चिकित्सा आपात स्थितियों में, हर सेकंड मायने रखता है: डाॅ लाधु लकड़ा

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रिम्स मे बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

RANCHI : विश्व निश्चेतना दिवस के अवसर पर रिम्स में एनेस्थिसिया विभाग के द्वारा आम जनता के लिए बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) पर एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

16 अक्टूबर 1846 को पहली बार विलियम टी जी मोर्टन द्वारा मैसेट्यूचेट्स जनरल हॉस्पिटल, बोस्टन, अमेरिका में निश्चेतना विज्ञान का सफल प्रदर्शन किया गया था।

निश्चेतना विभाग, रिम्स के चिकित्सकों ने इसमें अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य आम लोगों को आवश्यक जीवन-रक्षक कौशल के बारे में जानकारी देना था।

जागरूकता कार्यक्रम में बुनियादी BLS तकनीकों को सिखाने पर ध्यान केंद्रित किया गया जो आपातकालीन स्थितियों में अति महत्वपूर्ण है।

आम जनता को इमरजेंसी स्थिति से अवगत कराया गया तथा उनकी पहचान कर त्वरित कार्यवाई की जाए, यह बताया गया।

एनेस्थिसिया विभागाध्यक्ष प्रो डॉ. लाधू लकड़ा ने इस कार्यक्रम के महत्व पर जोर दिया और कहा कि, “चिकित्सा आपात स्थितियों में, हर सेकंड मायने रखता है।

BLS कौशल के साथ जनता को सशक्त बनाकर, हम अपने समुदाय में जीवित रहने की दर में उल्लेखनीय सुधार कर सकते हैं।

डॉ मुकेश कुमार, सह प्राध्यापक के कुशल अध्यक्षता में यह ट्रेनिंग आयोजित की गई।

उन्होंने ने कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन को सरल तरीके से जन साधारण को समझाया।

इस कार्यक्रम में सहायक प्राध्यापक डॉ तुषार कुमार, डॉ सौरभ कुमार, डॉ भारती तथा डॉ सौरभ सुमन ने आम जन समूह को BLS की बारीकियाँ से अवगत कराया।

डॉ तुषार ने बताया कि कार्यक्रम को सभी उम्र और पृष्ठभूमि के लोगों के लिए सुलभ बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया था।

जिसके लिए किसी पूर्व चिकित्सा ज्ञान की आवश्यकता नहीं है।
इस कार्यक्रम में उलेखनीय बात यह रही की इसमें मानव पुतलों के माध्यम से ट्रेनिंग दी गई।

प्रशिक्षण के दौरान डॉ कौशल, डॉ विकास, डॉ गायत्री, डॉ सुप्रतीक एवं डॉ तौसीफ़ ने सहयोग दिया।

इस प्रशिक्षण के दौरान लोगों में अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिला। रिम्स सभी लोगों को इस निःशुल्क, जीवन रक्षक ट्रेनिंग में भाग लेने के लिए सदैव प्रोत्साहित करता रहा है।

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