मोदी का जनता को दिया विकास का भरोसा और अपनी योजनाओं के दम शिवराज ने खिला दिया मप्र में कमल

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भोपाल । मध्‍यप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के वह सारे कयास धरे के धरे रह गए, जिसमें कहा जा रहा था कि अंत में कांग्रेस का बहुमत आएगा, वह भी कोई थोड़ा नहीं बल्‍कि 130 सीटों से अधिक विधायक लाकर अपनी स्‍पष्‍ट बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब होगी, लेकिन यह क्‍या ! अचानक से सामने आए इस चमत्‍कार ने सभी को चमत्‍कृत कर रख दिया है। सभी राजनीतिक पंडितों के गुणा-भाग असफल होते दिखे हैं। वहीं कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत राहुल गांधी, कमलनाथ, दिग्‍विजय सिंह जैसे सभी दिग्‍गज नेताओं के ”इस बार 130 कांग्रेस पार” का आंकड़ा छूना तो दूर कांग्रेस शतक तक नहीं लगा पाई है।

निश्‍चित ही किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए आसान नहीं कि वह अपनी सरकार कई वर्षों यहां 18 वर्षों से अधिक समय तक तमाम विरोधों के बाद भी स्‍थ‍िर रख पाने में सफल हो जाए। मध्‍यप्रदेश में भी अनेक विरोधी लहर चल रहीं थीं लेकिन सभी को पीछे छोड़, तमाम बाधाओं को पार कर पार्टी ने अपने सिर सफलता का मुकुट आज धारण कर लिया है। देखा जाए तो इसके लिए कई फैक्‍टर जिम्‍मेदार रहे हैं। जिनमें कि एक तरफ भाजपा सरकार की योजनाओं को सफलता का श्रेय दिया जा सकता है, तो वहीं यह कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस के बड़े नेताओं का अहंकार उन्‍हें ले डूबा।

यदि योजनाओं के स्‍तर पर बात करें तो अंत्‍योदय से लेकर एन वक्‍त पर आई ” मुख्‍यमंत्री लाड़ली बहना योजना” वह चमत्‍कार कर गई, जो प्रदेश की आधी आबादी में यह विश्‍वास जगाने में सफल रही कि मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सिर्फ प्रदेश की प्रत्‍येक महिला को अपनी बहन कहते ही नहीं, हकीकत में मानते भी हैं और उन्‍हें प्रदेश की आधी जनसंख्‍या महिलाओं की सचमुच में चिंता है। अब मुख्‍यमंत्री शिवराज ने फिर एक घोषणा कर दी है कि इस बार की सरकार में हम प्रदेश की हर महिला को लखपति बनाकर दम लेंगे। शिवराज सिंह चौहान कह रहे हैं, हमारे आदर्श पं. दीनदयाल उपाध्‍याय हैं, जिनका संपूर्ण चिंतन विकास की धारा में अंतिम छोर पर खड़े व्‍यक्‍ति को समाज जीवन की मुख्‍यधारा में लाने पर केंद्र‍ित है। हम सत्‍ता के लिए नहीं समाज और देश सेवा के लिए राजनीति में आए हैं। इसलिए इस समाज में प्रत्‍येक स्‍तर पर सभी की चिंता करना जरूरी है। शिवराज का कहना है कि हम हर क्षेत्र पर बराबर विकास के लिए फोकस करेंगे और आनेवाले पांच सालों में मप्र को वि‍कसिक राज्‍य बनाकर दम लेंगे।

यही कारण है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सत्तारूढ़ बीजेपी ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया है। दूसरी ओर मध्य प्रदेश में कांग्रेस की हार का जो बड़ा कारण माना जा रहा है वह है इसके पीछे ‘अहंकारी नेतृत्व’ । दरअसल सीट बंटवारे में पूर्व मुख्‍यमंत्री एवं कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष कमलनाथ ने अपनी जिस तरह से मनमानी चलाई और पिछली बार की तरह सत्‍ता में आने का दम दिखाकर केंद्रीय नेतृत्व की अनदेखी करने तथा बात नहीं मानने की भूल की, उसका यह नतीजा है कि कांग्रेस लाख दावे जीत के करती रही हो, लेकिन आज हकीकत में तो वह सत्‍ता से कोसो दूर हो गई है।

यह तो हुई सीएम शिवराज सिंह चौहान की मंशा, उनकी बातें और कमलनाथ की हठधर्म‍िता, किंतु इसके साथ ही मप्र के आए नतीजों की हनक ने यह भी साफ कर दिया है कि जनता के जेहन में सबसे मजबूत गारंटी पीएम नरेंद्र मोदी की भी है, तभी तो बिना मुख्‍यमंत्री का चेहरा घोषित किए मध्‍यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार बनाने में कामयाब हो रही है। यह प्रश्‍न बार-बार उठाया जा रहा था कि मध्‍यप्रदेश में भाजपा संगठन ने अपने मुख्‍यमंत्री पद का दावेदार घोषित नहीं किया है, ऐसे में वह कैसे चुनाव जीत पाएगी? लेकिन मप्र की जनता से जो अपील पीएम मोदी राज्‍य भर में हूईं अपनी जन सभाओं में करते रहे, फलां मोदी की गारंटी है…..उस भरोसे पर भरोसा करते हुए प्रदेश की जनता ने अपनी मुहर कमल पर लगा दी ।

इस बार इसके साथ ही यह भी सामने आ गया कि राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ का केडर मप्र में बहुत मजबूत है। यही कारण है कि जब भी स्‍वयंसेवक ठान लेते हैं और राष्‍ट्रीय मुद्दों के पक्ष में माहौल बनाने के लिए अपने घरों से निकलते हैं तो सत्‍ता भाजपा की ही आती है। वर्ष 2003 हो या 2008, 2013 संघ के स्‍वयंसेवक पूरे मन से घरों से निकले थे और वे प्रदेश में फूल खिलाने में कामयाब रहे, जबकि वर्ष 2018 के चुनाव में वे मन से नहीं निकले, आधे निकले भी तो अधमने मन से, इसलिए परिणाम पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में नहीं आ पाए थे। लेकिन इस बार लोक-जागरण के लिए राष्‍ट्र के लिए अपने वोट का इस्‍तेमाल करें, शतप्रतिशत वोट करें का आह्वान लेकर जब रास्‍वसंघ के स्‍वयंसेवक टोलियों में निकले और घर-घर जाकर जनजागरण किया, उसका भी यह परिणाम है कि पूर्व के सभी मतदान करने के रिकार्ड टूटे और भाजपा आज सत्‍ता में पुन: वापिसी कर पाई ।

फिर भाजपा में पार्टी के स्‍तर पर टिकटों के ऐलान के दौरान एक बार फिर उस समय सभी को चौंकाया, जब केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल समेत तीन केंद्रीय मंत्रियों और सात सांसदों को विधायकी के चुनावी अखाड़े में उतार दिया गया। भाजपा का यह प्रयोग न कांग्रेस के गले उतर रहा था, न ही अन्‍य विरोधियों को समझ आ रहा था, आखिर यह कदम भाजपा क्‍यों उठा रही है। उस वक्‍त यही माना गया तथा कांग्रेस ने इसे जैसे एक मुद्दा भी बनाया कि भाजपा ने हार के डर से ये कदम उठाया है? लेकिन बीजेपी को इन सब उठते प्रश्‍नों से कोई फर्क नहीं पड़ा। भाजपा में अमित शाह की रणनीति अपना कमाल दिखा रही थी और भाजपा के केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने भी पार्टी के आदेश को सर-माथे पर लेकर राज्य की ओर कूच कर दिया और मैदानी मेहनत में उतर गए । इसका प्रभाव भी इतना अधिक हुआ है कि एक सांसद को छोड़कर प्राय: सभी न सिर्फ अपनी सीट जीतने में कामयाब रहे, बल्‍कि अपनी विधानसभा सीट के आसपास की सीटों को भी जिताने में सफल रहे हैं ।

इसी प्रकार से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लेकर भी जिस तरह की विरोधी बातें की जा रही थीं, उन सभी की चिंता किए वगैर वे जीवटता के साथ चुनावी अखाड़े में जुट गए। चुनावी प्रचार के दौरान उन्होंने 160 से ज्यादा चुनावी सभाओं को संबोधित किया। जो किसी भी अन्य नेता के मुकाबले बहुत अधिक है । यदि कांग्रेस के नेता और फिर से मुख्‍यमंत्री पद के दावेदार कमलनाथ की उनसे तुलना की जाए तो मेहनत के मामले में वे सीएम शिवराज के सामने कहीं नहीं ठहरते हैं। शिवराज सिंह चौहान का बिना किसी परिणामों की पूर्व में चिंता किए पूरी ताकत लगाकर बिना थके, बिना रुके जुटे रहने का भी यह परिणाम है कि मप्र में एक बार फिर लगातार सरकार बनाने का रिकार्ड भाजपा बनाने जा रही है । मप्र में मुख्‍यमंत्री शिवराज ने बहनों के भाई और उनके बच्‍चों के मामा के रूप में अपनी जो कामयाब छवि बनाई है, उसका भी लाभ भाजपा को मिला है। जिसमे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की तमाम योजनाओं को सफलता से मप्र में लागू करते हुए भी उनका सतत साथ दिया है।

इतना ही नहीं तो पिछले दो सप्‍ताह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 जिलों का दौरा किया। 14 रैली और एक रोड़ शो उन्‍होंने किया । वहीं, पूरे चुनावों के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कमान अपने हाथों संभाले रखी और छह दिन में अपनी पार्टी के लिए 17 रैली और दो रोड़ शो भी किए। पीएम नरेंद्र मोदी का अपनी रैलियों में कहना कि ये मोदी की गारंटी है। शायद यही कांग्रेस और बीजेपी के बीच का बहुत बड़ा फर्क साबित हुआ। क्योंकि मामला साख का भी होता है और विश्‍वास का भी। मध्यप्रदेश का चुनाव दिखाता है कि जनता के मन में सबसे मजबूत गारंटी तो मोदी की है। अब तक गुजरात में मुख्‍यमंत्री रहे हों या केंद्र में प्रधानमंत्री पिछले अपने संपूर्ण कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि एक सख्‍त एवं विकास पुरुष के रूप में उभर कर देशवासियों के सामने आई है, जिसके लिए अपने राष्‍ट्र के हित से बढ़कर कुछ भी नहीं है। ऐसे में फिलहाल देश की जनता बार-बार आगे भी पीएम मोदी को सत्‍ता का अवसर देते रहने के मूढ में दिखाई देती है।

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्‍व की यह मेहनत यहीं नहीं रुकी । कई केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा का केंद्रीय संगठन, संगठन मंत्री, प्रवक्‍ता समेत मुख्‍य पदाधिकारी जिले-जिले में प्रवास करते रहे । जनता के बीच यह मानस बनाने का प्रयास करते रहे कि भाजपा ही उन्‍हें आगे अच्‍छा जीवन देने में सक्षम है। कांग्रेस की आपसी कलह प्रदेश का विकास नहीं होने देगी, इसलिए भाजपा को ही फिर एक बार चुनना है ताकि मप्र विकसित राज्‍य बन सके।

कुल मिलाकर इस बार के विधानसभा चुनाव ने यह एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि ”सही योजना पूर्व योजना, पूर्ण योजना” के साथ मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता है । चुनाव सिर्फ माहौल बनाकर या सर्वे रिपोर्टों के आधार पर नहीं जीते जा सकते हैं, बल्‍कि एक टीम के तौर पर अपने आपसी मतभेद भुलाकर संगठित कार्य योजना पर काम करते हुए जीते जाते हैं। फिर भले ही आप गारंटियों की बौछारे लगाते रहो, जब तक जनता में उन्‍हें पूरा कर देना का विश्‍वास आप उनके बीच नहीं पैदा कर पाते हैं कामयाब नहीं हो सकते। जनता आपको राजनीतिक सत्‍ता का तिलक नहीं करनेवाली है।

{  डॉ. मयंक चतुर्वेदी }

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