भारतीय नौसेना का ये ट्रिपल प्लान ,महासगार में चीन के खुराफात से निपटने
नई दिल्ली: एलएसी (LAC) पर भारत और चीन के बीच जमीनी तनातनी में अभी कोई कमी नहीं आई है। इस बीच ड्रैगन अब समुद्र में भी भारत के खिलाफ चाल चलने में जुट गया है। दरअसल, अभी हिंद महासागर में चीन के तीन जहाजों पर भारतीय नौसेना कड़ी निगाह रखे हुए है। चीन और पाकिस्तान की नौसेना समुंदर में संयुक्त युद्धाभ्यास करने वाली है और भारत के कान खड़े हैं। भारत चीनी की किसी भी चाल से निपटने के लिए तीन प्लान के साथ तैयार है।
सूत्रों ने बताया कि नवंबर महीने में चीन और पाकिस्तान अरब सागर में ये संयुक्त युद्धाभ्यास करने वाले हैं। चीन का एक एंटी पायरेसी इस्कॉर्ट फोर्स (APEF) और पर्सियन गल्फ इलाके में मौजूद एक टैंकर एक इलेक्ट्रिक पनडुब्बी के साथ इस युद्धाभ्यास में शामिल होंगे।
रक्षा सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि अदन की खाड़ी में मौजूद चीन का 44वां APEF को 45वें APEF से रिप्लेस किया जाएगा। पनडुब्बी भी इस युद्धाभ्यास में शामिल होने के लिए आया है। भारतीय नौसेना इन सभी जहाजों पर नजर रख रही है। भारत मलक्का स्ट्रेट से लेकर पर्सियन की खाड़ी तक इन जहाजों पर पैनी निगाह बनाए हुए है।
इसके अलावा चीन का एक सर्वे और खुफिया जहाज शाई यान-6 भी श्रीलंका के कोलंबो में खड़ा है। भारत कई बार चीन की इस गतिविधि पर सवाल उठा चुका है। अगस्त में चीनी युद्धपोत हाई यांग 24 हाओ भी 140 नौसैनिकों के साथ कोलंबो में डेरा डाले हुए थे।
भारत पहले भी श्रीलंका से चीन के जहाजों को कोलंबो में खड़े करने की इजाजत देने के खिलाफ आवाज उठा चुका है। श्रीलंका पहले भी चीनी खुफिया और नौसैनिक जहाजों को अपने यहां आने की इजाजत दे चुका है। चीन का खोजी जहाज युआन वांग-5 अगस्त में हंबनटोटा पहुंचा था तब भारत और श्रीलंका के बीच कूटनीतिक तनातनी देखने को मिली थी।
भारतीय नौसेना पी-81 बेड़े के जरिए चीनी जहाजों पर नजर रखे हुए है। भारत समुद्री पेट्रोलिंग विमानों के जरिए ड्रैगन की हर हरकत की निगहबानी कर रहा है। इसके अलावा दो समुद्री ड्रोन MQ-9B भी मोर्चे पर तैनात हैं।
चीनी खुफिया जहाज पर बड़े एंटिना लगे हुए हैं। इसके अलावा अत्याधुनिक सेंसर और इलेक्ट्रिक उपकरण लगे हुए हैं। इसके अलावा खुफिया और निगरानी करने वाले सैटलाइट भी इसपर हैं। चीन अपने इस जहाज के जरिए समुद्री भूगोल और अन्य उपयोगी जानकारी जुटा सकता है। जिसका इस्तेमाल नेविगेशन और पनडुब्बियों के संचालन में किया जा सकता है।