मध्य प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रही
नई दिल्ली (New Dehli) । इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) के घटकदल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (SP) के बीच वाकयुद्ध (war of words)थम गया है, पर दोनों पार्टियों (parties)के बीच तल्खी खत्म नहीं हुई है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रही है। ऐसे में रिश्तों में आई इस तल्खी का खामियाजा समाजवादी पार्टी से ज्यादा कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है।
मध्य प्रदेश में गठबंधन नहीं करने से समाजवादी पार्टी कांग्रेस से बेहद नाराज है। सपा करीब तीन दर्जन सीट पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है। पार्टी कुछ और सीट पर प्रत्याशी उतार सकती है। इसके साथ सपा इस बार ज्यादा से ज्यादा सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी आक्रामकता के साथ चुनाव प्रचार करने की भी तैयारी में है।
मध्य प्रदेश की 185 किलोमीटर लंबी सीमा उत्तर प्रदेश से लगती है। इसके साथ प्रदेश में यादव मतदाताओं की तादाद भी 12 से 14 फीसदी तक है। ऐसे में यूपी से सटे मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में सपा का असर रहा है। हालांकि, पिछले कुछ चुनाव में सपा का प्रदर्शन कमजोर हुआ है, पर कई सीट पर अभी भी कांग्रेस के लिए मुश्किल पैदा कर सकती है।
रणनीतिकार मानते हैं कि समाजवादी पार्टी के अलग चुनाव लड़ने से यूपी से सटी सीट पर कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। यूपी की तरह सपा मध्य प्रदेश में बहुत मजबूत नहीं है, पर वह कई सीट पर कांग्रेस को झटका दे सकती है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जिस तरह अपनी नाराजगी जता रहे हैं, उससे साफ है कि वह अपनी ताकत दिखाने का प्रयास करेंगे।
मध्य प्रदेश में सपा ने अब तक सबसे बेहतरीन प्रदर्शन 2003 में किया था। इस चुनाव में पार्टी ने करीब चार फीसदी वोट के साथ सात सीट जीती थी। इसके बाद पिछले तीन चुनाव में सपा अपना प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई है। ऐसे में इस बार अपना प्रदर्शन सुधारना सपा और अखिलेश यादव के लिए चुनौती होगी। सपा प्रदर्शन सुधारती है, तो कांग्रेस को नुकसान तय है।
वर्ष 2018 में सपा की वजह से आठ सीट हारी थी पार्टी
सपा ने वर्ष 2018 के चुनाव में एक सीट पर जीत दर्ज की थी। इसके साथ पार्टी पांच सीट पर दूसरे और चार सीट पर तीसरे नंबर पर रही थी। तीन सीट पर सपा को भाजपा और कांग्रेस के बीच हार जीत के अंतर से अधिक वोट मिले थे। चुनाव में जिन पांच सीट पर सपा दूसरे नंबर पर रही, उन पांच में चार सीट पर भाजपा जीती थी।
सिर्फ पृथ्वीपुर सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। वहीं, मैहर सीट कांग्रेस सिर्फ तीन हजार वोट से हारी थी, जबकि इस सीट पर सपा को 11 हजार वोट मिले थे। इन चुनावों में कांग्रेस और भाजपा के बीच सिर्फ पांच सीट का फर्क था।