हमास के खिलाफ अमेरिकी प्रस्ताव को वीटो करने के बाद इजरायल बुरी तरह से भड़का

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नई दिल्‍ली (New Dehli)। संयु्क्त राष्ट्र में इजरायल (Israel)ने रूस और चीन को खूब खरी-खोटी (Very true-to-life)सुनाई। हमास द्वारा किए गए आतंकी हमलों (attacks)की निंदा करने वाले अमेरिका (America)द्वारा लिखित मसौदा (contract)प्रस्ताव को वीटो करने के बाद इजरायल इन दोनों देशों पर बुरी तरह से भड़का हुआ है। संयुक्त राष्ट्र में इजरायली राजदूत गिलाद एर्दान ने रूस और चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर आपके यहां भी इसी तरह का नरसंहार हुआ होता तो हमारी तुलना में आप लोग कहीं अधिक ताकत से कार्रवाई करते। यूएन में इजरायल ने कहा कि हम अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका ने हमास द्वारा इजरायली जमीन पर 7 अक्टूबर को किए आतंकी हमले की निंदा करने के लिए लिखित मसौदा प्रस्ताव जारी किया था। लेकिन, रूस और चीन ने अमेरिका के इस प्रस्ताव का वीटो कर दिया। रूस और चीन के इस कदम ने इजरायल को भड़का दिया है। इजरायली राजदूत गिलाद एर्दान ने कहा, “आपके मन में यह सवाल नहीं आया कि इस तरह के क्रूर नरसंहार के लिए ऐसे अमानवीय अत्याचार करने वाले आतंकवादियों के खिलाफ एक व्यापक सैन्य अभियान की आवश्यकता है ताकि उनकी आतंकवादी क्षमताओं को खत्म किया जा सके। यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे अत्याचार दोबारा कभी नहीं हो सकें।”

 

किन देशों का मिला साथ, किसने किया किनारा
टीएएसएस की रिपोर्ट के अनुसार, रूस और चीन ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मध्य पूर्व पर अमेरिका द्वारा लिखित मसौदा प्रस्ताव को वीटो कर दिया। मसौदा प्रस्ताव में कट्टरपंथी फिलिस्तीनी आंदोलन हमास द्वारा इज़रायल पर किए गए हमले की निंदा की गई और बंधकों की रिहाई और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के अनुपालन का आह्वान किया गया। हालांकि, प्रस्ताव को दस देशों का समर्थन जरूर मिला। TASS के अनुसार, रूस , चीन और संयुक्त अरब अमीरात ने इसके खिलाफ मतदान किया और दो अन्य राष्ट्र मतदान से अनुपस्थित रहे।

अमेरिकी प्रस्ताव के खिलाफ क्या बोला रूस
इससे पहले, मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में रूस के स्थायी प्रतिनिधि वसीली नेबेंज़्या ने कहा कि उनका देश अमेरिकी प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें इसमें कोई मतलब नहीं दिखता क्योंकि दस्तावेज़ में तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम की कोई मांग नहीं है। जवाब में एर्दान ने कहा कि वह उन लोगों के फैसले से स्तब्ध हैं जिन्होंने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। उन्होंने कहा, “जिन्होंने अमेरिका के नेतृत्व वाले प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया है, उन्होंने दुनिया को दिखाया है कि यह परिषद आईएसआईएस जैसे आतंकवादियों की निंदा करने का सबसे बुनियादी कार्य करने में असमर्थ है और इन जघन्य अपराधों के पीड़ितों की आत्मरक्षा के अधिकार की पुष्टि नहीं कर सकती है।

 

यूएन में इजरायल ने निकाली भड़ास
इजरायली राजदूत ने कहा, “हम हमारे अस्तित्व के लिए ख़तरे को ख़त्म करने का काम कर रहे हैं। दूसरी ओर वे देश भी हैं जो नरसंहार करने वाले आतंकवादियों को फिर से संगठित होने की अनुमति दे रहे हैं ताकि वे हमारा फिर से नरसंहार कर सकें”। उन्होंने दावा किया कि इज़रायल द्वारा अस्थायी निकासी के आह्वान को रद्द करना वास्तव में अविश्वसनीय है और यह परिषद जिन मूल्यों का प्रतिनिधित्व करती है, उनके खिलाफ है।

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