यमन से भारत आकर निकलवाई 18 साल से कनपटी में फंसी गोली – aajkhabar.in
बेंगलुरु। यमन के दो बच्चों के पिता 29 वर्षीय सालेह (बदला हुआ नाम) को 10 साल की उम्र में दुकान से घर लौटते वक्त दो गुटों के झगड़े में गोली लग गई थी। वह 18 साल से अपनी कनपटी में गोली लिए जी रहे थे। इस शख्स ने यमन से भारत के कर्नाटक राज्य की राजधानी बेंगलुरु में आकर कनपटी में फंसी गोली निकलवाई। डॉक्टरों ने एक बेहद कठिन सर्जरी में गोली सफलतापूर्वक निकाल ली है। बताया जा रहा है किउन्हें बेंगलुरु में ऐसा इलाज करने वाले एक अस्पताल का पता लगा तो वह भारत आए। सर्जरी से पहले डॉक्टरों का कहना था कि उन्हें लगातार सिरदर्द और कान बहने की शिकायत थी। गोली लगने के बाद वह बहरे भी हो गए थे। काफी इलाज भी किया लेकिन, कोई फायदा नहीं हो पाया। अब सर्जरी के बाद वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं और अपने घर लौट चुके हैं। वे सिर में 3 सेमी लंबी गोली के साथ जी रहे थे, पिछले सप्ताह बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में डॉक्टरों ने सर्जरी करके उनके सिर से गोली निकाल ली है।
सालेह अपने भाई-बहनों, छह भाइयों और तीन बहनों के साथ यमन के गांव में पले-बढ़े। उनके पिता किसान थे और मां एक गृहिणी थीं। उनके घर के पास ही उनका एक खेत था जहां वे प्याज, टमाटर, आलू, लहसुन और गाजर उगाते थे। उनके घरवाले बताते हैं कि सालेह बचपन से ही एक्टिव थे और अक्सर पौधों को पानी देने और खाद देने में अपने पिता की मदद करते थे। 10 साल की उम्र में उनका जीवन बद से बदतर हो गया, जब एक दुकान से घर लौटते समय वह दो परस्पर विरोधी समूहों के बीच झड़प में फंस गये। इस दौरान गोलियां चली और एक उनके सिर पर लग गई। सालेह का कहना है, मैं गंभीर रूप से घायल हो गया था और बहुत खून बह गया। वह दोपहर की धूप थी और मुझे अस्पताल ले जाया गया। उन्होंने केवल घाव को साफ किया, लेकिन गोली निकालने की जहमत नहीं उठाई। चूंकि गोली कान को पार कर गई थी, इससे कान का बाहरी हिस्सा सिकुड़ गया था। काफी खून बह रहा था। गोली का एक हिस्सा हड्डी में धंस गया था, जिससे ऐसा घाव हो गया जो ठीक नहीं हो रहा था। मवाद जमा होने से बार-बार कान में इन्फेक्शन होता था। इसके बाद सिरदर्द की शिकायत होने लगी। उम्मीदों का शहर सालेह को कुछ दोस्तों के माध्यम से बेंगलुरु के एस्टर अस्पताल के बारे में पता चला और वह शहर में आए।
आरवी में ईएनटी और कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के प्रमुख सलाहकार डॉ. रोहित उदय प्रसाद ने कहा, जब गोली निकाली गई तो बड़े रक्तस्राव का खतरा था। सर्जिकल टीम ने गोली के संबंध में रक्त वाहिकाओं के स्थान का पता लगाने के लिए एमआरआई के बजाय एक कंट्रास्ट सीटी एंजियोग्राफी करने का विकल्प चुना। डॉ. प्रसाद ने कहा, हमने एक्स-रे का उपयोग किया, जिससे हमें गोली के सटीक स्थान का पता चला। हमने इसे सावधानी से किया और गोली को निकालने में कामयाब रहे। सर्जरी सफल रही और मरीज को कोई बड़ा रक्तस्राव नहीं हुआ। सालेह सर्जरी के बाद यमन वापस चले गए हैं और अब पूरी तरह से ठीक हैं।