धर्मशाला टेस्ट में दिखाएं कि आपका…हॉक-आई फाउंडर के लताड़ने पर माइकल वॉन ने तोड़ी चुप्पी..

0

रांची। रांची टेस्ट में जो रूट के विवादास्पद आउट के बाद इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने डीआरएस रूम के अंदर एक कैमरा और माइक्रोफोन रखने की वकालत ताकि पूर्ण पारदर्शिता रहे। वॉन के कमेंट को हॉक-आई के फाउंडर पॉल हॉकिन्स नेन ज्ञाम की कमी करारे देते हुए लताड़ लगाई थी।

हॉकिन्स लताडने के बाद वॉन ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा कि इंडिया वर्सेस इंग्लैंड पांचवें टेस्ट से फुल ट्रांसपेरेंसी दिखाएं। यह सीरीज का आखिरी मैच है, जो 7 मार्च से धर्मशाला के मैदान पर खेला जाएगा।

वॉन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, ”यह बहुत सिंपल है। फुल ट्रांसपेरेंसी के लिए रूम में लिए जा रहे सभी निर्णय दिखाएं। घर पर फैंस को दिखाएं कि आप कैसे ऑपरेट करते हैं। मैंने बस इतना ही मांगा है। भारत में अगले टेस्ट में इसे फुल प्लो में देखने के लिए उत्सुक हूं।” बता दें कि हॉक-आई टेक्नोलॉजी का मुख्य उपयोग एलबीडब्ल्यू निर्णयों की समीक्षा करने में होता है। हॉक-आई थर्ड अंडायर की वो आंख है, जो क्रिकेट मैच में असमंजस की स्थिति में बेहतर फैसले लेने में मदद करती है।

गौरतलब है कि कि हॉकिन्स एनालिस्ट पॉडकास्ट पर कहा कि मुझे लगता है कि कमेंटरी में थोड़ी ज्ञान की कमी है। वॉन का यह कहना दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि वह शानदार खिलाड़ी रहे हैं, उन्हें खेलते हुए देखकर बहुत मजा आया। वह बेहतरीन कमेंटेटर हैं और बहुत मनोरंजक हैं। लेकिन मुझे लगता है कि पत्रकारिता के लिहाज से यह खेल के प्रति उनकी एक जिम्मेदारी है। शायद, एक पत्रकार के रूप में वॉन की जो भूमिका है, उसके लिए थोड़ी और तैयारी की जरूरत है, जो उन्हें यह समझाने में मदद कर सकती है। इससे वह जो लिखेंगे तथ्यात्मक रूप से सही होगा। जिस तरह हॉक-आई पर तथ्यात्मक रूप से सही होने का दायित्व है, उसी तरह शायद पत्रकारों का भी दायित्व है

हॉकिन्स ने इसके अलावा बताया था कि डीआरएस ऑपरेटर कैसे काम करते हैं? हॉकिन्स ने कि हॉक-आई ट्रैकिंग के लिए आमतौर पर तीन लोग होते हैं और एक अन्य शख्स अल्ट्राएज हैंडल करता है। एक आउटपुट साइड को संभालता है और दो स्वतंत्र लोग हैं जो ट्रैकिंग करते हैं। इसलिए फेलियर का कोई प्वाइंट नहीं है। कैमरे दो ट्रैकिंग सिस्टम में होते हैं। दो सेट रीडर, दो अलग-अलग ऑपरेटर होते हैं। और इसलिए हर एक गेंद के साथ दो घड़ियां हैं, जिनपर ध्यान रखना होता है। आप जांचते हैं कि वे हमेशा एक जैसी हों। दो सिस्टम के बीच क्वालिटी कंट्रोल है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed