बढ़ सकती है भारत के लिए मुश्किलें, डोकलाम समझौते के मूड में भूटान
नई दिल्ली (New Dehli) ;दशकों से भारत और भूटान के बीच अच्छे राजनीतिक और रणनीतिक संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच सैन्य साझेदारी भी रही है, लेकिन अब हालात बदलते दिख रहे हैं। 2017 में जिस डोकलाम के लिए चीन और भारत में आपस में तनातनी हो गई थी और लंबा विवाद चला था, उस पर अब भूटान ही झुकने के मूड में दिख रहा है। वह चीन के साथ डोकलाम पर समझौता कर सकता है और ऐसा होना भारत के लिए मुश्किल बढ़ाने वाला होगा। भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोरजी इन दिनों चीन के दौरे पर हैं। सोमवार को दोरजी और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की मुलाकात हुई, जिसमें सीमा विवाद समेत कई मामलों पर बात हुई।
चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हमारे कूटनीतिक संबंध बहाल होने से दोनों देशों के हित सधेंगे। दरअसल चीन के कुल 12 देशों के साथ सीमा विवाद थे, जिनमें से 10 से उसने मसला हल कर लिया है। फिलहाल भारत और भूटान ही ऐसे देश हैं, जिससे उसका सीमा विवाद चल रहा है। यदि भूटान से भी उसका कुछ समझौता हो जाता है तो फिर भारत अकेला देश होगा, जिसका भारत के साथ लद्दाख, अरुणाचल की सीमा को लेकर विवाद रहेगा। भूटान के उत्तर पश्चिम और मध्य क्षेत्र के 764 किलोमीटर के इलाके पर चीन दावा करता रहा है।
इसमें डोकलाम भी शामिल है। दरअसल भले ही यह इलाका भूटान के क्षेत्र में आता है, लेकिन उसे लेकर भारत ज्यादा संवेदनशील रहा है। डोकलाम एक घाटी और पहाड़ वाला इलाका है, जो चीन, भारत और भूटान की सीमा पर स्थित है। यहां बन रहा त्रिकोण भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर से जुड़ता है, जो देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए अहम है। इसके अलावा भूटान से कारोबार में भी यही अहम रास्ता है। इस पर यदि चीन का नियंत्रण हुआ तो यह भारत के लिए बड़ी टेंशन वाली बात होगी क्योंकि चिकन नेक कहे जाने वाले सिलिगुड़ी कॉरिडोर तक चीन की नजर होगी। यह भूरणनीतिक तौर पर इसलिए अहम क्षेत्र है क्योंकि तिब्बत की चुंबी घाटी से उत्तर में जुड़ता है।
भारत के लिए कितना अहम है डोकलाम पर कंट्रोल होना
इसके अलावा भूटान की हा वैली से पूर्व में और पश्चिम में यह सिक्किम से लगा हुआ है। इस तरह यदि भूटान से चीन का समझौता हुआ तो डोकलाम पर दो दिशाओं से चीन का नियंत्रण होगा। यही वजह है कि डोकलाम को लेकर भूटान से ज्यादा भारत संवेदनशील रहा है। भारत का भूटान से सुरक्षा को लेकर समझौता भी है और डोकलाम पर जब विवाद हुआ तो भारत से उसने मदद भी मांगी थी। लेकिन अब दोनों देशों के बीच बातचीत जिस दिशा में बढ़ रही है, उसमें भारत सीन से अलग दिख रहा है।
क्यों डोकलाम पाकर बेलगाम हो जाएगा चीन?
डोकलाम यदि चीन के हाथ जाता है तो उसे सैन्य बढ़त मिल जाएगी। किसी भी जंग की स्थिति में वह आसानी से भूटान को कुचल सकता है। इसके अलावा भारत के मुकाबले भी वह रणनीतिक तौर पर संवेदनशील क्षेत्र पर काबिज होगा। उसके लिए भारत पर सर्विलांस रखना भी आसान होगा। यदि इस इलाके तक चीन को सड़क मार्ग से पहुंच मिल गई तो वह आसानी से जंगी साजोसामान भारत की सीमा तक ला सकेगा। ऐसी स्थिति में यदि जंग हुई तो फिर निश्चित तौर पर चीन बढ़त की स्थिति में होगा।
भूटानी मंत्री के दौरे पर भारत रख रहा पैनी नजर
यही वजह है कि भारत लगातार भूटान से कहता रहा है कि वह डोकलाम के मसले पर कोई समझौता न करे। लेकिन अब भूटानी विदेश मंत्री के चीन पर भारत की पैनी नजर है। दोरजी से मीटिंग में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, ‘चीन भूटान के साथ सही दिशा में काम करने को तैयार है। हम चाहते हैं कि यह ऐतिहासिक अवसर हो और हम जल्दी से जल्दी सारे विवाद सुलझा लें। फिर चीन और भूटान की दोस्ती नई दिशा में होगी।’