पर पुलिस बर्बरता के जवाब में शुरू हुआ है। छात्र इन प्रदर्शनों में घायल या मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग के साथ-साथ हिंसा मुक्त परिसर और कोटा प्रणाली में सुधार की मांग कर रहे हैं। इन प्रदर्शनों में अब तक कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई है।
छात्रों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखने की खाई है कसम
बांग्लादेश के छात्रों ने गुरुवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी रखने की कसम खाई है। उन्होंने प्रधानमंत्री शेख हसीना की ओर से शांति प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। उन्होंने इन प्रदर्शनकारियों को तुलना रजाकार से की थी।
इन विरोध प्रदर्शन को पूरे देश में बुलाने वाले नाहिद इस्लाम ने रॉयटर्स को बताया, “हम पूर्ण बंद की अपनी योजनाओं के साथ आगे बढ़ेंगे। सभी प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। सिर्फ अस्पताल और आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी।”
7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट करेगी फैसला
यह विरोध प्रदर्शन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा है कि 7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ सरकार की अपील पर सुनवाई करेगा जिसमें 1971 में पाकिस्तान से आजादी के लिए लड़ने वाले सैनिकों के परिवारों के लिए 30% आरक्षण लागू करने आदेश दिया गया था। पीएम हसीना ने छात्रों से फैसला आने तक धैर्य रखने को कहा है।