एक मृत अंगदाता कम से कम 8 लोगों की बचा सकता है जान : डॉ राजीव रंजन

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मेदांता के मरीज़ों एवं उनके परिजनों के लिए अंग दान जागरूकता सत्र का आयोजन

जुलाई के अंगदान माह के दौरान देश भर में मनाए जा रहे अंगदान जन जागरूकता अभियान का हिस्सा

RANCHI:   State Organ and Tissue Transplant Organization (SOTTO) झारखंड और मेदांता अब्दुर रज्जाक अंसारी मेमोरियल वीवर्स हॉस्पिटल, रांची ने संयुक्त रूप से स्वास्थ्यकर्मियों और मेदांता के मरीज़ों एवं उनके परिजनों के लिए अंग दान जागरूकता सत्र का आयोजन किया।

यह जुलाई के अंगदान माह के दौरान देश भर में मनाए जा रहे अंगदान जन जागरूकता अभियान का हिस्सा है।

सभा को संबोधित करते हुए डॉ राजीव रंजन, नोडल पदाधिकारी, SOTTO झारखंड ने कहा कि एक मृत अंगदाता कम से कम 8 लोगों की जान बचा सकता है और कई अन्य के जीवन में सुधार ला सकता है।

 

उन्होंने कहा कि, “चूंकि मृत व्यक्ति को मृत्यु के बाद अंगों की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए उसके अंगों को रिसाइकल कर के किसी जरूरतमंद व्यक्ति को नया जीवन दान दिया जा सकता है।

जीवनकाल में किडनी दान करने में दाता एवं प्राप्तकर्ता दोनों के लिए जटिलताएँ हो सकती हैं जिसकी संभावना मृत्यु पश्चात दान में कम है।

 

मेदांता के सीनियर किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ अमित कुमार ने अपनी प्रस्तुति में बताया कि कैसे एक ब्रेन स्टेम डेथ प्रमाणित दाता अंगों की मांग और आपूर्ति के अंतर को कम कर सकता है।

और अंग विफलता से जूझ रहे रोगियों के जीवन को बढ़ा सकता है।

मेदांता अस्पताल निदेशक  विश्वजीत कुमार ने कहा की, “दूसरे राज्यों के मुकाबले अंगदान एवं प्रत्यारोपण में झारखण्ड काफी पीछे है इसलिए अंगदान को बढ़ावा देने, इस से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने की आवश्यकता है जिसके लिए सभी हितधारकों को एक साथ मिल कर काम करना होगा।”

इस अवसर पर मेदांता के चिकित्सा अधीक्षक डॉ संतोष नायक ने अपना और अपनी पत्नी का मृत्यु पश्चात अंगदान करने का शपथ लिया।

आज के जागरूकता सत्र में मेदांता के सीनियर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ सिद्धार्थ मिश्रा एवं सीनियर किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ विजय कुमार सिंह ने भी अंगदान पर अपनी राय रखी।

सत्र में उपस्थित सभी चिकित्सक मृत व्यक्ति के अंगदान को बढ़ावा देने के लिए एक मत रहे।

कार्यक्रम में मेदांता ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर  बी बी एन तिवारी, SOTTO कंसलटेंट श्रीमती साल्विया एवं ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर डॉ स्वाति भगत मौजूद थीं।

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