बद्रीनाथ धाम में शंख क्यों नहीं बजाया जाता क्या आपको पता है इसके पीछे का रहस्य

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बद्रीनाथ धाम

हर किसी को घूमना पसंद होता है. शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे सैर करना अच्छा नहीं लगता होगा. कई लोग तो धर्मिक स्थानों पर ही जाना पसंद करते हैं. हम आपको इस आर्किटल में बताएंगे की बद्रीनाथ धाम में शंख क्यों नहीं बजाया जाता है.

आइए जानते हैं विस्तार से.

बद्रीनाथ धाम
बद्रीनाथ धाम में शंख क्यों नहीं बजाया जाता

आप अपनी लाइफ में एक बार जरूर बद्रीनाथ धाम गए होंगे. लेकिन क्या आपने कभी गौर किया कि इस मंदिर में शंख नहीं बजाया जाता. यहां आरती तो जरूर होती है, लेकिन शंखनाद कभी नहीं होता. इसकी सही वजह क्या है.

बद्रीनाथ धाम
साइंस के अनुसार, ठंड के दौरान यहां बर्फ पड़ने लगती है. ऐसे में अगर यहां शंख बजता है तो उसकी ध्वनि पहाड़ों से टकराकर प्रतिध्वनि पैदा करती है. इससे बर्फ में दरार पड़ सकती है और बर्फीला तूफान आने की आशंका हो सकती है. यहीं कारण है कि बद्रीनाथ धाम में शंख नहीं बजाया जाता हो. क्‍यों

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बद्रीनाथ धाम
जानें शास्‍त्रों में क्‍या लिखा है

शास्‍त्रों के अनुसार हिमालय में असुरों का आतंक जोरों पर था. ऋषि मुनि असुरों से भयभीत होकर पूजा अर्चना नहीं कर पाते थे. एक बार मां लक्ष्‍मी बद्रीनाथ धाम में बने तुलसी भवन में ध्यान लगा रही थीं.

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उसी वक्‍त भगवान विष्णु ने शंखचूर्ण नाम के एक राक्षस का वध किया. युद्ध खत्‍म होने के बाद वैसे शंखनाद किया जाता है, लेकिन उस समय भगवान विष्‍णु मां लक्ष्‍मी के ध्‍यान में विघ्‍न नहीं डालना चाहते थे, इसल‍िए शंख नहीं बजाया. तभी से बद्रीनाथ धाम में शंखनाद नहीं किया जाता है.

 

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