सामने आता रहा है हलाल का आतंकवादी कनेक्‍शन

0

– डॉ. मयंक चतुर्वेदी

देश भर में अनेक विमर्शों और अलोचनाओं के बीच एक विषय इस वक्‍त हलाल सर्टिफिकेट का भी चल रहा है, जिन्‍हें इस्‍लाम परस्‍ती है और जो हर हाल में गलत होते हुए भी इस्‍लाम के नाम पर मजहबी राजनीति करने में विश्‍वास करते हैं, उन्‍हें ‘सावन का अंधा’ कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा, क्‍योंकि एक बार उसकी जो धारणा बन जाए तो वह उसे हर हाल में सही मानने लगता है, फिर वह अनुचित ही क्‍यों न हो, इस्‍लाम के संदर्भ में ये हलाल प्रमाणपत्र भी कुछ ऐसा ही मामला है, जिसने आज अपनी अलग अर्थव्‍यवस्‍था खड़ी करने का तो प्रयास किया ही है, जो किसी भी कानून को नहीं मानती है तो दूसरी ओर इसका सबसे बड़ा घातक कदम यह है कि आतंकवाद को पोषित करने और कन्‍वर्जन में इसकी संलिप्‍तता बार-बार सामने आती रही है।

उत्तरप्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ का ह्दय से धन्‍यवाद है जो उन्‍होंने इसके ऊपर प्रतिबंध लगाने का काम किया है। यह बेवजह नहीं है, कि इससे प्राप्‍त धन आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ाने में उपयोग किया जा रहा है। इसके पीछे भी ठोस प्रमाण मौजूद हैं। मुंबई में हुए 26/11 के हमले के लिए अमेरिका के ‘हलाल’ प्रमाणित एक बूचड़ खाने से पैदा इकट्ठा किया गया था। इसका खुलासा तब हुआ जब इस आतंकी हमले की जांच के दौरान लश्‍कर-ए-तौइबा के दो आतंकयों डेविड हेडली (दाऊद गिलानी) और तहव्‍वुर राणा को गिरफ्तार किया गया।

भारत में आतंकवादियों को कानूनी सहायता मुहैया कराने में ‘हलाल’ सर्टिफिकेट से होनेवाली आय का उपयोग कैसे किया जा रहा है, इसका यह प्रमाण देखिए, जमीयत उलेमा ए-हिंद हलाल ट्रस्ट दिल्ली कई केसों में आतंकवादियों को जेल से छुड़ाने के लिए काम कर रहा है। जर्मन बेकरी ब्लास्ट केस (मिर्जा हिमायत बेग बनाम महाराष्ट्र सरकार) – फरवरी 2010 में पुणे के जर्मन बेकरी ब्लास्ट में 17 लोगों की हत्या और 64 लोग घायल हुए थे। इस आतंकी हमले का दोषी इंडियन मुजाहिद्दीन का आतंकी मिर्जा हिमायत बेग था। पुणे की सेशन कोर्ट के स्पेशल जज एन. पी. धोते ने 18 अप्रैल, 2013 को बेग को फांसी की सजा सुनाई थी। इसे कानूनी सपोर्ट यही जमीयत उलेमा ए-हिंद हलाल ट्रस्ट मुहैया कराती रही है।

यह एक दूसरा केस है, (अब्दुल रहमान बनाम कर्नाटक सरकार), अब्दुल रहमान ने रावलपिंडी में लश्कर-ए-तोइबा के आतंकी कैंप में प्रशिक्षण लिया था। साल 2004 में वह अवैध तरीके से मुंबई आया और मस्जिदों में मुसलमानों को जिहाद के नाम पर भारत के खिलाफ लड़ने के लिए उकसाता था। इसी तरह से पलारीवत्तम आईएसआईएस केस (अर्शी कुरेशी एवं अन्य बनाम केरल सरकार) यह केस फिलहाल एनआईए के अधीन है। इसके अंतर्गत केरल के रहने वाले बेस्टिन विन्सेंट ने इस्लाम धर्म अपनाकर अपना नया नाम याह्या रख लिया था। याह्या साल 2017 में आईएसआईएस में शामिल होने के लिए अफगानिस्तान भाग गया था। या फिर यह जयपुर का आईएसआई केस (सिराजुद्दीन बनाम राजस्थान सरकार) देखलीजिए, जिसमें कि मूलत: गुलबर्ग, कर्नाटक का रहने वाला मोहम्मद सिराजुद्दीन जयपुर में आईएसआईएस के लिए भर्ती का काम देखता था। वहीं, 26/11 मुंबई ब्लास्ट (सईद जबूद्दीन बनाम महाराष्ट्र सरकार ) – सईद जबूद्दीन का सम्बन्ध इंडियन मुजाहिद्दीन और लश्कर ए-तोइबा से है।

वस्‍तुत: जमीयत उलेमा ए-हिंद हलाल ट्रस्ट दिल्ली द्वारा आतंकियों को महंगे वकील एवं अन्‍य कानूनी सहायता के मामले यहीं नहीं रुकते दिखते, 2011 पुणे ब्लास्ट (असद खान और अन्य बनाम महाराष्ट्र एटीएस)- पुणे की जेएम रोड आतंकी हमले में इंडियन मुजाहिद्दीन का आतंकी असद खान मुख्य आरोपी है। इंडियन मुजाहिद्दीन केस (अफजल उस्मानी बनाम महाराष्ट्र एटीएस) – अफजल उस्मानी अहमदाबाद के 2008 आतंकी हमलें का आरोपी था। साल 2013 में वह नेपाल भागने की कोशिश में था लेकिन उससे पहले ही महाराष्ट्र एटीएस ने उसे उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया था।

2010 बैंगलुरु ब्लास्ट (कतील सिद्दीकी बनाम कर्नाटक सरकार) – बैंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम पर हुए आतंकी हमले के मुख्य आरोपी यासीन भटकल के साथ जिसमें इंडियन मुजाहिद्दीन का ओपरेटिव कतील सिद्दीकी भी शामिल था। यासीन भटकल यह इंडियन मुजाहिद्दीन का आतंकी है जोकि एनआईए की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल था। यासीन को 2013 में बिहार के मोतिहारी से गिरफ्तार किया गया था। यह 2008 अहमदाबाद ब्लास्ट, 2010 बेंगलुरु ब्लास्ट, और 2012 पुणे ब्लास्ट का मुख्य आरोपी है। जब आप खोजने जाते हैं तो इस प्रकार के अनेक प्रकरण सामने आते हैं, जिनमें कि जमीयत उलेमा ए-हिंद हलाल ट्रस्ट दिल्ली जैसी हलाल प्रमाणपत्र देनेवाली संस्‍थाएं इन आतंकियों को तमाम कानूनी सहायता उलब्‍ध कराने के साथ ही किसी न किसी रूप में आर्थ‍िक सहायता मुहैया कराती हुई दिखाई पड़ती हैं।

भारत के अलावा दूसरे गैर-मुस्लिम देशों में भी ‘हलाल प्रमाणन’ और आतंकवादियों के आपसी संबंधों का खुलासा बहुत बड़े स्‍तर पर हो ही चुका है। इसमें पश्चिम और यूरोप के कई देश शामिल हैं, जैसे फ्रांस में ‘हलाल’ खाद्य सामग्री का 60 प्रतिशत कारोबार उन संस्थाओं द्वारा किया किया है जिनका कि मुस्‍लिम ब्रदरहुड से संबंध है। इसी तरह से कनाडा की ‘हलाल’ प्रमाण संस्‍था मुस्‍लिम एसोसिएशन पर आतंकी संगठन ‘हमास’ को वित्तिय सहायता उपलब्‍ध कराने के आरोप जगजाहिर हैं।

फिलिस्‍तीनी इस्‍लामिक जिहाद का मुख्‍य आतंकी समी-अल-एरियन इस्‍लामिक सोसायटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका का संस्‍थापक सदस्‍य था, जिसने ‘हमास’ को कई मिलियन अमेरिकन डॉलर भेजे थे। ऐसे ही अनेक साक्ष्‍य आज आपको मौजूद मिल जाते हैं, जो यह पुख्‍ता करने के लिए पर्याप्‍त हैं कि कैसे ‘हलाल’ सर्टिफिकेट के नाम पर इकट्ठी की गई राशि का उपयोग आतंकवाद और गैर इस्‍लामिक लोगों को मारने, उनको धमकाने और इस्‍लाम के कन्‍वर्जन में किया जाता है। काश, अच्‍छा हो जिसे योगी आदित्‍यनाथ से समय रहते समझा और अपने राज्‍य में इस हलाल प्रमाण पत्र पर प्रतिबंध लगाया देश के अन्‍य राज्‍य भी इस प्रकार का कदम उठाने के लिए आगे आएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed