न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से बचने के लिए स्वस्थ आदतें अपनाते हुए जीवनशैली में जरूरी बदलाव करने की जरूरत: रिम्स निदेशक
तीव्र स्ट्रोक में उच्च रक्तचाप प्रबंधन: क्रॉस-सेक्शनल डेटा संग्रह के साथ चरणबद्ध क्लस्टर यादृच्छिक परीक्षण” पर एक कार्यशाला का आयोजन
RANCHI : ICMR द्वारा वित्त फंड प्राप्त परियोजना “बुखार, हाइपरग्लेसेमिया, निगलने और तीव्र स्ट्रोक में उच्च रक्तचाप प्रबंधन: क्रॉस-सेक्शनल डेटा संग्रह के साथ चरणबद्ध क्लस्टर यादृच्छिक परीक्षण” पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।
रिम्स इस परियोजना के लिए समन्वय केंद्र है और इसके तहत वरीय-कनिष्ठ चिकित्सक, नर्स व स्ट्रोक प्रबंधन से जुड़े सभी को प्रशिक्षण दिया जायेगा। कार्यशाला में बुखार, शुगर और रक्तचाप प्रबंधन के साथ-साथ निगलने और बहु-विषयक टीम के महत्व पर चर्चा की गई।
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए निदेशक रिम्स ने कहा की आज के समय में स्ट्रोक और अन्य न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से बचने के लिए स्वस्थ आदतें अपनाते हुए जीवनशैली में जरूरी बदलाव करने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि ध्यान और योग से भी इन बिमारियों से बचा जा सकता है।
बौद्ध धर्म में वर्णित मैत्री के अभ्यास का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पारस्परिक संबंधों में सुधार से जीवन में तनाव कम होगा और बिमारियों से बचा जा सकता है।
न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र कुमार ने तीव्र स्ट्रोक में समय प्रबंधन के महत्व के बारे में बताया और कहा कि स्ट्रोक के 4 घंटे के अंदर थ्रंबोलाइसिस किया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि पिछले साल रिम्स में 3 थ्रंबोलाइसिस की गयी थी|
तीव्र स्ट्रोक के प्रवेश चरण में हाइपरग्लेसीमिया, बुखार और निगलने की समस्या को खराब तरीके से प्रबंधित किया जाता है, और रोगी के परिणामों से समझौता किया जाता है। साक्ष्य-आधारित दिशानिर्देशों के उपयोग से देखभाल में सुधार हो सकता है।
इस परियोजना के अध्ययन का उद्देश्य तीव्र स्ट्रोक के बाद रोगियों में बुखार, हाइपरग्लाइसीमिया और निगलने में कठिनाई के प्रबंधन में सुधार के लिए क्रॉस-सेक्शनल डेटा संग्रह के साथ चरणबद्ध क्लस्टर यादृच्छिक परीक्षण करना है।
कार्यशाला में डीन डॉ विद्यापति, न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र कुमार, माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार और निश्चेतना विभाग से डॉ शिवप्रिय मौजूद थे।