सदर थानेदार की दादागीरी “मंथली सेट करो, नहीं तो धंधा-पानी समेट लो”
होटल एवं बार के मालिक युवा व्यवसायी ने डीजीपी से लगायी गुहार
RANCHI: सदर थानेदार कुलदीप कुमार के दादागीरी से कोकर का होटल एवं बार के मालिक युवा व्यवसायी अनिल चौरसिया परेशान है।
और अपने कारोबार समेट कर झारखंड छोडने की बात कही है।
वही राज्य के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कुछ दिन पहले ही चैंबर भवन में व्यवसायियों के साथ बैठक कर आश्वासन दिया था कि बेखौफ हो कारोबार करें, किसी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आने दी जाएगी।
पुलिस व्यवसायियों को सुरक्षा देने के साथ ही साथ हर तरह से सहयोग करेगी।
लेकिन डीजीपी के आश्वासन के बावजूद राजधानी रांची के सदर थाना प्रभारी कुलदीप कुमार और सदर डीएसपी की मनमानी से कोकर के एक युवा होटल व्यवसायी परेशान हो गये हैं।
परेशान हो कॉकटेल बार एवं पार्क स्ट्रीट होटल के संचालक युवा व्यवसायी अनिल कुमार चौरसिया ने कहा कि पुलिस का यहीं रवैया रहा, तो वे कारोबार समेट कर रांची छोड़ देंगे।
सदर थानेदार की दादागीरी से परेशान व्यवसायी अनिल कुमार चौरसिया ने डीजीपी से मामले की लिखित शिकायत कर डीएसपी व थानेदार के आतंक से छुटकारा दिलाने का आग्रह किया है।
डीजीपी से शिकायत कर कहा, हुजूर…ये पुलिस हैं या रंगदार, देते हैं धमकी, कहते हैं, यहां तो चलेगी उनकी ही दादागीरी।
कहते हैं -मैं हूं इलाके का थानेदार, चलेगी मेरी मर्जी, वर्ना…जानते ही हो।
छापामारी कर दबाव डाला जाता है कि मंथली सेट करो, तभी बार चला सकोगे।
वर्ना रेड तो पड़ेगा हीं।
और अवैध धंधे के आरोप में जेल भी भेज दिया जाएगा। ग्राहकों को भी परेशान करते हैं।
जांच के नाम पर होटलकर्मियों और ग्राहकों को करते हैं परेशान
चौरसिया ने कहा कि होटल व बार खुले काफी दिन हो गए हैं, कभी सदर थाना पुलिस ने परेशान नहीं किया था।
लेकिन, जब से सदर थानेदार कुलदीप कुमार बने हैं, तभी से जांच के नाम पर उन्हें परेशान किया जा रहा है।
जांच के नाम पर हर दो दिन पर बार में रेड कर कर्मियों के साथ ही साथ ग्राहकों को भी बेवजह परेशान किया जा रहा है।
युवा व्यवसायी अनिल चौरसिया ने कहा कि सदर डीएसपी और सदर थानेदार से परेशान हो चुके है।
हर माह पांच से छह बार होटल और बार में रेड के नाम पर ग्राहकों को तंग किया जाता है।
इन सब के पीछे मुख्य उद्देश्य सिर्फ पैसों की अवैध वसूली है।
सदर थानेदार कुलदीप कुमार अपने चालक हेमंत से कॉल कर बुलवाते हैं और धमकाते हुए कहते हैं कि हर माह का पैसा थाना में भेजवाते रहो और शांति से अपना बार व होटल चलाते रहो।
पैसे नहीं भेजोगे तो जानते ही हो क्या होगा।
रेड तो पड़ेगा ही, जेल भी भेज देंगे। कोई कुछ नहीं कर सकेगा. कोई न बचाएगा.
उत्पाद विभाग का नहीं मेरा आदेश चलेगा, 10 बजे बार बंद करो
पीड़ित व्यवसायी अनिल चौरसिया का कहना है कि झारखंड सरकार के उत्पाद विभाग का लिखित आदेश है कि बार रात 12 बजे बंद करना है, जबकि सदर थानेदार का कहना है कि इलाके में तो उनकी ही मर्जी चलेगी।
बार तो हर हाल में 10 से 11 बजे के बीच बंद करना ही होगा. वर्ना… जानते ही हो।
चौरसिया का कहना है कि रेड के नाम पर सदर पुलिस न सिर्फ होटलककर्मियों से बल्कि ग्राहकों के साथ भी बदसलूकी करती है,
बल्कि कई दफा जबरन उन्हें पूछताछ के बहाने थाना ले जाकर परेशान करती है।
कभी कभी तो हाजत में डाल कर परेशान करती है।
सदर पुलिस की कारस्तानी की वजह से धीरे-धीरे बार में ग्राहकों की संख्या हर दिन कम हो रही है और आर्थिक व मानसिक नुकसान ज्यादा हो रहा है।