चीनी लहसुन के आयात पर अमेरिका में उठ रहे सवाल, मल के पानी बीच उगाया जाता है किया दावा

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चीनी लहसुन के आयात पर अमेरिका में उठ रहे सवाल, मल के पानी में उगाने का सीनेटर ने किया दावा

अमेरिका में चीन के लहसुन को घटिया दर्जे का बताया जा रहा है और इसकी जांच की मांग की जा रही है. दावा किया जा रहा है कि चीनी लहसुन देश की सुरक्षा के लिए सही नहीं है.

इसके जांच के लिए एक अमेरिकी सीनेटर ने सरकार को चिट्ठी लिखी है. रिपब्लिकन सीनेटर रिक स्कॉट ने चिट्ठी में लिखा कि चीनी लहसुन दोयम दर्जे का है और देश के नागरिकों के लिए ये असुरक्षित है इसलिए इसकी जांच होनी चाहिए.

दुनिया के सबसे बड़ा लहसुन निर्यातक है चीन

अमेरिकी सीनेटर ने वाणिज्य मंत्री को लिखे चिट्ठी में दावा किया कि चीनी लहसुन को मल के पानी बीच उगाया जाता है. इसे सींचने के लिए हाइजीन का बिल्कुल ख्याल नहीं रखा जाता है. चीन दुनिया का सबसे बड़ा लहसुन निर्यातक देश है. अमेरिका में भी बड़ी मात्रा में लहसुन का आयात किया जाता है.

हालांकि वैज्ञानिक इस शिकायत पर उदासीन नहीं दिखते हैं. उनका मानना है कि मल के पानी से लहसुन को सींचने से इंसानी शरीर पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता है. मैकगिल यूनिवर्सिटी के द ऑफिस फॉर साइंस एंड सोसाइटी ने इस बारे में कहा है कि चीनी लहसुनों को मल के पानी को उर्वरक के तौर पर इस्तेमाल किया गया हो इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं.

वैज्ञानिकों ने बताया सुरक्षित

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में वैज्ञानिकों के हवाले से बताया गया है कि जिन फसलों को मल-मूत्र के उर्वरकों से तैयार किया जाता है वे सुरक्षित होती हैं. हालांकि इसकी बेहद कम गुंजाइश होती है कि मल-मूत्र के जरिए खाने में केमिकल पहुंचे. जानकारों का मानना है कि मल-मूत्र को उर्वरक के तौर पर इस्तेमाल करने से उर्वरक की किल्लत नहीं होगी. इसके अलावा अनाज सस्ते भी हो जाएंगे.

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