बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी पार्टी से हटा बैन, अंतरिम सरकार ने पलटा हसीना का फैसला

0

ढाका । बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने बुधवार को देश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी और उसकी छात्र शाखा बांग्लादेश इस्लामी छात्रशिबिर से बैन हटाने का फैसला किया है। इससे पहले शेख हसीना की सरकार ने इस प्रो-पाकिस्तानी संगठन पर बैन लगा दिया था। गृह मंत्रालय ने एक गजट नोटिफिकेशन जारी कर पार्टी और उसके सभी संगठनों पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध हटाने की घोषणा की है। अधिसूचना में कहा गया है कि बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी और उसके अंतर्गत आने वाले संगठनों के आतंकवाद और हिंसा के कार्यों में शामिल होने के कोई खास सबूत नहीं मिले हैं। वहीं आगे बताया गया है कि अंतरिम सरकार का मानना ​​है कि बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी और उसके संगठन किसी भी आतंकवादी गतिविधि में शामिल नहीं हैं।

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने और भारत में शरण लेने से चार दिन पहले उनकी सरकार ने 1 अगस्त को जारी एक आदेश के ज़रिए पार्टी और उससे जुड़े संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था। उस समय हसीना की सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर देश भर में हिंसक विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने का आरोप लगाया था। जुलाई में छात्रों ने सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा का विरोध करने के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू किए गए थे। हालांकि कोटा को अदालत ने रद्द कर दिया था लेकिन विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए थे और हसीना को पद से हटना पड़ा था।

जमात-ए-इस्लामी का दावा- भारत विरोधी नहीं

इस बीच बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख शफीकुर रहमान ने बताया कि उनकी पार्टी भारत के साथ अच्छे संबंध चाहती है लेकिन भारत को पड़ोस के लिए अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। रहमान ने यह भी कहा कि जमात भारत-बांग्लादेश के करीबी संबंधों का समर्थन करती है लेकिन यह भी चाहती है कि बांग्लादेश के पाकिस्तान, चीन और अमेरिका के साथ मजबूत और संतुलित संबंध हों। रहमान ने दावा किया कि जमात को भारत विरोधी पार्टी के रूप में भारत की धारणा गलत है और कहा है कि पार्टी किसी भी देश के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा, “हम बांग्लादेश के समर्थक हैं और बांग्लादेश के हितों की रक्षा करने में पूरी तरह से रुचि रखते हैं।”

किसी भी राजनीतिक दल पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं- BNP

वहीं बुधवार को प्रतिबंध हटाए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा, “हम किसी भी राजनीतिक दल पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने पत्रकारों से कहा, “संविधान लोगों को किसी भी पार्टी का समर्थन करने की इजाजत देता है।”

हसीना की सरकार ने पार्टी के कई नेताओं को दे दी थी फांसी

पार्टी को पहले जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के नाम से जाना जाता था। इसे सैयद अबुल अला मौदुदी के नेतृत्व में बंटवारे से पहले भारत में बनाया गया था। 1941 में स्थापना के बाद से इसे चार बार प्रतिबंधित किया जा चिका है। बता दे कि जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की एक प्रमुख सहयोगी थी जिसके सदस्यों ने 2001-2005 के दौरान गठबंधन सरकारों में मंत्री पद संभाले थे। 1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के दौरान हसीना की सरकार ने कई जमात नेताओं पर अपराध के आरोप लगाए थे। 2013 और 2016 के बीच पार्टी प्रमुख मोतीउर रहमान निजामी सहित पांच जमात नेताओं को दोषी ठहराया गया और उन्हें फांसी दे दी गई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *