फाइलेरिया रोधी दवाएं खाने के बाद मितली आना, चक्कर आना होते हैं शुभ संकेत : डॉ. बीरेन्द्र कुमार सिंह

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मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम के सम्बन्ध में हजारीबाग जिले में मीडिया सहयोगियों हेतु संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन

10 अगस्त से 9 जिलों में 1 करोड़ 27 लाख लोगों को खिलाई जायेंगी फाइलेरिया रोधी दवाएं

HAZARIBAGH :  झारखण्ड को जल्दी ही फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक स्तर पर प्रयास किये जा रहें हैं।

यही कारण है कि राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत चलाये जाने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय के साथ-साथ सामुदायिक सहभागिता और मीडिया सहयोगियों का भी सहयोग लिया जा रहा है।

इसी क्रम में, आज सिविल सर्जन कांफ्रेंस हाल, सदर अस्पताल, हजारीबाग में चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग, झारखंड एवं ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटेजीज संस्था द्वारा अन्य सहयोगी संस्थाओं, विश्व स्वास्थ्य संगठन, पीरामल स्वास्थ्य, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के साथ समन्वय बनाते हुए मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए झारखंड के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, भी.,बी. डी., डॉ. बीरेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि आगामी 10 अगस्त से राज्य के फाइलेरिया प्रभावित 9 जिलों दुमका, गोड्डा, जामताड़ा, हजारीबाग, चतरा, पलामू, लातेहार,पश्चिम सिंहभूम और सरायकेला-खरसावाँ में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम की शुरुआत की जायेगी।

इसमें तीन दवा यानी डीईसी, अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन के साथ यह कार्यक्रम चलाया जायेगा।

इस हेतु जिलों में 1 करोड़ 27 लाख जन समुदाय को बूथ और घर-घर जाकर दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है तथा किसी भी विषम परिस्थितियों से निपटने हेतु चिकित्सक के नेतृत्व में रैपिड रेस्पान्स टीमों का भी गठन किया गया हैं।

डॉ. सिंह ने कहा कि मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम में खिलाई जाने वाली फाइलेरिया रोधी दवायें पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार लोगों को छोड़कर, सभी को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन स्वास्थ्य कर्मियों के सामने करना है।

यह दवायें खाली पेट नहीं खानी हैं।

कभी-कभी इन दवाओं को खाने के बाद मितली आना, चक्कर आना जैसे लक्षण पैदा होते हैं लेकिन इसका यह मतलब होता है कि उनके शरीर में फाइलेरिया के परजीवी हैं।

हमें इसे शुभ संकेत की तरह लेना चाहिये, क्योंकि इससे यह मालूम हो गया कि दवा खाने के बाद शरीर में मौजूद फ़ाइलेरिया के परजीवी मर रहें हैं।

इसीलिए हम सभी को यह फाइलेरिया रोधी दवायें अवश्य खानी चाहिये। उन्होंने यह भी कहा कि हम सब फाइलेरिया मुक्त झारखण्ड के लिए प्रत्येक स्तर पर प्रयास कर रहें हैं।

कार्यक्रम में उपस्थित जिले के सिविल सर्जन डॉ. एस. पी. सिंह ने बताया कि हजारीबाग, फाइलेरिया मुक्त झारखण्ड के लक्ष्य को पाने के लिए राज्य के दिशा-निर्देशानुसार जिला स्तर से ब्लाक स्तर तक गाँव के अंतिम छोर की आबादी तक मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम को सफलता पूर्वक आयोजित कर रहा है।

उन्होंने कहा कि फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को फाइलेरिया का खतरा है।

उन्होंने बताया कि 10 अगस्त से जिले में शुरू होने वाले एमडीए कार्यक्रम के दौरान होने वाली गतिविधियों को सुनियोजित रणनीति के तहत सम्पादित किया जा रहा है।

इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि फाइलेरिया रोधी दवाईयों और मानव संसाधनों की कोई कमी न हो।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी कोऑर्डिनेटर डॉ. अभिषेक पॉल ने बताया कि किसी भी आयु वर्ग में होने वाला फाइलेरिया संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है।

फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे: हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों में सूजन) और दूधिया सफेद पेशाब (काईलूरिया) से ग्रसित लोगों को भीषण दर्द, और सामाजिक भेदभाव भी सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।

राज्य सलाहकार नीलम कुमार ने मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया कि वे अपने समाचार पत्रों के माध्यम से फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करें और उन्हें मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम के दौरान फाइलेरिया रोधी दवाएं स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही खाने के लिए प्रेरित करें।
राज्य परामर्शदाता बिनय कुमार ने मीडिया कार्यशाला के उद्देश्य बताते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा चलाये जा रहे प्रत्येक कार्यक्रम की सफलता में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के प्रतिनिधि मिथिलेश सिंह ने मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए सोशल मोबिलाइजेशन गतिविधियों के मह्य्व को बताया।

इस कार्यशाला में राज्य स्तरीय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा पदाधिकारियों के साथ ही वर्चुअल रूप से जुड़े हुए जिला स्तरीय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा पदाधिकारी,

स्थानीय मीडिया सहयोगियों, पीरामल स्वास्थ्य, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज संस्था, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के प्रतिनिधियों ने भी प्रतिभाग किया।

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