राज्यपाल, विधेयकों को मंजूरी देने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

0

सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार की याचिका पर केंद्र सरकार और केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।जनवरी 2020 में सहमति के लिए पेश बिलों के निपटाने में तमिलनाडु के राज्यपाल की ओर से देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सवाल उठाया।

सीजेआइ डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, तमिलनाडु सरकार की रिट याचिका पर हमारे नोटिस के बाद राज्यपाल ने दस विधेयकों पर सहमति रोकने का फैसला किया। राज्यपाल तीन साल तक क्या कर रहे थे? राज्यपाल को पार्टियों के सुप्रीम कोर्ट जाने का इंतजार क्यों करना चाहिए?

तीन साल से क्या कर रहे थे तमिलनाडु के राज्यपाल

सीजेआइ ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से कहा, गवर्नर का कहना है कि उन्होंने 13 नवंबर को इन बिलों का निपटारा कर दिया। हमारी चिंता यह है कि हमारा आदेश 10 नवंबर को पारित किया गया। ये बिल जनवरी, 2020 से लंबित हैं। इसका मतलब है कि गवर्नर ने कोर्ट के आदेश के बाद फैसला किया। एजी ने बताया कि विवाद सिर्फ उन विधेयकों को लेकर है, जो स्टेट यूनिवर्सिटी में कुलपतियों की नियुक्ति से संबंधित राज्यपाल की शक्तियों को छीनने का प्रयास करते हैं।

चूंकि यह महत्त्वपूर्ण मुद्दा है, इसलिए कुछ पुनर्विचार की जरूरत है। एजी ने कहा कि वर्तमान राज्यपाल आर.एन. रवि ने नवंबर 2021 में पदभार संभाला है। इस पर पीठ ने कहा कि चिंता किसी विशेष राज्यपाल के आचरण से संबंधित नहीं है, बल्कि सामान्य रूप से राज्यपाल के कार्यालय से संबंधित है। संवैधानिक कार्यों को करने में देर हुई है। यह सूचित किए जाने के बाद कि विधानसभा ने पिछले हफ्ते विशेष सत्र में दस विधेयकों को फिर से पारित कर दिया, पीठ ने राज्यपाल के अगले फैसले की प्रतीक्षा के लिए मामले की सुनवाई एक दिसंबर तक स्थगित कर दी।

अनुच्छेद 200 में यह है प्रावधान

तमिलनाडु सरकार की ओर से सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ के समक्ष कहा कि राज्यपाल बिना कारण बताए सहमति को रोक नहीं सकते। राज्यपाल ने सिर्फ एक पंक्ति लिखी, मैं सहमति रोकता हूं। सीजेआइ ने कहा, अनुच्छेद 200 के मूल भाग के तहत राज्यपाल के पास कार्रवाई के तीन तरीके हैं- वह अनुमति दे सकते हैं, अनुमति रोक सकते हैं या राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित कर सकते हं।

प्रावधान यह भी है कि राज्यपाल एक संदेश के साथ बिल विधायिका को दोबारा भेज सकते हैं। सीनियर वकील पी. विल्सन ने कहा कि यदि राज्यपाल को अनिश्चितकाल तक बिलों को रोकने की अनुमति दी गई तो शासन पंगु हो जाएगा।

केरल के गवर्नर और केंद्र को भेजा नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार की याचिका पर केंद्र सरकार और केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में केरल सरकार ने राज्यपाल पर आरोप लगाया कि वह विधानसभा में पारित कई विधेयकों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं। कोर्ट ने निर्देश दिए कि या तो अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमानी या सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अगली सुनवाई में शामिल हों। सुनवाई शुक्रवार को होगी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *