मध्यप्रदेश में भाजपा की ऐतिहासिक, 8 चेहरे जिन्होंने दिलाई मध्यप्रदेश में प्रचंड जीत
एमपी चुनाव का लाइव रिजल्ट, एमपी इलेक्शन लाइव रिजल्ट
जब हर कोई मध्यप्रदेश में बदलाव की बात कर रहा था, उस वक्त में कुछ चेहरे बड़ी ही खामोशी से भाजपा की जीत की कहानी लिख रहे थे। भाजपा ने 2018 में 200 पार का नारा दिया था, लेकिन इस बार जब अमित शाह ने 150 पार का नारा दिया तो माना गया कि उन्होंने हार मान ली है, लेकिन जिस तरह से उन्होंने और उनकी टीम ने काम किया, उसने लक्ष्य से आगे लाकर भाजपा को खड़ा कर दिया। इस जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को भाजपा दे रही है, लेकिन इसके अलावा भी कई चेहरे हैं, जिन्होंने इस जीत को ऐतिहासिक बनाने में अपना रोल अदा किया। कह सकते हैं कि ये वो चेहरे थे, जिन्होंने पर्दे के पीछे और आगे रहकर भाजपा की जीत को पूरा करने का नेतृत्व संभाला।
इन चेहरों ने कांग्रेस के खेमे से निकाल ली पूरी जीत
को अमित शाह फिर आएंगे छत्तीसगढ़ , बस्तर में करेंगे चुनावी सभा1. अमित शाह
देश के गृहमंत्री, भाजपा के सबसे भरोसेमंद रणनीतिकार। मध्यप्रदेश में जब बदलाव की बातें हो रही थीं तो अचानक से पूरे चुनाव की जिम्मेदारी संभाल ली। एक के बाद एक बैठकें की और प्रदेश नेतृत्व के कई निर्णयों को पूरी तरह से बदल दिया। पूरा चुनाव प्रबंधन और रणनीति अपने हाथों में ले ली। चुनाव प्रबंधन संभाल रही कंपनी के साथ सीधे समन्वय बनाया और उसके साथ मिलने वाले इनपुट के आधार पर दिल्ली से काम संभाला। संभाग स्तर पर पहुंचकर नेताओं और कार्यकर्ताओं की सीधी बैठक ली और चुनाव प्रबंधन की तैयारियों का रिव्यू किया। कमियों पर सीधे काम संभाला। टिकिट वितरण में भी सीधी भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री के चेहरे को प्रदेश के चुनाव में आगे करने का जोखिम उठाने का साहस लिया और बड़ी जीत के सबसे बड़े शिल्पकार बने।
भूपेंद्र यादव
केंद्र सरकार में मंत्री और अमित शाह के सबसे भरोसमंद नेताओं में शुमार। संगठन प्रबंधन में विशेषज्ञ। भूपेंद्र यादव की भूमिका केंद्र और राज्य के बीच समन्वय बनाने की रही। लो—प्रोफाइल तरीके से काम किया। पूरे समय प्रदेश कार्यालय में बैठकर चुनावी समन्वय को संभाला। हर छोटी—बड़ी चुनावी तैयारी पर केंद्र को अपडेट किया और उसके बाद बदली हुई रणनीति को राज्य में लागू किया। राज्य के नेताओं के बीच समन्वय बनाने की जिम्मेदारी भी उठाई। भूपेंद्र यादव के फीडबैक पर ही राज्य के बड़े नेताओं के साथ अमित शाह ने दो बार बैठक की, जिसमें कई लोगों को समझाइश भी दी गई। उसने सभी को अपने—अपने काम में लगा दिया
अश्विन वैष्णव
केंद्रीय मंत्री, अपने लो प्रोफाइल अंदाज में पार्टी कार्यालय के भीतर बैठकर चुनाव प्रबंधन की कमान संभाली। वित्तीय प्रबंधन से लेकर कैंपेन प्रबंधन तक की जिम्मेदारी अश्विन वैष्णव के पास रही और भूपेंद्र यादव के सहयोगी बनकर चुनाव में काम किया। भूपेंद्र यादव की तरह ही अमित शाह से सीधे संवाद में रहे। कई मौकों पर रणनीति बदलने और नए तरीके से चुनाव प्रचार में उतरने की रणनीति पर काम करते रहे। चुनाव प्रबंधन की सभी एजेंसी से सीधा संपर्क बनाया और उनके साथ समन्वय कर विधानसभा स्तर तक पर रणनीति को बदलते रहे।
शिवराज सिंह चौहान
मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना चुके हैं। मध्यप्रदेश में भाजपा के एक—एक नेता को सीधे जानते हैं और संवाद करते हैं। लो—प्रोफाइल मुख्यमंत्री की इमेज है। इसको ही भुनाने का प्रयास किया। जब केंद्र ने रणनीति के तहत चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री मोदी को चेहरा बनाया तो नाराज होकर नहीं बैठे…कोई शिकवा शिकायत नहीं की। बल्कि अपने स्तर से चुनाव प्रचार में कूद गए। अपनी लाडली बहना योजना के साथ राज्य सरकार के 18 साल के काम को लेकर प्रचार में जुट गए। सबसे ज्यादा 165 विधानसभाओं में सभाएं की। आचार संहिता लगने से पहले ही 230 विधानसभाओं में सरकारी योजनाओं के प्रचार के नाम पर अपना चुनावी कैंपेन पूरा कर लिया। लाडली बहना में अकेले शिवराज को भरोसा था, आखिर में पूरी पार्टी ने भरोसा किया और बड़ी जीत कर श्रेय लेने में सफल रहे।
नरेंद्र सिंह तोमर
केंद्रीय मंत्री, प्रदेश में चुनाव प्रबंधन की पूरी कमान। शिवराज सिंह चौहान से लेकर सभी नेताओं से समन्वय बनाने के लिए सबसे गंभीर चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। उसी अंदाज में काम भी किया। खामोशी के साथ सभी काम को अंजाम दिया। सबसे बड़ी बात, अपनी टीम पर भरोसा करते हैं, उन्हें निर्णय लेने की स्वतंत्रता देते हैं। ऐसे में चुनाव प्रबंधन से जुड़ी टीम ने ऐन मौकों पर भी कई निर्णय लिए, जिन्होंने जीत की राह आसान की। भरोसे के साथ टीम ने काम किया और रिजल्ट पक्ष में लाने में कारगर रहे। सामूहिक नेतृत्व में कैसे काम करना है, यह हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी साबित किया। खुद को पीछे रखकर पार्टी को आगे करके काम करने की स्टाइल दूसरे नेताओं को दिखाई।
वीडी शर्मा
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष। संगठन स्तर पर पार्टी के निर्देश को मानने वाले ऐसे नेता, जो कोई सवाल नहीं करते। केंद्रीय नेतृत्व ने जैसा कहा, वीडी शर्मा ने वैसा ही किया। बूथ प्रबंधन से लेकर पन्ना प्रभारी तक का काम समय से पूरा किया। हर समय उसको रिव्यू करते रहे। अपनी टीम के कुछ जिम्मेदार चेहरों पर एक तरफा भरोसा किया और उनके सहारे पूरे समय प्रदेश भर के पन्ना प्रभारियों के संपर्क में रहे। सामूहिक नेतृत्व के साथ चुनाव में आगे बढ़ने के निर्णय को मजबूती से पार्टी के भीतर रखा और उसका फायदा परिणामों में दिखाई दिया
आशीष अग्रवाल
भाजपा के मीडिया प्रभारी, चुनाव से कुछ समय पहले ही कमान मिली। कहा गया जूनियर हैं…इतनी बड़ी जिम्मेदारी संभाल नहीं पाएंगे। खासकर तब जब भाजपा कई गुटों में बंटी हुई थी। ऐसे में सभी नेताओं के साथ समन्वय, उनके साथ पूरा भरोसा दिखाकर काम किया। चुनाव में बड़े नेताओं से लेकर छोटे नेताओं को मीडिया के साथ समन्वय कराया। सोशल मीडिया से लेकर हर जगह भाजपा को ज्यादा स्पेस दिलाने में सफल रहे। लाडली बहना के नरेटिव को मजबूत करने में सबसे ज्यादा मेहनत की।
योगेश राठौर
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए डाटा कलेक्शन का काम करने वाली कंपनी के मुखिया। अकेला एक आदमी जिसने लाडली बहना पर फोकस करने को कहा। पूरा चुनाव उसी पर केंद्रित करने के लिए शिवराज सिंह चौहान को राजी किया। वोटिंग खत्म होने के बाद सबसे पहले महिलाओं के वोटों को बूथ स्तर पर गिनने के बाद भाजपा की बड़ी जीत का दावा किया। जब पूरी पार्टी अलग सुर में थी, उस वक्त में योगेश मुख्यमंत्री को दूसरे सुर में घुमा रहे थे। आखिर में अपने भरोसे को बरकरार रखने में कामयाब हुए।