चीनी सैनिकों से जारी झड़प के बीच दक्षिण सागर में फिलीपींस उतारेगा भारतीय ब्रह्मोस मिसाइल!

0

नई दिल्ली। दक्षिण चीन सागर में चीनी सैनिकों से जारी झड़प के बीच फिलीपींस को भारतीय ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल मिलने वाली हैं। इसी हफ्ते उसे क्रूज मिसाइल की डिलीवरी कर दी जाएगी। साल 2022 में इन्हें लेकर उसकी भारत के साथ डील हुई थी, फिर अगले साल यानी 2023 में उसके अधिकारियों को इसे चलाने की ट्रेनिंग मिली और अब फाइनली उसकी जल सेना के बेड़े में जल्द ही दुनिया की सबसे तेज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल शामिल होने वाली है।

मिसाइलों की डिलीवरी ऐसे समय में हो रही है जब साउथ चीन सी में चीन और फिलीस्तीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है और आक्रामक सैन्य लड़ाई पर पहुंच गया है। ऐसे में भारतीय मिसाइल फिलीपींस की चीन से सामना करने में मदद कर सकती हैं और दुनिया की सबसे लंबी तटरेखा पर देश को सुरक्षित करने में मदद करेगी।

और भी देश ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल खरीदने में दिखा चुके हैं दिलचस्पी
एक रिपोर्ट के मुताबिक, समुद्री सुरक्षा और एशियन सिक्योरिटी आर्किटेक्चर एक्सपर्ट डॉ. पूजा भट्ट ने बताया कि तट रेखा पर ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली खतरे का जवाब देने के लिए फिलीपींस सेना की मदद करेगी। ब्रह्मोस मिसाइल के साथ फिलीपींस उन साउथईस्ट एशियाई देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास सुपरसोनिक एंटी-शिप क्रूज मिसाइल हैं।

इंडोनेशिया के पास रूसी याकहोंत सुपरसोनिक मिसाइल है। वियतनाम के पास भी दो रूसी लैंड-बेस्ड बैशन-पी मोबाइल कोस्टल डिफेंस मिसाइल सिस्टम हैं। फिलीपींस के अलावा, इंडोनेशिया, वियतनाम और थाईलैंड भी ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल खरीदने में दिलचस्पी दिखा चुके हैं।

374 मिलियन डॉलर में हुई थी डील
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ अतुल डी। राने ने बताया कि ब्रह्मोस का लक्ष्य फिलीपींस के साथ लगभग 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुवर्ती ऑर्डर पूरा करना है। इसके लिए 2023 के अंत में फिलीपीन मरीन कॉर्प्स को मिसाइलों की डिलीवरी शुरू की जानी है। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि फिलीपींस सेना मिसाइल प्रणाली के भूमि-आधारित वर्जन का भी ऑर्डर दे सकती है। 31 दिसंबर, 2021 को फिलीपींस की सरकार ने घोषणा की थी कि उसने 374 मिलियन डॉलर में क्रूज मिसाइल खरीदने के लिए ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड को प्रस्ताव भेजा है।

दक्षिण चीन सागर पर विवाद क्यों है?
दक्षिण चीन सागर की सीमा उत्तर में चीन और ताइवान से लगती है। पश्चिम में यह वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर एवं दक्षिण में इंडोनेशिया और ब्रूनेई से लगती है। पूर्व में इसकी सीमा फिलीपींस से लगती है। चीन इस पर बहुत निर्भर है क्योंकि उसका 64 फीसदी व्यापार इस क्षेत्र से होता है। इसके करीब 70 प्रवाल द्वीप और टापू विवाद में हैं। इसकी सीमा से लगने वाले लगभग ये सभी देश यहां चौकियां बना रहे हैं। चीन अपने नाइन-डैश लाइन मैप के मुताबिक, 90 फीसदी हिस्से पर दावा करता है और कंट्रोल स्थापित करने के लिए उसने यहां भौतिक विस्तार किया है और सैन्य प्रतिष्ठानों का भी निर्माण किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed