पन्नू के बयान पर कनाडा में मचा हंगामा, इंडो-कैनेडियन ने खालिस्तानियों को लेकर जताया विरोध

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ओटावा । कनाडा में हिंदू और भारत विरोधी अभियान थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में एक हिंदू मंदिर पर हमला किया। इसकी निंदा करने के लिए लिबरल पार्टी के सांसद चंद्र आर्य पर भी खालिस्तानी चरमपंथियों ने जुबानी हमला बोला। इस सबके बीच इंडो-कैनेडियन समुदाय के संगठनों ने कनाडा के राजनेताओं से अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए खालिस्तानी अलगाववादियों को दिए जा रहे संरक्षण को बंद करने का आह्वान किया है।

आपको बता दें कि एक वीडियो में एसएफजे के जनरल काउंसल गुरपतवंत पन्नू ने कहा, “आर्य और उनके समर्थकों जैसे लोगों के लिए कनाडा में कोई जगह नहीं है। उसने कहा, “आपको अपनी नागरिकता छोड़ देनी चाहिए और अपनी मातृभूमि भारत वापस चले जाना चाहिए।” पिछले साल सितंबर महीने में पन्नू ने “इंडो-हिंदू कनाडा छोड़ो, भारत जाओ” का नारा दिया था।

उन्होंने कहा, “आप न केवल भारत का समर्थन करते हैं, बल्कि आप खालिस्तान समर्थक सिखों के भाषण और अभिव्यक्ति के दमन का भी समर्थन कर रहे हैं।” उन्होंने कहा वे हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का जश्न मनाकर हिंसा को बढ़ावा भी दे रहे हैं। यह वीडियो पिछले साल 18 सितंबर को हाउस ऑफ कॉमन्स में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान के एक दिन बाद आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि 18 जून 2023 को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में निज्जर की हत्या और भारतीय एजेंटों के बीच संभावित संबंध के विश्वसनीय आरोप हैं।

आर्य ने बुधवार को एक्स पर पोस्ट किया, “हमने कनाडा के सामाजिक-आर्थिक विकास में बहुत अधिक सकारात्मक और उत्पादक योगदान दिया है। यह जारी रखेंगे। हिंदू संस्कृति और विरासत के हमारे लंबे इतिहास के साथ हमने कनाडा के बहुसांस्कृतिक ताने-बाने को समृद्ध किया है। हमारी भूमि को खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा दूषित किया जा रहा है। ऐसे लोग हमारे कनाडाई चार्टर ऑफ राइट्स द्वारा मिली हमारी स्वतंत्रता की गारंटी का दुरुपयोग कर रहे हैं।”

आर्य ने सोमवार को कहा, “मैं हमेशा से कहता रहा हूं कि खालिस्तानी चरमपंथी अपनी घृणा और हिंसा की सार्वजनिक बयानबाजी से आसानी से बच निकलते हैं। हिंदू-कनाडाई इसको लेकर चिंतित हैं। मैं फिर से कनाडाई कानून प्रवर्तन एजेंसियों से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने का आह्वान करता हूं। इससे पहले कि ये बयानबाजी हिंदू-कनाडाई लोगों के खिलाफ शारीरिक कार्रवाई में तब्दील हो जाए एजेंसियों को कार्रवाई करनी चाहिए।”

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