यक्ष्मा उन्मूलन के लिए जांच में लाएं तेजी: श्रीमती आराधना

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केंद्रीय अपर सचिव ने हजारीबाग और रांची के स्वास्थ्य केंद्रों का लिया जायजा, दिए आवश्यक निर्देश

एनएचएम के कार्यों की हुई समीक्षा

RANCHI: पूरे देश से दिसंबर 2025 तक यक्ष्मा का उन्मूलन कर देना है।

इसके लिए जरूरी है कि टीबी मरीजों की जल्द से जल्द पहचान कर इलाज प्रारंभ कर दिया जाए।

इससे इसके प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि यक्ष्मा उन्मूलन के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाने की आवश्यकता है।

यह बातें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की अपर सचिव श्रीमती आराधना पटनायक ने रिम्स प्रशासनिक भवन के सभागार में कहीं।

शुक्रवार को वह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखंड के कार्यों की समीक्षा कर रही थीं। उन्होंने कहा कि सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत राज्य के सभी बड़े औद्योगिक संस्थानों को नि-क्षय मित्र बना कर टीबी उन्मूलन में सहयोग लेना चाहिए।

इसके पूर्वी श्रीमती पटनायक ने हजारीबाग के चुरचू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, बांसडीह आयुष्मान आरोग्य मंदिर और रांची के ओरमांझी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया और वहां के चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों से कामकाज से संबंधित जानकारी लीं।

अपर सचिव ने हजारीबाग की उपायुक्त श्रीमती नैंसी सहाय से मिलकर आवश्यक निर्देश भी दिए।

ऱाष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक श्री अबु इमरान ने रिम्स सभागार में श्रीमती आराधना पटनायक का स्वागत किया और राज्य में अभियान के तहत चल रहे कार्यों की जानकारी दी।

हमारी टीम से टीबी बड़ा नहीं

श्रीमती पटनायक ने कहा कि यक्ष्मा उन्मूलन के लिए मिशन मोड में अभियान चलाने की जरूरत है।

मिशन मोड में जांच, इलाज, प्रचार-प्रसार और नि-क्षय आहार उपलब्ध कराने के लिए कार्ययोजना बनाएं और उसे गांव-गांव तक पहुंचाएं।

हमारी टीम से टीबी बड़ा नहीं है। एक-एक सहिया के हिस्से देखें तो बड़ी मुश्किल से एक या दो मरीज मिलेंगे। एक सीएचओ के लेबल से देखें तो पांच से सात मरीज हो सकते हैं। इसलिए टीबी बड़ा नहीं है।

जरूरत है बड़े स्तर पर टीबी मरीजों को पहचान करने और उन्हें दवा खिलाकर बीमारी समाप्त करने की।

उन्होंने कहा कि टीबी मरीज के परिजनों के लिए भी नि-क्षय आहार देने पर सरकार विचार कर रही है।

एसएचआरसी गठन का दिया निर्देश

श्रीमती आराधना पटनायक ने नेशनल हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर की तर्ज पर स्टेट हेल्थ रिसोर्स सेंटर के गठन का निर्देश दिया। विदित हो कि एनएचएसआरसी स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्षमता निर्माण, तकनीकी सहयोग और रणनीति के लिए काम करता है। उन्होंने एनएचएम झारखंड के लिए एचआर पॉलिसी जल्द बनाने और रेशनलाइजेशन के लिए भी आवश्यक निर्देश दिए।

श्रीमती आराधना पटनायक ने एनक्वास, लक्ष्य, सुमन, एनसीडी, लेप्रोसी, सिकल सेल एनीमिया, काला जार, डेंगू-चिकनगुनिया, एचआर सहित अन्य कार्यक्रमों की समीक्षा कीं और आवश्यक निर्देश दिए। स्वास्थ्य विभाग के कार्यों की सरहाना की और कहा की ग्रासरूट लेबल में अच्छा काम दिख रहा है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान सब सेंटर स्तर पर प्रसव हो रहा है, यह अच्छी बात है।

लगातार फील्ड विजिट करें

श्रीमती पटनायक ने कहा कि लगातार फील्ड विजिट करें। स्वास्थ्य व्यवस्था, दवाओं और किट की उपलब्धता की समय समय पर जांच करें और कमियों को दूर करने के लिए आवश्यक पहल करें। उहोंने कहा कि सीएचसी और पीएचसी लेबल पर प्रशिक्षण देकर और बेहतर व्यवस्था बनाएं ।

बैठक में प्रशासी पदाधिकारी लक्ष्मी नारायण किशोर, रिम्स अधीक्षक डॉ हिरेंद्र बिरुआ, डॉ बीरेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ बीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ अनिल, डॉ लाल माझी, डॉ जॉन एफ कैनेडी, डॉ प्रदीप, डॉ पुष्पा, डॉ कमलेश, डॉ रंजीत, डॉ पंकज, राज्य कार्यक्रम प्रबंधक अनिमा किस्कू, राज्य कार्यक्रम समन्वयक अकय मिंज सहित अन्य अधिकारी और कर्मी मौजूद थे।

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